May 26, 2018

श्रृंगार प्रेम है वासना नहीं -------mangopeople

   
हम अपने परिवार के सभी सदस्यों से जैसे चाहे वैसे अपने प्रेम का प्रदर्शन कर सकते है | माँ की गोद में सर  रख सो गए , भाई बहन को गले लगा लिया , पिता का हाथ पकड़ पार्क में दौड़ भाग लिए , दोस्तों के कंधे पर हाथ रख बतिया लिया , तो अपने बच्चो को  हमने चुम लिए | ये सभी हमारे परिवार के सदस्य है और हम सार्वजनिक रूप से इन सभी  के साथ अपने प्यार का इजहार भावनात्मक रूप से और शारीरिक रूप से कर सकते है | समाज और लोग सभी सहज और सामान्य रहते है उन्हें कोई समस्या नहीं होती , लेकिन जैसे ही बात जीवनसाथी पति या पत्नी की आती है उनके प्रेम दर्शाने के तरीको पर तुरंत  पाबन्दी लगा दी जाती है | कितना अजीब है ना जिन दो लोगो को प्रेम से रहने के लिए जोड़ा जाता है उनके ही प्रेम का प्रदर्शन समाज  स्वीकार नहीं करता है | शारीरिक ( गले लगाना ,  हाथ पकड़ना , करीब बैठे रहना ,  चूमना ) तो दूर की बात यहाँ भावनात्मक रूप से भी प्रेम के प्रदर्शन पर लोगो की भवे तन जाती है |  ऐसा नहीं है की हमारी संस्कृति में प्रेम था ही नहीं कृष्ण और राधा का होना बताता है कि प्रेम हमारी संस्कृति धर्म का हिस्सा  है | एक कदम और बढे तो रति और कामदेव के रूप में पति पत्नी के प्रेमी जोड़ी भी विद्यमान है | जहा शिव पार्वती और राम सीता सात्विक जोड़ियां थी वही विष्णु  लक्ष्मी और रति कामदेव के रूप में रजो जोड़े  का होना बताता है कि कम से कम धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से ये हमारे लिए यह वर्जित नहीं है | मंदिरो , स्तूपों और गुफाओं में हजारो आलिंगनबद्ध , प्रेमरत , श्रृंगारिक मुर्तिया और पेंटिंग गवाह है कि ये भारतीय समाज के लिए वर्जित कभी नहीं थे |  फिर न जाने कब हमारे समाज ने पति पत्नी के बीच से श्रृंगारिक प्रेम को निकाल दिया और उनके प्रेम दर्शाने को लज्जा का पाप का विषय बना दिया |
                                   


                                                  अंग्रेजो ने हमारे पुराणिक ग्रंथ हमसे पहले पढ़े और श्रृंगार का अनुवाद इरॉटिक यानि कामुकता बना दी ,  जबकि हम प्रेम और  कामुकता (वासना) के फर्क को जानते है | नतीजा हम भारतीय भी इसी घालमेल में फंसते  चले गए और पत्नी प्रेम की जगह भोग्य वस्तु बनती चली गई | इसे बढ़ाने में साथ दिया वो विचार जो तथाकथित भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए उनके नाम की दुहाई  के साथ बोला जाता था | ज्यादा नियंत्रण न हो रहा तो विवाह कर लो , ये सब शादी के बाद , शादी के बाद जो चाहे वो करो ,  आदि इत्यादि इन संस्कृति बचाओ विचारो ने विवाह को शारीरिक जरूरते पूरी करने वाली संस्था और पत्नी को साधन बना दिया | पत्नी प्रेम की जगह कामुक नजरो से देखी जाने लगी उसकी कदर और इज्जत नजरो में गिरती गई | संस्कृति बचाते बचाते  विवाह प्रेम और पत्नी तीनो को मार दिया | पति पत्नी के बीच से प्रेम गायब और बस बची तो वासना नतीजा उनके हर क्रिया कलाप को वासना युक्त समझा गया | आप माँ  बाप भाई बहन दोस्त चाचा चाची जिसे चाहे उसे प्रेम कर सकते है लेकिन जैसे ही बात पत्नी की आती है , प्रेम का स्वरुप बदल जाता है और लोगो की सोच भी | पत्नी का प्यार से हाथ पकड़ लेना , उसे गले लगाना  , उसकी गोद में सर रख सो जाना , उसके करीब बैठ जाना जैसे प्रदर्शन आप कर ही नहीं सकते है  क्योंकि   समाज की नजर में आप पत्नी को प्रेम कर ही नहीं सकते उसे एक ही नजर से देख सकते है और उस वासना युक्त नजर से देख कुछ भी सार्वजनिक रूप से नहीं कर सकते है , वह वर्जित है | नतीजा विवाह है पत्नी  है लेकिन श्रृंगारिक प्रेम के लिए वहां  कोई जगह नहीं है |



