April 16, 2011

आज हमारी ब्युटीफुल प्रिंसेस का जन्मदिन है उसे ढेर सारा आशीर्वाद दीजिये - - - - - - mangopeople



                                                   आज हमारी ब्युटीफुल प्रिंसेस का हैप्पी वाला बर्थ डे है | ब्यूटीफुल क्यों ? वैसे तो हर माँ के लिए उसके बच्चे दुनिया में सबसे ब्यूटीफुल होते है , लेकिन मुझे बिटिया रानी के ये पूछने पर कि 'मॉमा मै ब्यूटीफुल दिख रही हु ना"  दिन में तीन या चार बार उन्हें ये बताना पड़ता है की वो ब्यूटीफुल दिख रही है और प्रिंसेस इसलिए की उन्हें बड़ी हो कर प्रिंसेस बनना है | लो जी सिंड्रेला , स्नोवाईट , स्लीपिंग ब्यूटी , जास्मिन , प्रिंसेस बैली जैसी कहानियो रोज सुनती है उसका कुछ तो असर होना ही था ना | 

                                  बहुत साल पहले एक खबर पढ़ी थी की भविष्य में आप डिजाइनर बेबी को जन्म दे सकेंगे मतलब की रंग कैटरीना का  आँखे ऐश्वर्य की कद सुष्मिता की और जो भी आप चाहे अपने बच्चे में वो आप को मिल जायेगा, वैज्ञानिक ये सब आप के लिए कर देंगे | सो जब मेरे माँ बनने का समय आया तो हम दोनों ने भी अपने बच्चे को डिजाइन करना शुरू किया मतलब ये सोचना शुरू किया की हमारी बच्ची कैसी होगी | अब हम वैज्ञानिको की तो मदद नहीं ले रहे थे तो सब कुछ पति पत्नी के बिच से ही चुनना शुरू किया वो भी सब अच्छी अच्छी वाली जो कुछ भी हम दोनों में था | तय किया की दिखने में वो पति जसी हो और व्यवहार में माँ जैसी हो ( मेरी बेटी पति जैसी सीधी साधी हम दोनों को ही मंजूर नहीं थी, और मेरे लिए सुन्दरता  के मामले में बेहतर था की वो पिता जैसी ही हो क्योकि सुन्दरता से मेरा दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं है ,  हा हा हा हा हा   ) मुझसे तो वो बस दो ही चीजे पाए एक तो घुंघराले बाल दुसरे गालो पर पड़ते डिम्पल ( मुझे बहुत थोड़े पड़ते है मै चाहती थी उसे खूब गहरे पड़े )  और पुत्री होना तो मेरे लिए हमेसा से ही निश्चित था उसके लिए कोई दो राय या कुछ और की तो बात ही नहीं थी और जब बच्ची हमारे सामने आई तो बाकि बाते तो पता नहीं चल रही थी लेकिन जब वो जन्म के दुसरे दिन मुस्कराई और उसके गालो पर गढ्ढे पड़ते देखा तभी समझ गई की हमारी एंजेल तो बिलकुल वैसी ही होनी है जैसी हमने सोचा है |
       किन्तु सब आप के मन का हो ही जाये ये भी नहीं होता है ना हमने तो इसके जन्म का दिन भी तय किया था आज से 11 दिन बाद का, सब ठीक था किन्तु बीच में डाक्टरों ने अपनी कमाई के लिए ऐसा डराया की जानते हुए भी बेफकुफ़ बन गए क्या करे जब बात बच्चे पर किसी तरह के खतरे की हो तो सभी जान कर भी बेफकुफ़ बनने में ही अपना भला समझते है , वैसे अंत में  ये १६ अप्रैल का दिन भी मैंने ही चुना था डाक्टर के दिए चार दिनों में से | 
                                               दुनिया की ये परम्परा रही है की पिता अपने बेटो को अपना नाम देते है जार्ज और लुई से चला ये रिवाज बुश तक पहुँच गया और हमारे यहाँ भी पिता का नाम जोड़ा जाता है | पर कभी ये रिवाज क्यों नहीं बना की माँ बेटियों को अपना नाम देंगी, सो मैंने भी तय कर लिया था वो भी हमेशा से, की  अपनी बेटी को तो मै अपना नाम दूंगी | उसके जन्म के बाद शुरू हुई नाम की खोज जो पहला नाम पसंद आया वो था "पार्थवि" जिसका अर्थ पार्वती जी का नाम बताया गया पसंद आया क्योकि पार्वती जी नारीत्व गुणों के साथ ही देवी की शक्ति रूप थी ( बाद में पता चला की ये नाम देवी के शक्ति रूप का ही है यानि दुर्गा को भी "पार्थवि" कहते है ) पर ये मेरा नाम नहीं था सो खोज जारी रखी (अब हम लोग हिंदी के बड़े ज्ञानी तो थे नहीं सो अपने नाम की पर्यायवाची खोजना एक मुश्किल काम था वो भी बिना नेट के) और अंत में हमें मिल ही गया नाम  "अनामित्रा"   दोनों नाम पसंद आया सो हमने उसके दो नाम रख दिये एक घर के लिए "पार्थवि" जो हम दोनों को पसंद था और स्कुल के लिए "अनामित्रा" ताकि दुनिया में वो मेरे नाम से ही जानी जाएगी ( जबकि आज की तारीख में हम अपनी ईमारत में और उसके स्कुल में उसके नाम से जाने जाते है की हम "पार्थवि"  के मम्मी पापा है ) |
                                                           कहते है की नाम का असर बच्चो पर होता है इसी का नतीजा है की उनमे जहा लड़कियों वाले सारे गुण, सजना सवरना खुबसूरत दिखने का प्रयास करना गुडियों से खेलना है तो साथ में शारीरिक दम ख़म वाली और अपनी शक्ति दिखाने वाले भी गुण है | पार्क में गई तो ज्यादातर लड़को के साथ ही खेलती है क्योकि वही दौड़ने उछलने कूदने और शरारत करने में इनका साथ देते है | स्कुल में रेस में भी भाग लिया और पहला स्थान पाया , पाना ही था रोज मुझे पकड़ कर पार्क ले जाती और ८-१० साल के लड़को के साथ रेस करके अपना अभ्यास करती थी बिना मेरे कहे खुद से | अब नाम के साथ जुड़ा गुण है तो उसके साथ जुड़े दोषों से कैसे दूर रह सकती थी सो नाम के साथ जुड़े दोष भी है वो है गुस्सा और गर्मी | गुस्सा हर समय नाक पर और १८ के तापमान में भी कहना की गर्मी लग रही है |
                                           उनके जन्म के बारे में जान लिया नाम के बारे में जान लिया और उनके स्वभाव के बारे में जान लिया अब हमारी एंजेल की कुछ फोटो सोटो भी देख लीजिये |


