July 14, 2022

बिटियानामा

जब नौवीं में थी  बिटिया तो  हिन्दी अटक कर  पढ़ती थी | स्कूल में बाकायदा टीचर खड़ा कर पढवाती थी तो कुछ ठीक था लेकिन पिछले दो साल से तो स्कूल ही बंद थे  नतीजा हिंदी रीडिंग स्कूल में बिलकुल  बंद हो गया  | 

हम घर में  पढाते समय पढ़ने को बोलते तो बड़े आराम से गलत सलत लापरवाही से पढ़ देतीं की मम्मी सही कर ही देगी | स्कूल तो हैं नहीं कि गलत पढने पर क्लास में सब हँसने लगे और बेइज्जती हो जाये | 


जब परीक्षाएँ शुरू हुयी तो मैंने कहाँ सब पहले ही पढ़ा चुकें हैं , तुम्हे सब मामूल ही हैं ,  बस पाठ एक बार फिर से पढ़ लो खुद से तो रिवीजन हो जायेगा सब कुछ  | तो कहती हैं मैं पढुंगी तो बहुत टाइम लग जायेगा सब पढने में ,  प्लिस  तुम पढ़ कर सुना  दो तो जल्दी काम हो जायेगा | 


हमने डांट लगायी कि हम ये नहीं करने वाले हैं | खुद से पढों तो शब्दों को ध्यान से देख पाओगी और उसे ठीक से लिखना भी सीखोगी | थोड़ी देर बहसबाजी और मेरे इंकार के बाद चली गयी अपने कमरे में | कुछ देर बाद जब मैं  कमरे में गयी तो देखा गूगल उनके लिए पाठ पढ़ रहा हैं | पाठ की फोटो चींख  गूगल से पढवा कर सुन रहीं थी 🤦‍♀️



2 comments:

  1. ऐसे भी काम करता है गूगल ? हमें तो पता ही नहीं था ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हमे भी नही पता था उस दिन पता चला 😀

      Delete