             






                                             











     


                   


                                 
               







May 24, 2018

मार्लिन मुनरो प्रेग्नेंट है -------mangopeople

 गोवा में एक फोर्ट में गई और उसके बुर्ज पर बैठ एक अच्छी फोटो खिचवाई और  बिलकुल उसी जगह खड़े हो कर अफसोस किया की कोई वन पीस मिडी या स्कर्ट  क्यों ना पहना आज, वरना आज एक और इच्छा गोवा में पूरी हो जानी थी  | खैर छोटा भाई और उसकी पत्नी यहाँ खड़े हो गए और टायटेनिक वाली पोज़ में , छोटे भाई की पत्नी को बोला जल्दी ठीक से पोज़ बनाओ फोटो लेलु वरना अभी तुम्हारे टायटेनिक का मार्लिन मुनरो हो जाना है , उसने घटनो तक का  वन पीस ड्रेस पहन रखा था | उसके कौन मार्लिन मुनरो के सवाल का जवाब दिया फोटो लेने दो जवाब मिल जाएगा | जल्दी करने के बाद भी बस दो क्लिक ही कर पाई थी और एक जोरदार हवा निचे समंदर से आई और उसके दोनों तरफ फैले हाथ तुरंत स्कर्ट पर आ गये , हम सब हस पड़े , ये है मार्लिन मुनरो समझी | फिर तुरंत उन्हें मार्लिन मुनरो की प्रसिद्द पोज़ वाली फोटो दिखा ज्ञान बढ़ाया गया | टायटेनिक पोज़ वाली फोटो भाई ने फेसबुक पर लगाई सभी ने अपनी श्रद्धानुसार उस पर टिप्पणी दी , लेकिन सबसे धांसू कमेंट सीधे मम्मी को फोन पर मिला शाम को कोलकता वाली मौसी से |  बधाई हो तुम फिर से दादी बनने वाली हो , हमें बताया भी नहीं | मम्मी बोली लो मै फिर से दादी बनने वाली हूँ मुझे ही नहीं पता और तुमको पता चल गया उतनी दूर | फेसबुक पर बहु की फोटो देखी प्रेग्नेंट लग रही थी |
              किस्सा ये था कि मौसी को एक बेटा और बेटी है , दीदी ने जुड़वा बच्चे एक लड़का , लड़की कर एक बार में काम निपटा दिया | लेकिन सुपुत्र को एक बेटी थी और थाइराइड के कारण बहु दुबारा कंसीव नहीं कर पा रही थी , प्रयास करते करते बेटी १० साल की हो गई फिर दवा दारू के बाद बहु ने दूसरे का नंबर लगा दिया | अब इतने समय बाद दूसरा बच्चा और वही सामाजिक ताना बेटे के लिए किया होगा इतने सालो बाद का शायद दबाव , जो भी रहा हो मौसी इस ताक में थी कि कोई और भी दूसरे न नंबर लगा दे तो उनका दबाव कम हो , मुझ तक से पूछ डाला दूसरे के बारे में नहीं सोच रही ,उनकी पोती मेरी बेटी से आठ महीने ही छोटी है और भाई मुझसे एक साल ही छोटा है , मै हँस पड़ी क्या मौसी इस उमर में , दिमाग नहीं ख़राब मेरा | उस समय अंदाजा नहीं था कि वो क्यों पूछ रही है | अब जैसे सावन के अंधे को बस हरियाली नजर आती है उसी तरह उस फोटो में भाई की पत्नी की ड्रेस में थोड़ी सी हवा भर गई थी ठीक मार्लिन मुनरो पोज़ के पहले और उसी से उन्होंने अंदाजा लगा कर बधाई तक दे दी | अच्छी खासी हमारी रोज़ मार्लिन मुनरो को प्रेग्नेंट बना दिया | 
आप कुछ भी पोस्ट लिखिये , कई बार पाठको के मन में अपना ही कुछ चल रहा होता है और वो अपनी श्रद्धानुसार उस पर टिप्पणी दे देते है और पोस्ट और आप कि सोच  का  अंदाजा भी लगा लेते है |