                 

पचपन से कैमरे के लिए पोज  देने की आदत है इन्हें | बचपन में कभी भी इनकी कोई शरारत मै सुट करना चाहती भी थी तो कैमरा देखते ही ये वो करना छोड़ कर बस कैमरा ही देखने लगती थी | देखिये अभी भी कैसे कैमरे के लिए पोज दे रही है |

अपने लम्बे बालो से बड़ा प्यार है इन्हें क्या मजाल की कोई हाथ भी लगा दे या उन्हें कटवाने की बात कर दे और हर समय इन्हें खुले बाल चाहिए , फैशन है | जन्म से अभी तक इसका मुंडन नहीं हुआ है, अब कराना तो भगवान के बस में भी नहीं है अब तो देर भी हो गई है और वो और भी लम्बे हो चुके है |

बस एक बार सैंटा मिल जाये फिर तो खिलौनों की इतनी लम्बी लिस्ट बनेगी की पूरा साल सैंटा हमारे ही घर खिलौने डिलेवर करते रह जायेंगे |


    तीसरे जन्मदिन की फोटो है बार्बी बनने के लिए बार्बी पार्लर गई थी और चुपचाप बैठ कर इस तरह तैयार हुई बाल बनाये की सब आश्चर्य कर रहे थे , तीन साल में ही ये हाल है  बड़ी हो कर क्या करेंगी |

भला हो सागर ब्रदर्स का जो उन्होंने मुझे कृष्ण के रूप में संतान पाने की इच्छा पूरी करवा दी | नया वाला कृष्ण (कृष्णा ) देख कर ये भी मुझे काफी दिनों तक मैया मैया कह कर पुकारती थी |  लग रही है  ना पूरी कृष्ण जैसी |

                                   


देखा हमारी परी कितनी प्यारी है  और बच के रहिएगा अपने मैजिकस्टिक से सभी को फ्राग बना देती है  |
 

हम बड़े भी पहले बचपन में अपने शौक में बच्चो में नई नई आदते डाल देते है फिर जब बच्चे बड़े होने पर वही करते है तो हम शिकायत करते है | अब देखिये ६ माह की है बड़े आराम से गॉगल लगा कर बैठी है क्या मजाल की गिर जाये, अब बड़े हो कर जब बिना गॉगल के बाहर नहीं जाती तो हम कहते है की कितना फैशन करती है |


                   सब तो हो गया अब इनकी शरारतो का और मीठी सी मुस्कान का एक वीडियो देखिये, जरा देखिये तो क्या चीज ये बड़े जतन मेहनत और चाव से खाने का प्रयास कर रही है |




