May 24, 2022

हर स्त्री समस्या का समाधान समानता नहीं हैं

एक मुस्लिम महिला ने कोर्ट में याचिका दायर की हैं कि उसके पति को दूसरा विवाह करने से रोका जाए | महिला के अनुसार पति ने मारपीट की दहेज़ के लिए परेशान किया और उसके बाद बच्चे के साथ उसे घर से निकाल कर वो दूसरा विवाह करने जा रहा हैं |

जब तक उसकी लिखित इजाज़त ( जैसा की रिवाज हैं कि पहली पत्नी की रजामंदी से ही दूसरा निकाह हो सकता हैं ) पतिके पास ना हो उसे बहु विवाह से रोका जाए | माना जा रहा हैं इस याचिका के बहाने बहु विवाह पर रोक लगायी जा सकती हैं अब भारत में |

भारत सही कई देशो में बहु विवाह को क़ानूनी मान्यता प्राप्त हैं | किन्तु अब धीरे धीरे अन्य देशो के साथ मुस्लिम देश भी इसको बंद करते जा रहें हैं | लेकिन इस मामले में महिलाओं की समस्याओ का सबसे अच्छा और मजेदार समाधान दक्षिण अफ्रीका ने निकाला हैं |

कुछ महीने पहले उन्होंने महिलाओं को समाज में समानता देने के लिए एक कानून पास करके महिलाओं को भी बहु विवाह अर्थात एक समय में एक से ज्यादा विवाह करने की इजाजत दे दी हैं | इसे ऐसे समझिये की कमला बता रही हैं कि कमाई का आध हिस्सा पति शराब में उड़ा देता हैं और पीने के बाद उसे मारता पीटता हैं | उसका समाधान ये बताया गया चलो अब से सभी महिलाओं को आधी कमाई शराब में उड़ाने और पति को मारने की इजाजत होगी |


पहली बात ज्यादातर बहु विवाह में स्त्री की स्थिति समाज में पुरुष के मुकाबले दोयम दर्जे की निशानी हैं | पति से नीचे का दर्जा रखने वाली स्त्री एक पति के रहते एक तो दूसर विवाह कर नहीं सकती और किसी अप्रत्याशित स्थिति में कर भी ले तो ये उसकी मुसीबते डबल करने के बराबर होगा |


मान लीजिये कोई दूसरी ताकतवर महिला एक से ज्यादा विवाह कर भी ले तो इससे हजारों लाखो उन महिलाओं की समस्या परेशानी कम कैसी होगी जो बहु विवाह के कारण प्रताड़ना सह रही हैं | आप को क्या लगता हैं क़ानूनी मान्यता मिलने का बाद भी क्या दुनियां का कोई भी पुरुषवादी मानसिकता रखने वाला समाज इसे स्वीकार कर लेगा , जवाब हैं नहीं किसी कीमत पर नहीं |


वहां पर इस कानून का जोरदार विरोध पुरुषो द्वारा होने लगा | खासकर उन पुरुषो द्वारा जिनकी खुद एक से ज्यादा पत्नियां हैं | सबसे बड़ी मुसीबत उन्हें ये लगी कि महिला के कई पति होंगे तो पता कैसे चलेगा कि बच्चे का पिता कौन हैं |
पहले तो ये समझ लीजिये प्रकृति के लिए किसी बच्चे की पहचान उसकी माँ होती हैं पिता की कोई हैसियत नहीं होती ज्यादातर |

पिता का नाम मनुष्यों और खासकर पुरुष सत्ता की बनायीं व्यवस्था हैं वरना माँ का नाम ही काफी हैं किसी बच्चे के पहचान के लिए | बस पिता का नाम वाला कॉलम हटा कर माँ के नाम का कॉलम बना दीजिये , समस्या ही ख़त्म | उसके बाद चाहे पुरुष या स्त्री कोई भी बहु विवाह करे बच्चे के पहचान की कोई समस्या ही नहीं होगी |


लेकिन देखने वाली बात ये हैं कि पुरुषवादी समाज में कितने पुरुष किसी स्त्री का दूसरा पति बनना चाहेंगे और कितने पुरुष इस बात को बर्दास्त करेंगे कि उनके होते उनकी पत्नी दूसरा विवाह करे , या दो पति एक साथ रहें | मतलब किसी विवाहित महिला का प्रेमी तो हर तरह का पुरुष बन जायेंगा किन्तु पति , बहुत मुश्किल बात हैं | वहां भी सारी बात महिला के पद प्रतिष्ठा और हैसियत का होगा | स्त्री समाज में किसी पुरुष से ऊँचा दर्जा पहचान हैसियत रखती हैं तो अपने फायदे के लिए उससे नीचे की हैसियत रखने वाला तो दूसरा पति बनना स्वीकार कर लेगा किन्तु बराबरी वाला या उससे ऊपर वाला तो कभी भी नहीं |



तो कहने का मतलब ये हैं कि महिला समानता के नाम पर जो कानून वहां बनाया गया हैं वो महिलाओं को मुर्ख बनाने से ज्यादा कुछ नहीं हैं | महिलाओं की समस्या और समानता दो अलग चीजे हैं | बहु विवाह स्त्रियों के लिए एक समस्या हैं उन्हें इस समस्या से निजात चाहिए इस मामले में पुरुषो से बराबरी नहीं |


वैसे अपने देश में लोग कहते हैं कि बहु विवाह की समस्या बहुत छोटी हैं शायद प्रतिशत भी ना निकले फिर इसके लिए इस मुद्दे पर बात करने या कानून की क्या जरुरत हैं | तो मेरा कहना हैं आप समस्या को ठीक से नहीं देख रहें हैं | बहु विवाह भले बहुत कम होते हैं लेकिन ये धमकी के रूप में लाखों उन स्त्रियों को जो पूरी तरह से पति पर निर्भर हैं के नाक में नकेल डाल उन्हें अपने काबू में रखने में ज्यादा काम आता हैं |


धर्म न देखिये इसमें धर्म चाहे कोई भी हो , दूसरा निकाह , तलाक , तुम्हे छोड़ कर दूसरी शादी की धमकी पति और ससुराल के अंगूठे के नीचे रखती हैं स्त्रियों को पुरे वैवाहिक जीवन में |



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