May 23, 2018

मेरी सोनी मेरी तम्मना झूठ नहीं है मेरा प्यार -------mangopeople



ये कलीना यूनिवर्सिटी कैसे जाते है
तुम्हे वहां क्या काम है
मुंबई आये छः महीने से ऊपर हो गए , अभी तक कही भी अकेले जा नहीं सकती , निकलू भी तो कहा।  इस  तरह कोई मुझे तो जॉब देने से रहा मुझे शहर के बारे में कुछ पता ही नहीं है | इसलिए सोचा कॉलेज ज्वॉइन  कर लेती हूँ , रोज बाहर निकलना हो जायेगा , शहर जान जाउंगी तो खुद से ही जॉब देख लुंगी |
अच्छा तो तुम्हे जॉब करना है
क्यों तुम्हे कोई परेशानी है
नहीं नहीं , कोई परेशानी नहीं है
फिर ऐसे क्यों पूछ रहे हो
नहीं , अभी तक हमारे घर में किसी औरत ने बाहर काम नहीं किया है तो ---
तो क्या
मतलब जॉब क्यों करना चाहती हो
अच्छा अच्छा ये बात है | अब  ये  बताओ  कि मुझे अपने मन की बात बतानी है या तुम्हे कन्विंस करना है
क्या ये दोनों अलग चीजे है
बिलकुल
ओके मान लो , ऐसा  इमैजिन करो सोचो की मै कह रहा हूँ मुझे कन्विंस करो तो
तो सुनो ,  ये जो पत्नियों का प्यार होता है ना अपने पतियों के लिए ये सच्चा नहीं होता इसमें मिलावट होती है अपने स्वार्थ की , क्योकि फाइनेंशली अपने पति पर निर्भर होती है ना | अकेले आदमी से शादी करती ही कहा है , पूरा पॅकेज होता है घर है की नहीं,  जॉब कैसी है , कितना कमाता है , आगे भविष्य कैसा होगा उसके साथ |  सब कुछ ठोक बजाने के बाद पति बनाती है |  बहुत सारी  पत्नियां तो  पति को बस  एटीएम मशीन समझती है | कुछ मजबूरी में प्यार करती है कि उनकी सारी जरूरतों की पूर्ति तो पति करता है अब इसे प्यार न करे तो अपनी जरुरत कैसे पूरी होगी | पति अस्पताल चला जाए या  मर मरा  भी जाये तो उसके जाने का गम कम  गम  और चिंता इस बात की ज्यादा होती है कि अब मेरा क्या होगा पैसे कहा से आयेंगे , घर कैसे चलेगा , बच्चो का क्या होगा | उस   बेचारे  के लिए सच्चा रोने वाला भी कोई नहीं होता |   पत्नी तो छोडो रिश्तेदार भी यही उम्मीद करते है , सब तुमको बस एटीएम मशीन समझते है स्वार्थभरा झूठा प्यार करते है | लेकिन मै ऐसा नहीं करना चाहती।  मै तुम्हारे पैसे से नहीं सिर्फ तुम्हे प्यार करना चाहती हूँ , मै तुमको सच्चा , ट्रू , निस्वार्थ प्यार करना चाहती हूँ , समझे  |
हम्म्म