चलते चलते
                                                                   आज चलते चलते में हमारी डॉल का किस्सा | इन्हें सिखाने के क्रम में हमने उन्हें सप्ताह के नाम सिखाये केवल सात दिनों में ये नाम याद कर ली, हमारा उत्साह बढ़ गया सो सोचा की इन्हें महीनो के नाम भी सिखा दे | अब हमने कोई किन्नर गार्डेन का कोर्स तो किया नहीं है जो पता रहे की बच्चो को सिखाना कैसे है सो हमसे सीधे कहा की "बाबु वन इयर में 12 मंथ होते है " इन्होने फाटक से सवाल दागा " मॉमा इयर क्या होता है " तब समझ आया की बच्चो को इस तरह हम नहीं समझा सकते है, फिर भी कोशिश जारी रखा और सोचा की इन्हें इनके मतलब की बातो से समझाते है तो ये जल्दी समझ जाएँगी | हमने कहा कि " बेटा तुम्हारा फर्स्ट बर्थ डे जब हुआ तब तुम वन इयर की हुई सकैंड में तुम टु इयर की हुई थर्ड में थ्री इयर की अब तुम्हारा फोर्थ बर्थ डे आ रह है तुम फोर इयर की हो जाओगी | ये रुकी कुछ सोचा फिर बोला " मॉमा फोर्थ बर्थ डे पर आई हैव फोर इयर(कान) सो हाउ मेनी आइस (आँखे ) मॉमा" | जवाब आप के पास हो तो जरुर दीजियेगा मै तो अभी नहीं दे पाई हूँ |

                                                        आज मेरी प्यारी सी परी को उसके जन्मदिन पर ढेर सारा आशीर्वाद दीजिये ताकि जीवन में वो हमेशा खुश रहे और वो सब पाए जो उसे एक सफल इन्सान बनने में सहयोग करे |
लीजिये खाइये उनकी पसंद का डोरा केक और पूरा ब्लॉग भी उनके पसंद के पिंक कलर में है | मेरी तो पार्टी अभी बाकि है और दस दिन और ब्लोगिंग से छुट्टी अभी बाकि है |

April 06, 2011

आज मेरे ब्लॉग पर बस ये लिंक है - - - - - - mangopeople

आज मेरे ब्लॉग पर बस ये लिंक है यदि आप की इच्छा हो तो यहाँ जा कर मेरे विचार पढ़ ले यदि इच्छा  हो तो वही टिपण्णी भी दे दे नहीं देना है तो भी कोई बात नहीं नहीं आप समय निकल कर पढ़ ले मेरे लिए यही बहुत है | यहाँ टिपण्णी न दे यहाँ के टिपण्णी विकल्प को बंद समझे | 
एक तो तकनीकी  जानकारी कम है उस पर से आज कल समय भी नहीं मिल रहा है इसलिए टिप्पणी का विकल्प बंद नहीं कर पाई लेकिन आप इसे बंद ही समझे इस पोस्ट के लिए यदि इच्छा हो तो वही पर कुछ विचार रखे | धन्यवाद |

April 02, 2011

विश्वास नहीं हो रहा है ,तो कर लीजिये हम सच में विश्वकप जीत चुके है - - - - -mangopeople

                                                      विश्वास नहीं हो रहा है , 
                             तो कर लीजिये
                  हम सच में विश्वकप जीत चुके है 
           अरे मिठाई खरीदने और खाने की फुरसत कहा है  पहले इस पल का आन्नद तो उठा ले |
                 मुबारक हो आप सब को 

