हर साल गली में कोई ना कोई बिल्ली का अनाथ बच्चा बिल्डिंग के दरवाजे पर आ कर रहने लगता हैं और बिल्डिंग के बच्चे उसे गोद ले लेते हैं | इस साल के बच्चे का नाम हमारी बिटिया ने लियो रखा हैं लेकिन मोहल्ले भर के बाकी बच्चो ने अपने अपने नाम रखे हैं तो वो साहब किसी भी नाम को कोई भाव नहीं देते | भाई साहब मेल हैं लेकिन लाख कोशिश के बाद भी दिमाग बिल्ली होने के कारण फीमेल का ही संकेत देता हैं |
बचपन से इनकी कहानी बड़ी दर्दभरी हैं | इनकी माता जी इनको हमारी बिल्डिंग के दरवज्जे पर छोड़ चली गयी थी , ऐसा बच्चो को मानना हैं | बिल्डिंग के बच्चे इन्हे पाल रहें थे लेकिन एक दिन एक स्कूटर वाले ने इनके ऊपर स्कूटर चढ़ा दिया या धक्का मार दिया |
हमारी बिल्डिंग में रहने वाली लड़कियां इन्हे अस्पताल ले गयी चार दिन भर्ती थे | मुझे पहले बताया गया कि स्कूटर पैर पर चढ़ा था फिर पता चला कि इनके पेट की कोई नस दब गयी हैं जिससे बाकी जीवन इनके खाने का विशेष ख्याल रखना होगा और लम्बे समय तक खाना पचाने के लिए दवा देनी होगी | उसके बाद पता चला कि इनकी रीढ़ की हड्डी में भी समस्या हैं पता नहीं ये चल फिर कैसे लेता हैं |
उन लड़कियां के पास पहले से ही पालतू बिल्ली हैं सो उनके घर में तो जगह इन्हे नहीं मिली लेकिन उन लोगों ने रोज कैट फ़ूड भिंगो के और दवा देना जारी रखा | हमारी बिटिया भी इनके लिए खाना और एक बेल्ट मंगा ली | तर्क ये था कि हम लोग गले में बेल्ट पहना देंगे तो दूसरी बिल्डिंग के बच्चे इसे चुरा कर नहीं ले जायेंगे |
हमने सावधान किया कि स्ट्रीट कैट हैं कोने अतरे में घुसती हैं ऊपर चढ़ती हैं किसी जगह बेल्ट फंसा तो बेचारी को फांसी लग जायेगी | फिर मुझे आश्वस्त किया गया स्पेशल बेल्ट हैं जो जरा सा खिंचते ही खुल जायेगा | नतीज रात को इन्हे बेल्ट पहनाया गया और अगली सुबह गायब हो गया इनके गले से |
अब ठीक ठाक हैं रोज पार्क में कबूतरों का शिकार करने आते हैं | हमारी बिटिया ने इन्हे झूले पर सरकना भी सीखा दिया हैं | जब घर पर खेलने के लिए लाती तो ये कपडे से खूब खेलते | फिर बिटिया बाजार से फर ला इन्हे खेलने के लिए छड़ी बना दी | लेकिन ये इतना नाख़ून मारते हैं कि बिटिया पकड़ने में डरती थी और जब वो नहलाना शुरू करती तो ये डर कर भागते थे |
अब बड़े हो गए हैं तो बिटिया को भाव नहीं देते | अब खान खुद खोज लेते हैं तो बिटिया का लाया खाना भी पड़ा हुआ हैं | धोबी के यहाँ किसी और बिल्ली ने तीन और बच्चे दिए हैं अब सबका रुख भी बदल गया हैं |
बच्चों को पशु पक्षी बहुत आकर्षित करते हैं । और वैसे भी बाल मन ज्यादा संवेदनशील होता है । बिल्ली से ज्यादा कुत्ता स्वामी भक्त होता है ।
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