दक्षिणभारतीय गुरु ने मेरा डांस वही रोक दिया जब मैंने सीता हरण के दृश्य में रावण को सीता का हाथ पकड़ खींचते दिखाया | अरे भाई ये तुमने क्या किया रावण ने सीता का हाथ कैसे पकड़ लिया सीता इतनी पवित्र थी , भला रावण की हिम्मत कैसे थी की वो उन्हें हाथ लगा देता | फिर मुझे पता चला की रामायण के अनेको वर्जन में से दक्षिणभारतीय वर्जन में रावण हरण के समय सीता का हाथ नहीं पकड़ता बल्कि उनके लक्ष्मण रेखा के बाहर आने पर जहाँ वो खड़ी होती हैं वहां की धरती सहित उन्हें उड़ा लेता हैं |
आश्चर्य हुआ इस पर , नये वर्जन से नहीं ,स्त्री को लेकर पवित्रता की इस भारतीय सोच से | कोई पराया मर्द गलत सही नियत से स्त्री को हाथ लगा दे तो स्त्री की ही पवित्रता नष्ट हो जाती हैं | स्त्री की पवित्रता शुद्धता इसमें हैं कि पराया मर्द की उंगली भी उसे ना छू जाए , हा अपना मर्द उसके साथ जो चाहे करे , चाहे उसमे उसकी मर्जी हो या ना हो | वो चाहे तो उसे प्रेम करे चाहे तो उसे पीट दे | वैसे गलत सही नियत से किसी पराई स्त्री को छूने वाले उस पराये पुरुष की पवित्रता का क्या होता हैं इस बारे में कही कुछ शायद नहीं लिखा बोला गया हैं | या तो उसकी पवित्रता को कुछ नहीं होता हैं या ये पवित्रता जैसी बाते बस स्त्री के लिए ही होती हैं |वैसे कुछ सवाल पूछने की इच्छा थी कि जब सीता पवित्र थीं तो फिर उनकी अग्नि परीक्षा क्यों ली गई और सूर्पनखा के नाक कान काटते समय लक्षण ने मर्यादा का पालन करते हुए बिना छुए ये काम किया था या मर्यादा तोड़ी थी | नहीं पूछा ये सवाल जानती थी जिस बात का जवाब ही नहीं होगा उसे क्या पूछना | लेकिन समस्या ये हैं कि पुरातन समय में लिखी गई कथा और उसकी सोच का आज भी पालन होता हैं | आज भी स्त्री की पवित्रता चरित्र को लेकर ऊँचे मानदंड रखे जाते हैं |