April 01, 2011

ब्लॉग ब्लॉगर और स्वप्न सुंदरी - - - - - mangopeople

चमेलिया जी की मुड बिलकुल ख़राब चल रहा था कुछ दिन से घिसु का व्यवहार ही बिलकुल बदल गया था रहे रहे अकेले में ही मंद मंद मुस्कराने लगता या कभी उसकी हंसी निकल जाती तो कभी अचानक से उग्र हो जाता था और पत्नी की हर बात ही उन्हें बुरी लगने लगती थी " तुम नारीवादी समझती क्या हो अपने आप को " अपने लिए नारीवादी शब्द सुन कर उसे धक्का सा लग जाता था | एक दिन तो हद ही हो गई जब वो अपने बचपने के दोस्त रहीम से भीड़ पड़े " साले तुम लोग तो हमारी खाते हो और उनकी बजाते हो वही क्यों नहीं चले जाते "| न दोस्तों रिश्तेदारों से मिलना न कही आना जाना सुबह शाम या कहे कभी कभी तो रात रात भर बस कंप्यूटर के आगे बैठे रहना और खटकगिरी करना | एक दिन परेशान हो कर चमेलिया जी ने पूछ ही लिया की आखिर तुम इस पर करते क्या हो मुझे लगता है की इसी के कारण तुम दिन पर दिन बदलते जा रहे हो अभी के अभी बताऊ मुझे की क्या चक्कर है नहीं तो उठा कर इस टिन के डब्बे को बाहर फेक देती हूँ | धीसू समझ गया की आज तो बताना ही पड़ेगा |   धीसू बोला "कुछ नहीं है मै यहाँ ब्लोगिंग करता हूँ कुछ अपने मन की लिखता हूँ कुछ दूसरो की मन की पढ़ता हूँ बस और कुछ नहीं है "
 "अच्छा ! इ ब्लोगिंग तो बड़े बड़े सेलिब्रेटी लोगो के चोचले है उनका लिखा तो सब पढ़ने के लिए आतुर है तुम कौन से बड़े आदमी हो और तुम्हारा लिखा और तुम्हारे बारे में जानने के लिए कौन बेफकुफ़ बैठा है " चमेलिया जी बोली |
 " अरे तो मुझको क्या किसी सेलिब्रेटी से कम समझती हो क्या , देखो कितने आते है मुझे पढ़ने के लिए मै ब्लॉग जगत का जाना माना नाम हूँ "  घिसु ने फट से जवाब दिया |
 " अच्छा तो इ बात है मुझे भी सिखा दो न ये ब्लोगिंग करना |" चमेलिया जी ने झट सेलेब्रिटी बनने की इच्छा से कह दिया |
 "अरे तुम ब्लोगिंग करोगी तो खाना कौन बनाएगा और ये सब तुम्हारे बस की बात नहीं है ब्लॉग लिखने के लिए लेखन प्रतिभा का होना जरुरी है ये तुम में कहा है और तुम्हारी रूचि भी इन चीजो में नहीं है दो दिन करके छोड़ दोगी " घिसु ने फटाफट जवाब दे दिया |
 "अच्छा तो मै क्या सारे दिन खाना ही बनाती रहती हूँ , ठीक है जाने दो | " इतना कह चमेलिया जी वहा से चली गई  और घिसु ने सोचा चलो पिंड छुटा नहीं तो यदि इनको सिखा देता तो ब्लॉग जगत में मै क्या क्या ढींगे मारता हूँ अपना एक अच्छा सा इमेज बना रखा है सब इनको पता चल जाता और मुझे ब्लॉग जगत से भागना पड़ता | लेकिन वो तो मुगालते में था दुसरे दिन ही चमेलिया जी घिसु के जाते ही कंप्यूटर पर बैठ गई और ब्लॉग खोल पढ़ने लगी कुछ महीनो तक ये चलता रहा पर उनको घिसु नाम का कोई ब्लोगर नहीं मिला किन्तु एक दिन उन्हें घिसु मिल ही गया, फोटो से पकड़ा गया नाम तो बदल कर उसने राहुल कर लिया था किन्तु चेहरा कैसे बदलता सो पकड़ा गया महीने भर उसकी पोस्ट पढ़ इतना तो समझ गई की घिसु बहुत बड़ा फेकू है और जो निजी जीवन में कभी कुछ नहीं कर सहा वो यहाँ आभासी दुनिया में जेम्स बांड बना फिर रहा है | पर उसे खोजने के चक्कर में वो पुरे हिंदी ब्लॉग जगत के "चाल" और "चलन " को अच्छे से समझ गई और ये भी समझ गई की घिसु यहाँ नाम बदल कर है, इसलिए अब मुझे भी नाम बदल कर इस मैदान में उतरना होगा और देखना होगा की आखिर घिसु यहाँ कर क्या रहा है कही किसी के साथ नैन मटका तो नहीं कर रहा या मेरे खिलाफ कोई  साजिस तो नहीं कर रहा क्या पता अपना दुखड़ा यहाँ रो रो कर मेरी इमेज ख़राब कर रहा हो थोड़ी उसकी मन की थाह लेनी होगी और फटाफट चमेलिया जी ने एक ब्लॉग बना