क्या हुआ कुछ बोलोगे ठीक से कन्वेंस नहीं हुए क्या
कलीना कब चलना है
गुर्ररर
अरे चल तो रहा हु अब क्यों गुस्सा हो
मुझे लेगा था मेरे मन की सुनोगे , पूछोगे मै क्या चाहती हूँ , लेकिन नहीं एक नंबर के  स्वार्थी हो बस अपनी पड़ी है  | बस खुद कन्विंस होना है मै क्या चाहती हूँ किसी को पड़ी ही नहीं है |
नहीं मै बस वही पूछने वाला था
 मिस्टर निश्चल आज की तारीख लिख लो आज से हर बात केवल तुम्हे कन्वेंस करने वाले ही तरीके से बताई जायेगी  और देखना ये तुमको कितना भारी पड़ने वाला | गुर्ररर

#अधूरीसीकहानी_अधूरेसेकिस्से

May 12, 2018

पंजाबी लडके को मद्रासी लड़की से प्यार हुआ और शादी हो गई ------mangopeople



शादी के कुछ ही महीने हुए थे  एक शाम निश्चल मै सब्जी लेने के लिए निकले , उसके पहले उन्हें बनारस की ढ़ेर सारी बाते बता रही थी, बताते बताते पुरे बनारसी मूड में आ गई थी | बाहर निकल दरवाजे में ताला लगाया और हाथ आगे बढ़ा कर बोला ताली दो , उन्होंने झट मेरे हाथ पर अपने हाथ से ताली दे दी | मै  हँसी और फिर हाथ आगे बढ़ा कर बोला ओके वैरी फनी अब ताली दो उन्होंने फिर हाथ आगे बढ़ाया और मेरी हाथ पर अपने हाथ से ताली दे दी | चलो अब मजाक मत करो चाभियाँ दो देर हो रही है | अरे तुमने चाभियाँ कब मांगी |  मांगी तो दो बार और तुमको मजाक सूझ रहा है | तुमने तो ताली मांगी थी मैंने दी |  फिर याद आया कि ना मै बनारस में हूँ और ना ये बनारसी |  अरे यार हमारे बनारस में चाभियों को ही ताली कहते है,  ताला और ताली कितना सिंम्पल है | मैंने कभी सूना ही नहीं तो मुझे क्या समझ आयेगा | उलटा मुझे लग रहा था ये बार बार ताली क्यों मांग रही हो मुझसे | सुनो एक बात बताओ ये कई महीने से मै तुमसे बात कर रही  हूँ तुमको कुछ समझ में आती है कि  मै क्या बोल रही हु , या बस सुन लेते हो | थोड़ा रुके और सोच कर बोले कभी कभी कुछ कुछ बात समझ नहीं आती | तुम्हे मेरी बात समझ नहीं आती और तुम मुझे आज बता रहे हो इतने महीनो बाद | हद है आज मै नहीं पूछती तो मै सारी  जिंदगी बड़बड़ करती और तुमको समझ कुछ नहीं आता |  ये कह हँसते हुए एक गाना गा दिया पंजाबी लडके को मद्रासी लड़की से प्यार हुआ और शादी हो गई | अब ये क्या है | लो अब तुमने ये गाना भी नहीं सुना है | मतलब ऐसे कपल के बीच लैंग्वेज प्रॉबलम हो गई दोनों के एक दूजे की बात समझ ही ना आती |
