हम सब बहुत छोटे छोटे थे जब रविवार सुबह नौ बजे टीवी पर मिक्की और डोनाल्ड आता था | हम बच्चे उसे देखने के लिए मरे जाते थे | बस समझिये जब तक वो टीवी पर आता हम बच्चो की पलकें भी नहीं झपकती थी उतनी देर | पंद्रह बीस मिनट पहले ही टीवी चालो कर देतें और उतनी देर में बीस बार घड़ी भी देख लेते कि नौ बजा या नहीं |
आज के जमाने में दस बीस कार्टून चैनल पर चौबीसो घंटे कार्टून देखने वाले बच्चे कभी समझेंगे ही नहीं कि हफ्ते में बस एक दिन और वो भी बस आधे घंटे के लिए आने वाले किसी कार्टून फिल्म की क्या अहमियत हो सकती हैं हम बच्चो के जीवन में |
लेकिन उस दिन हम सब पर बिजली गिर जाती जिस दिन रविवार नौ बजे के पहले बिजली चली जाती | नौ बजने से पहले तक उम्मीद रहती थी कि शायद समय रहते लाइट आ जायेगी लेकिन जैसे जैसे घड़ी नौ बजने की और बढ़ता तो दिल बैठने लगता |
नौ बजे भी जब लाइट नहीं आती तो मोहल्ले में सबके घर लाइट नहीं हैं जांचने के बाद सीधा रुख भगवान जी की तरह होता , हे भगवान आधे घंटे के लिए लाइट आ जाए उसके बाद फिर भले चली जाये | भोले से दिल दिमाग में ये विश्वास बना रहता भगवान के घर देर हैं अंधेर नहीं पांच दस मिनट लेट ही सही भगवान जी से कहा हैं तो लाइट आ ही जायेगी | लेकिन लाइट उसके बाद भी नहीं आती |
फिर अंदर का धूर्त दिमाग मजे लेने के लिए दिल को कहता कि अब हाथ जोड़ के भगवान से प्रार्थना करो , भगवान जी बच्चो की जरूर सुनते हैं | चतुर दिमाग के चक्कर में आ कर हमारा मासूम सा दिल वो भी कर लेता कि भगवान जी अब तो हाथ जोड़ कर प्रार्थना कर रहें हैं आखिरी के पंद्रह मिनट बचे हैं लाइट आ जाये तो भी हम पुकार सुनी हुयी मान लेंगे |
लाइट तब भी ना आती तो उसके बाद तो बात भगवान जी के ही इज्जत पर आ जाती थी कि भाई वाह कैसे भगवान जी हो एक लाइट लाने जैसा मामूली काम भी नहीं कर सकते | अब तो बस दस पांच मिनट ही बाकि हैं अगर अब भी बिजली रानी नहीं आयी तो समझेंगे भगवान जी भक्त की परीक्षा में फेल हुए |
लेकिन बिजली रानी उस दिन क्या उसके बाद भी बहुत बार ना आयी और भगवान जी हर बार अपने भक्त की परीक्षा में फेल हुए और अपनी इज्जत खो बैठे मेरी नजर में | आज सोचती हूँ तो लगता ईश्वर में मेरी आस्था ना होने के पीछे खुद भगवान जी का ही बड़ा हाथ हैं , हर बार मेरी परीक्षा में फेल हुए |
हमने तो आस्था ख़त्म होने के बाद भी कई बार भगवान की परीक्षा ली कि हे भगवान मैच बहुत बुरी तरह फंसा हुआ हैं अब तुम्ही जीता सकते हो लेकिन भगवान जी उस परीक्षा में भी हर बार फेल ही हुए | उम्मीद थी शायद अब पास हो जाए और हमारी आस्था लौटे लेकिन भगवान ने कभी मेहनत नहीं कि और हर बार फेल हो कर मुझ जैसा भक्त खो दिया | इतने के बाद तो हमने उनसे उम्मीद करना याद करना ही छोड़ दिया |
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (15-5-22) को "प्यारे गौतम बुद्ध"'(चर्चा अंक-4431) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
धन्यवाद
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