दिया और नाम रखा अपनी फेवरेट वाली हेमा मालानी के नाम पर "स्वप्न सुंदरी" और फोटो लगा दी अपनी एक पुरानी सुन्दर सहेली की | चुकी उन्हें ब्लॉग जगत का "चाल" और "चलन" पता चल चूका था सो वो पहले ही सभी को प्यारी प्यारी और सभी के इगो की मालिश करने वाली टिप्पणिया दे दे कर अपनी मुरीद बना चुकी थी लोग तो उन्हें अपना ब्लॉग बना कर लिखने की मिन्नतें तक करने लगे थे नतीजतन उनकी पहली ही पोस्ट सुपर हिट हो गई और टिप्पणियों की संख्या सौ के पार चली गई  टिपण्णी करने वालो में घिसु भी था | " वाह आप क्या लिखती है मै तो पहले से ही कह रहा था की आप कुछ लिखिए आप के अन्दर छुपे लेखन प्रतिभा को तो मै पहले ही समझ गया था आप जैसे अच्छा लिखने वालो के दम पर ही ये हिंदी ब्लॉग जगत टिका है आप जैसी प्रतिभावान महिलाओ को हिंदी ब्लॉग जगत को और ऊपर उठाने और आगे ले जाने में सहयोग करना चाहिए | बहुत अच्छा लिखती है लिखती रहिये किसी सहयोग की जरुरत हो तो बन्दे को याद कीजियेगा फिर हम तो एक ही शहर से भी है |"  बस फिर क्या था चमेलिया जी को यही तो चाहिए था फट उन्होंने घिसु के मेल कर अपना फेक मेल आई डी दे दिया ताकि बात कुछ आगे बढे किन्तु साथ ही उन्हें गुस्सा भी आ रहा था की पत्नी के लिए तो खाना कौन बनाएगा का जूमला बोला जाता है और बाहर की महिलाओ के लिए ये सब, खूब बेटा घिसु खूब कही एक बार तुम्हारी मन का थाह ले लू फिर बताती हूँ तुमको | फिर तो शुरू हो गया दोनों के बीच विचारो का आदान प्रदान और धीरे धीरे ये विचारो का आदान प्रदान घिसु की तरफ से दिल का लगाना बनने लगा | किन्तु स्वप्न सुंदरी का घिसु अकेला दीवाना नहीं था यहाँ तो कई लाइन में लग गए क्या बूढ़े ??? क्या जवान सब उनके दीवाने हो चले और ये दीवानगी उन्हें मिलने वाली टिप्पणियों में दिखने लगा और उन्हें फलो करने वालो की संख्या महीने भर में ही तीन सौ के पार हो गई | उन पर पोस्टे लिखी जाने लगी उनकी तारीफों के बड़े बड़े पुल बना दिए गए ब्लॉग जगत के सभी बड़े पुरस्कार ???  उन्हें दे दिया गया कुछ ही महीनो में वो एक बड़ी ब्लोगर बन गई | आखिर उन्हें भी दिखाना था धीसू को की वो किसी बात में उससे कम नहीं बल्कि ज्यादा ही है |
                                                                            ब्लॉग जगत में विचरण करते हुए उन्हें पता चला की एक ब्लोगर है जो पक्का नारीवाद का विरोधी है हर मामले में ही महिलाओ का विरोध करता है उसको लगता है की महिलाओ को तो घर में रह घर गृहस्थी संभालनी चाहिए उन्हें तो बस बच्चे पैदा करना और उनकी देखभाल करनी चाहिए और अपने पति की सेवा करनी चाहिए | पढ़ कर चमेलिया जी को बहुत गुस्सा आया सीधा उसके ब्लॉग पर गई और उसका प्रोफाइल चेक किया नजर फोटो पर गई तो लगा जैसे कोई पहचाना चेहरा है कही तो देखा है इनको, दिमाग पर जोर डाला तो पता चला अरे ये तो जौनपुर वाली बुआ के दामाद है | उन्हें पहचानते ही चमेलिया जी की हंसी निकल गई और वो हंसते हंसते लोट पोट हो गई अच्छा तो ये मुगलसराय वाले जीजा है बेचारे ये सब यहाँ न कहे तो क्या करे घर में मेरी दबंग दीदी इनको कुछ कहने तो देती नहीं है बेचारे उसके सामने मुंह भी नहीं खोल पाते है और कुढ़ कर रह जाते है एक तो दीदी दबंग उस पर से उसकी नौकरी भी इनसे अच्छी है उसका जलन अलग बेचारे अपनी पत्नी को तो कुछ कह नहीं पाते है सो अपनी पूरी भड़ास यहाँ दूसरी महिलाओ को ऊपर निकालते है | वो समझ गई ये तो दया के पात्र है इन्हें कुछ कहना ठीक नहीं है बेचारे अब यहाँ पर अपनी भड़ास न निकाले तो और क्या करे |