             दुनियां में लोग ऐसे लोग चाहते है जो उन्हें समझे उनकी बातो को सुने समझे ताकि वो अपना दिल खोल कर उसके सामने रख दे | लेकिन वो भूल जाते है कि  जैसे जैसे हम अपना दिल खोलते है सुनने वाला की अपनी सोच , पूर्वाग्रहों की मिलावट उसमे होती जाती है और हमारी एक छवि उसके मन में बन जाती है | लोग कहने वालो को अपने हिसाब से जज करने लगते है और वो हमारे लिए पूर्वाग्रह पाल कर बैठ जाते है | समझने वाला अपनी समझ से समझने लगता है वो नहीं समझता जो हम कहना चाहते है | मेरे हिसाब से तो अपना दिल खोल कर रखने के लिए सबसे अच्छा वो इंसान है जो असल में आप की बात समझता ही नहीं और  जब समझता है तो बस उतना ही जितना आप उसे समझाते है | जीवन में पहली बार कोई ऐसा मिल गया , जिसे सब कुछ कहा जा सकता है दिल में जितना भी जहर,प्यार, गुस्सा, नाराजगी , ईर्ष्या , जलन सब बक दो जिसे बात ही ठीक से समझ न आ रही हो वो बस सुनेगा लेकिन मुझे जज नहीं करेगा |  इंसानी भावो के आने जाने से होने वाली स्वाभाविक परिवर्तनों से वो हमारे लिए कोई पूर्वाग्रह नहीं बनाएगा , हमारे लिए जजमेंटल नहीं होगा  | जब किसी मित्र की सफलता पर खुश होते कहती कि निश्चल जलन हो रही है उससे,  तो कभी ये नहीं सोचा की जलनखोर मित्र हूँ , समझा तो बस इतना की ख़ुशी के आँसू की तरह एक ख़ुशी वाली जलन भी होती है | जब उसी मित्र के किसी उसके किसी कठिन समय में उसे फोन पर हिम्मत बंधाते मजाक करती और फोन रखते कहती कि  मुझे उसके लिए डर लग रहा है उसकी चिंता हो रही है तो ये न समझा की ढकोसला कर रही हूँ | इंसान समझे या न समझे बाते अवचेतन मन में जाती रहती है , एक सेफ स्टोरेज में और एक दिन जरूर बाहर आयेगी एक विश्वास  भरोसे  रूप  जब उनकी जरुरत होगी |