                                                        अब तक जो हाल घिसु का था वो चमेलिया जी का होने लगा चावल गैस पर रखा और भूल गई, लगी नई पोस्ट के बारे में सोचने जब तक मन में पोस्ट पक कर तैयार हुई उतने में तो चावल जल गया | ये रोज की बात होने लगी कभी रोटी कच्ची तो कभी सब्जी जली कभी बाजार से कुछ का कुछ सामान आ जाता था तो कभी घर गन्दा ही पड़ा रहा जाता क्योकि वो लोगो को टिपियाने में व्यस्त रहती तो कभी किसी को गरमा गर्म बहस का जवाब दे रही होती तो पीछे से कुकर सिटी मारता रह जाता | जब बेचारा घिसु इस बारे में पूछता तो कुछ ऐसा बोल देती की बेचारा वो भी स्वप्न सुंदरी के खयालो में खो जाता और कच्चा पक्का सब बिना ना नुकुर के खा जाता |
                                                  इधर घिसु की हालत और भी ख़राब होने लगी वो तो दिन रात बस स्वपन सुंदरी के सपने में खोया रहता था और घर का एक काम भी नहीं करता था | परेशान हो कर चमेलिया जी को ही  काम के लिए सरकारी दफ्तर जाना पड़ा | सामने बैठा आदमी उबंसी ले रह था उससे कहा की मुझे ये फाइल जमा करनी है कहा करू उसने बेमन से फाइल को देखा और कहा करनी तो यही है रखा दीजिये | बड़ा रूखे से बोला, बगल में बैठे दुसरे लोग हंसी मजाक में व्यस्त थे तो उसने उनसे भी बड़ी रूखे से कहा की "आप लोगो को हंसी ठठे के आलावा और कुछ नहीं आता है जब देखिये तब बस मजाक करना हँसना समय की बर्बादी | " सब चुप हो गए वहा बैठी महिला ने चमेलिया जी को अपने पास बुलाया और पूछ "क्या काम है हमें बताइए उन्हें छोडिये बड़े नीरस और बोरिंग आदमी है इसीलिए किसी से उनकी मित्रता नहीं है उनके पास कोई बैठ जाये तो आदमी बोरियत से मर जाये जीवन में आन्नद का मतलब ही उन्हें नहीं पता सो दूसरो को भी हँसता देख इन्हें कष्ट होता है "| चमेलिया जी एक बार फिर उनकी तरफ देखने लगी वो अपने आँखे से चश्मा निकाल कर अपनी आँखे पोछ रहे थे | चश्मा उतारते ही चमेलिया जी ने उन्हें झट से पहचान लिया अरे ये तो ब्लॉग जगत के हास्य सम्राट है ये देखते ही चमेलिया जी का मुंह खुला का खुला ही रह गया | अरे मेरी ब्लॉग पर इनसे कितनी पटती है हमारे हंसी मजाक वाले टिप्पणियों के आदान प्रदान होता रहता है  इनके हास्य के सभी कायल है और ये निजी जीवन में कितने बोरिंग और नीरस है इन्हें तो दूसरो का हँसना भी नहीं गवारा है | हे प्रभु ये कैसी दुनिया है और ये कैसी आभासी दुनिया है जहा आदमी कुछ  का कुछ बन जाता है |
                                                                      पुरे ब्लॉग जगत में ब्लोगर मिट की धूम थी चमेलिया जी को लगा की इस बार जब घिसु ब्लोगर मिट में जायेगा तो वो भी उसकी पत्नी की हैसियत से साथ हो लेंगी और कुछ लोगो से मिल भी लेंगी | जब घिसु जाने लगा तो उन्होंने भी साथ चलने की इच्छा जाहिर कर दी इस पर घिसु ने फिर भाव मारा " अरे वो कोई तुम्हारे भाई की शादी है जो तुमको ले के चलू, वहा सभी विद्वान जन आयेंगे वहा पर बड़ी बड़ी बौद्धिक बाते होंगी नए नए विचारो का जन्म होगा ब्लॉग जगत की तरक्की की बाते होंगी तुम्हारे तो पल्ले भी नहीं पड़ेगा कुछ वो तुम्हारे जाने लायक जगह नहीं है | " बेचारी मन मसोस कर रह गई किन्तु दुसरे दिन उनका माथा ठनका जब मिट की फोटो उन्होंने ब्लॉग पर देखा और माथा पिट लिया | पता चला की ब्लोगर मिट के नाम पर बस मिलना मिलाना, हंसी ठठा और जाम टकराए गए साथ में रात का सुरूर चढ़ने पर वो सब भी हुआ जो उनकी भाई की शादी में जीजा लोग पीने के बाद करते है | उन सब में घिसु भी था और उन फोटो पर वैसे ही टिप्पणिया भी आई जैसी शादी के दुसरे दिन जीजा लोगो की कारस्तानी सुन दीदी लोग खीसे निपोर कर करती है | यानि कुल मिला कर वो बौद्धिक मिलन कम भाई की शादी ही निकली |