#अधूरीसीकहानी_अधूरेसेकिस्से




         

       


                 





                                               













May 10, 2018

सुंदरता हॉटनेस ये सब वाकई किसी स्त्री के लिए एक एटीट्यूट है और किसी पुरुष के दिमाग का फितूर ------mangopeople

 

   
सुंदरता लड़की के लिए प्राकृतिक है ये स्त्रीय अंग है लेकिन ये कोई योग्यता नहीं है जिसे बेमतलब का निखारने में समय व्यर्थ किया जाये  |  जिनमे कुछ काबलियत नहीं होती वही आगे बढ़ कर बेमतलब लीपा पोती कर अपनी सुंदरता दिखाते है | बचपन में हमारे मातृसत्तात्मक घर का बिन कहा ये सन्देश बड़ा साफ़ था काबिल बनो सहूर सीखो जीवन में वही काम आएगा  | ये सहूर सलाई कढ़ाई , खाना बनाने से  लेकर पढाई लिखाई कर कुछ बनने तक में से कुछ भी हो सकता था |   लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं था कि अच्छे दिखने के लिए कुछ करो ही मत , खूब स्टाइल में कपडे पहनो , ( हम डिजाइनर कपडे पहनते थे उस जमाने में , क्योकि कपडे घर में सिले जाते थे बुआ , दीदी या मम्मी द्वारा ) सबसे अलग दिखो जो करो अपने लिए करो लेकिन इन सब को योग्यता मत समझो और समय बर्बाद न करो | फिर  सुंदरता का कोई पैमाना उस जगह कैसे तय हो,  जहा हर तरह के लोग रहा रहे हो | कोई सांवला लेकिन नयन नक्श में अच्छा तो कोई गोरा लेकिन लेकिन शकल कोई ख़ास नहीं कोई लंबा तो कोई छोटा कोई अति दुबला तो कोई मोटा | इसलिए खामखा का सुन्दर दिखने के प्रयास में हम लोग कभी पड़े ही नहीं |  हमारे लिए कभी कोई कॉम्लीमेन्ट होता तो पहला "अच्छी" दिख रही हो और सबसे बड़ा , "बड़ी अच्छी" दिख रही हो | मतलब जीवन सुन्दर , प्यारी , ब्यूटीफुल गॉर्जियस जैसे तमाम शब्दों के बिना ही गुजर गया |  ये शब्द कभी तारीफ बने ही नहीं हम लोगो के लिए , उलटा ये एहसास दिलाते की नाकाबिल हो ,उसे मुझ में और कुछ न दिखा |
                                                                  बड़े होने पर एक फिल्म से ज्ञान मिला , फिल्म में सांवली सी आधुनिक हीरोइन बोलती है सुंदरता कुछ नहीं होती , ऐटिट्यूड  सब कुछ होता है | आप खुद को कैसे दुसरो सामने रखते है आप का ऐटिट्यूड कैसा है ये बड़ी बात है , वरना भारत में मेरे सांवले रंग के बाद भी लोग मेरी सुंदरता की इतनी तारीफ नहीं करते | फिर मुझ टेढ़े  ऐटिट्यूड वालो को पता चला  ऐटिट्यूड भी कुछ होता है , और हम सुन्दर क्यों नहीं है , ऐसे टेढ़े  ऐटिट्यूड वाले से लोग डरते है | साथ में ये भी समझ आ गया कि सुन्दर दिखने की जगह लोगो को डराना ज्यादा मजेदार है | उस खूबसूरती के पीछे क्या भागना जिसका कोई भरोसा नहीं वो कब अपना रूप बदल दे | एक सिकुड़ी सी अभिनेत्री आती है और बड़े  ऐटिट्यूड से बोलती है जीरो फिगर ही सुंदरता है और लोग उसे ही सुन्दर मान पैमाना तय कर देते है | अचानक से कर्वी बॉडी वाली भारतीय सौंदर्य मोटापा दिखने लगता है और पचके गाल तेजहीन चेहरा , गर्दन की हड्डिया और जीरो कमर सुन्दर हो जाता है | अभिनेत्री बच्चे को जन्म देती है और उसी अदा से अपनी कर्वी कमर दिखा सुन्दर बताती है और रातो रात खूबसूरती का पैमाना बदल जाता है और भारतीय कर्वी स्थूल शरीर खूबसूरत हो जाता है | अब लोगो की नजर स्त्री के कर्व पर जाने लगती है और जीरो कमर वालो को हसींन लोगो के लिस्ट से छांट दिया जाता है | ऐसी सुंदरता जो नजर के साथ बदल जाये उसे पाना एक मुश्किल क्या लगभग असंभव काम था लेकिन ये पक्की बात है कि ऐटीट्यूड ही आप को हर रूप में सुन्दर बना सकता है लोगो की नजर में | तो असल में सुंदरता किसी स्त्री के लिए बस एक  ऐटिट्यूड है और पुरुषीय दिमाग का मात्र फितूर |  सोशल मिडिया में ऐसी ढेरो महिलाओ को इस नियम का पालन करते देख सच में बड़ा मजा आता है और अच्छा लगता है कि स्त्री ने अब अपने रूप और सौंदर्य को लेकर अपना पैमाना बनाना शुरू कर दिया है |

           हवा में उड़ता जाये लाल दुपट्टा

    विवाह के बाद  हमने हॉटनेस की भी नहीं परिभाषा गढ़ी | मेरे शरीर का तापमान हमेशा सामान्य लोगो से ज्यादा गर्म होता है , नतीजा निश्चल हर दूसरे दिन , तुम्हे बुखार है , नहीं मै ठीक हूँ , नहीं मुझे लग रहा है तुम्हे बुखार है  |  मै ना कहती वो मानते नहीं न जाने कितनी ही बार थर्मामीटर से चेक कर लिया गया सब सामान्य है लेकिन उन्हें विश्वास न हो पूरी तरह | सामान्य थर्मामीटर पर भरोसा न हुआ तो एक दिन डिजिटल थर्मामीटर उठा लाये | उसे देख हैरान होती बोली कोई और होता तो कहता वॉव मेरी बीबी कितनी हॉट है और कुछ ढंग के गिफ्ट लाता , एक तुम हो जो बार बार बुखार बोल कर उसकी हॉटनेस चेक करने के लिए थर्मामीटर लाए हो हद है , इस अरेंज मैरिज का कुछ नहीं हो सकता |  बस जो हॉटनेस किसी आधुनिक लड़की के लिए एक बड़ा कॉम्प्लिमेंट होता वो हमारे घर कॉमेडी बन गई तब से |
                                                        एक फिल्म में सांवली सी आधुनिक हीरोइन बोलती है सुंदरता कुछ नहीं होती , एटीट्यूट सब कुछ होता है | तो ये गांठ बांधी फ़िल्मी ज्ञान एक दिन काम आया | बर्फ में घूमने जाना था , सारी जिंदगी देखी यश चोपड़ा की फिल्मो का असर था कि एक रेड शिफॉन की साड़ी खरीद लाई |  उसे पहन बर्फ में फोटो खिचानी है एक दम कुछ तूफानी करना है सोच लिया | एक्साइटमेंट में घर आते ही फटा फट उस साड़ी को रेड प्लाजो के ऊपर ही  बांध लिया गया और रेड टॉप को पीछे कल्चर लगा ब्लॉउज बना लिया गया | खिड़की के सामने खड़े हो पल्लू पर्दे पर टांग लहराते पल्लू का सीन बनाया और पुरे एटीट्यूट के साथ पोज़ बना  यश चोपड़ा की सारी हीरोइनों की आत्मा को अपने अंदर आत्मसात  किया गया और निश्चल को फोटो खींचने के लिए बोला |  वो बिना मुझे पर ध्यान दिए , कंधे और कान के बीच अपना फोन फंसाये अपने फोन में बतियाते ,चार क्लिक कर दिए | मेरे हर पोज़ पर हम्म्म का जवाब देते |   जब फोटो देख कर कहा अच्छी दिख रही है ना तो बिना फोटो देखे जवाब फिर से था हम्म | बड़ा गुस्सा आया देखो तो मै इतनी एक्साइटेड हूँ और यहाँ से कोई रेस्पॉन्स ही नहीं , फिर उसी  फ़िल्मी ज्ञान का ध्यान आया | वॉव कितनी सेक्सी फोटो है ना और पुरुषीय चेतना जगाने वाले शब्द ने जादू दिखाया | कौन सी , एकदम ध्यान मेरे फोन पर |  वही जो तुमने खींची है , वाह कमाल फोटो ली है चलो फोटो खींचने आ ही गया | तारीफ पर कंधे उचकाते ,मै तो अच्छी फोटो लेता ही हूँ , नजर ध्यान से फोटो पर | मै ,झीनी सी साड़ी में फिगर अच्छा आता है ना , हूँ सही कह रही हो | फिर  खुद की फोटो की ऐसी नख से केश तक की खोज खोज कर तारीफ़ शुरू हुई की अगले कुछ देर तक जारी रही | कुछ ही देर में शब्दों और एटीट्यूट ने अपना काम कर दिया | एक साधारण सी फोटो जो बिना मन के  खींची गई , थकी हालत में आधे अधूरे तरीके से पहने साडी में , बाल तक बिखरे क्योकि कल्चर टॉप में लगाया है , वो फोट ख़ास बन किसी के मुंह से वॉव निकलवाने लायक बन गई और कुछ ही देर पहले मै उन्ही कपड़ो में उतनी ही साधारण और  ध्यान देने लायक नहीं थी जैसे सब्जी खरीदते समय बगल खड़ी महिला , बस हद ही थी |
                                                 