                                       एक दिन वो बाजार जाने के लिए घर से निकली तो देखा कुछ दुरी पर मजमा लगा है और दो अल्ट्रा मार्डन छोटे छोटे कपडे पहने लड़किया एक युवक को पिट रही है, वो भी मजे लेने के लिए वहा चली गई और पूछ क्या हुआ तो पता चला की लड़का एक साथ दो दो लड़कियों के साथ चक्कर चला रह था आज पकड़ा गया दोनों उसकी पूजा कर रही है | उन्होंने सोचा की रोकना चाहिए पूछा कितने देर से ये पिट रहा है बगल वाला बोला मै तो बीस मिनट से देख रह हूँ तो ठीक है दस मिनट और पिट लेने दीजिये फिर रोकते है | आधे घंटे होते ही चमेलिया जी ने इन दो लड़कियों को रोका "अब बस करो इसे पिटना, हाल देखो अपने हाथो का, उनमे दर्द होने लगेगा और अब और इसे पिटा तो तुम्हारी सैंडिल भी टूट जाएगी फिर घर क्या पहन कर जाओगी |" लड़का जो बेचारा कब से अपना चेहरा निचे कर उसे बचाने का प्रयास कर रहा था उसमे थोड़ी हिम्मत आ गई वो खड़ा हो गया उसके देखते ही चमेलिया जी की आँखे बड़ी बड़ी हो गई अपने दोनों हाथो को अपने गालो पर रखते  हुए जोर से कहा "तुम" ये सुन लड़का थोडा सकपका गया सोचने लगा की ये कौन है कही मेरी कोई रिश्तेदार तो नहीं | चमेलिया जी ने आगे कहा की " तुम तो वही हो ना जो ब्लॉग पर लिखते हो की लड़कियों को ढंग से रहना चाहिए माँ बाप का कहना मानना चाहिए उन्हें लड़को से दोस्ती नहीं करनी चाहिए उन्हें छोटे छोटे कपडे नहीं  पहनने चाहिए लड़कियों को शालीनता का पाठ पढ़ाते हो और लड़कियों को लड़को के बिगड़ने का दोषी तक मान लेते हो " | ये सुन लड़किया बिलकुल चौक गई और कहा " ये बेफकुफ़ ब्लॉग लिखता  है और उसपे ये सब लिखता है | अरे हम कभी भारतीय कपड़े पहन ले तो कहता है की क्या बहन जी की तरह बन कर आई हो मेरी गर्ल फ्रेंड बनना है तो मार्डन कपडे पहन कर आया करो " | चमेलिया जी बोली " यदि मै पहले इसका चेहरा देख लेती तो इसे आधे घंटे और पिटता छोड़ देती रुको तुम लोग काफी दिन से इसे टिपिया टिपिया कर सुधरने को कह रही थी पर ये सुधर नहीं रहा था आज इसे पिटवा कर सुधारती हूँ " वो भीड़ की तरफ मुड गई : कैसे निर्लज्ज लोग है आप सब दो बेचारी मासूम लड़किया इसे अकेले पिट रही है और आप लोग चुप चाप खड़े खड़े देख रहे है इसे पिट पिट कर इन बेचारियो के हाथ में छाले पड़ गए और इस कम्बखत का तो मुंह भी नहीं सुजा क्या आप के घर में माँ बहन नहीं है क्या,  वो अकेले किसी को ऐसे मारती रहेंगी और आप खड़े  खड़े  देखते रहेंगे आप उनकी कोई मदद नहीं करेंगे लानत है आप लोगो पर पीटीए इसे जब तक इसका मुंह सूज ना जाये जिसके बल पर ये लड़कियों को फंसाता है | " चमेलिया जी के जोशीले भाषण से सभी में जोश आ गया और सब टूट पड़े उस पर चमेलिया जी ने भी उस पर अपने हाथ साफ कर अपनी भड़ास निकाली और उसे भीड़ के हवाले कर घर आ गई |
                                                                              घर आ कर मेल चेक किया तो वहा घिसु का प्रणय निवेदन पड़ा मिला पढ़ कर मारे ख़ुशी के उनका जी भर आया लेकिन तभी उन्हें याद आया की ये तो मेरे लिए नहीं स्वप्न सुंदरी के लिए है ये सोचते ही उनका पारा सातवे आसमान पर पहुँच गया " आज आने दो इस घिसु के बच्चे को आज इनको मै नही छोड़ने वाली हूँ बहुत देख लिया सपना अब इन्हें सपने से जगाने का समय आ गया है | " तुरंत मेल का जवाब दिया और घिसु से मिलने के लिए जगह लिख उसे उसी दिन बुला लिया | वहा आफिस में घिसु सारे दिन बस अपना मेल ही खोल कर बैठा था न जाने उधर से क्या जवाब आये कही उसका दिल न टूट जाये कही वो बुरा न मान जाये कही मुझसे बात करना ही न छोड़ दे | पर जब जवाब पढ़ा तो उसके पैर ही जमीन पर नहीं पड़ रहे थे | फटा फट आफिस में पत्नी के बीमार होने का बहाना बना वो वहा से निकल पड़ा ताकि अपनी स्वप्न सुनदरी के लिए वो कुछ अच्छा सा उपहार ले सके | इधर चमेलिया जी भी घर पर बेलन झाड़ू जैसे अपने हथियारों को दुरुस्त करने लगी आज आने दो घर पर इनका सारा भुत उतार दूंगी | तभी बाहर से बच्चो का शोर आने लगा देखा कोई व्यक्ति बच्चो को डांट रहा था वो भी बाहर आ गई वहा पहुंचते ही वह आदमी इन्ही की तरफ मुखातिब हो गया और कहने लगा "देखिये कितने बदमाश बच्चे है कहते है स्कुल की तरफ से दान देने के लिए पैसे चाहिए सभी से दस दस रुपये जमा कर रहे है सब नौटंकी है ये स्कुल वाले एक रुपये नहीं देते है सब इनके जेब में जाना है फिर दान गे भी तो  स्कुल की तरफ से जाने वाला है हमारा कौन सा नाम होगा और ये बच्चे जबरजस्ती मुझसे पैसे मांग रहे है दान वान देने के चोचले मै नहीं करता हूँ " वो आदमी बोलता जा रहा था और चमेलिया जी उसका चेहरा देखे जा रही थी | तभी पीछे से आवाज आई " अरे आप यहाँ क्या कर रहे है " चमेलिया जी ने पीछे मुड कर देखा तो वो उनके मोहल्ले में नई नई आई मीना थी | मीना ने तुरंत परिचय कराया की ये मेरे पति है दोनों ने उन्हें मुस्करा के देखा और चले गए | और चमेलिया जी सोचने लगी ये तो हमारे गुप्ता जी थे जो ब्लॉग पर बड़ा ढींगे हांकते है की वो बड़ा समाज सेवा कर रहे है बड़े भले आदमी है सभी की चिंता है उन्हें और साथ में स्वप्न सुंदरी के करीब आने का प्रयास करने वालो में ये भी एक है और इनकी इतनी अच्छी सी पत्नी को कुछ पता ही नहीं है | चमेलिया जी ने तुरंत ही अपनी पोल खोलने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया सोचा की मुझे इसमे उन सभी पत्नियों को शामिल करना चाहिए जो अपने पतियों के ब्लोगिंग से त्रस्त है और जो जानती ही नहीं की उनके पति ब्लॉग जगत में और दुसरे सोसल साईट पर बैठ कर क्या क्या कर रहे है | उन्होंने ठान लिया की वो ऐसे सभी पतियों की पोल खोलेंगी और अपनी तरह ही उनकी पत्नियों को भी  फेक ब्लॉग या दुसरे साईट पर झूठा प्रोफाईल बना कर अपने पतियों की सारी कारस्तानी दिखाएंगी |
                                      आज महिना भर हो गया चमेलिया जी के सपथ लिए न जाने किन किन की पत्नियों ने न जाने किन किन नामो से अपना ब्लॉग बनाया होगा या दुसरे साईट पर अपना प्रोफाइल बनाया होगा पता नहीं कौन कौन अपनी ही पत्नी से चैट कर कर खुश हो रहा होगा, पता नहीं कितने ही ब्लॉगर जो घर की मुर्गी साग बराबर मान कर पत्नी के विचारो को जरा भी भाव नहीं दे रहे थे वो ब्लॉग पर उनके तारीफ में कविताए लिख रहे हो या लम्बी लम्बी टिप्पणिया दे रहे हो उन्हें महाश्वेता देवी से लेकर महादेवी वर्मा तक का ख़िताब दे रहे हो, पता नहीं कितनी पत्निया ब्लॉग पर पति का नया रूप देख कर आश्चर्य में पड गई हो ,पता नहीं कितनी पत्निया उनकी लम्बी लम्बी फेकू बाते पढ़ हंस हंस के लोट पोट हो रही हो पता नहीं - - -- - - - --और बेचारे ब्लॉगर पति ये सोच की उनके बारे में घर पर किसी को पता ही नहीं कुछ भी लिख रहे हो | अब उन्हें क्या पता की उनके जाने के बाद पत्निया उनकी खबर रखने के लिए क्या क्या कर रही है |
                 
नोट ----- ब्लॉगर इसे अप्रैल फुल का मजाक ना समझे सच में चमेलिया जी "ब्लॉग पीड़ित पत्नी संगठन " बना चुकी है और अपने काम पर भी लग गई है सो ऐ भाई जरा देख कर टिपियाइये फिर ना कहियेगा की मैंने बताया नहीं |