                   अगले दिन तो गजब ही हो गया जब वो फोटो उनके मोबाईल में दिख गई , मुझे दिखा मुस्कुराने लगे |  मन ही मन जोर की हँसी आई पर उसे रोका और बहार एक मुस्कान दे दी | पता न था कि वाकई में एटीट्यूट में जादू होता है | फिर भी चलो अच्छा है अब अपना बुढ़ापा अच्छा गुजरेगा , कभी जब तुम्हारे सर पर अंगुलिया फेरने के लिए बाल न होंगे और मेरे माथे का पसीना कही माथे के सिलवटों में फँसा रहा जायेगा तब ये आइडिया काम आयेगा |


#अधूरीसीकहानी_अधूरेसेकिस्से




           

         

                   





                                                 

May 08, 2018

कैसे गढ़ते थे ऐसे मजबूत नारी पात्र गुरुदेव - - - - - mangopeople



           कुछ साल पहले अनुराग और तानी बासु ने रवीन्द्रनाथ टैगोर की कहानियों को टीवी पर दिखाया ( इतना अच्छा बनाया था की उसकी तारीफ में अलग से दो चार पोस्ट लिखी जा सकती है ) |  कुछ कड़िया सशक्त नारी पत्रों पर था | ऐसे ही  एक कहानी में जमींदार पति पत्नी है , तभी शहर में एक नाटक कंपनी आती है पति उसमे पैसे लगाते है और नाटक देखते देखते नाटक की नायिका से प्रेम करने लगते है | पत्नी को शक होता है वो पति की खोज खबर के  लिए चुपके से नाटक देखने  जाने लगती है , लेकिन जल्द ही वो पति पर नजर रखना छोड़ नाटक में खोने लगती है और खुद को नायिका की जगह रखने लगती है | इधर पति और नाटक की नायिका का प्रेम बढ़ता जाता है और अब वो ठीक से काम नहीं कर पाती , इसके लिए नाटक के निर्देशक से डांट भी खाती है और गुस्से में पति नायिका को अपने साथ अपनी दूसरी हवेली में ला कर रहने लगता है | जल्द ही वो अपनी पत्नी को भूल जाता है और वो  दोनों पति पत्नी के तरह रहने लगते है |  नायिका पत्नी सा ही व्यवहार करने लगती है , अकेले रहते रहते परेशान हो जाती है और अब वो नाटक में वापस काम करना चाहती है तो पति उसका असली पति बन काम करने से रोक देता है | पैसे ख़त्म होने लगते है और फिर पति को अपनी पत्नी की याद  आती है | अपने पुराने शहर पहुंचते है और देखते है कि  पत्नी उसी नाटक कंपनी की नायिका बन गई है और लोगो की खूब सराहना पा रही है | उसके बॉडीगार्ड पति को उससे मिलने तक नहीं देते |
                                  कुछ समय पहले तमिल साहित्य  महान काव्यग्रंथ शिलापदिकारम के बारे में पढ़ा , जो हजारो साल पहले लिखी गई थी | कहानी सेम पति और पतिव्रता पत्नी नाटक की नायिका और पति  का उससे प्रेम उसका साथ रहना पत्नी  को भूल जाना नायिका की माँ का लालची होना और पति द्वारा अपना सारा पैसा उस पर लुटा देना | एक गलतफहमी में पड़ वापस पत्नी के पास आना और पत्नी का उसे स्वीकार कर लेना | पैसे के लिए मदुरै जाना वहां उस पर रानी की पायल चुराने का आरोप लगना और हड़बड़ी में उसकी मौत | पत्नी का वहा कर अपने पति  निर्दोष साबित करना और उसके श्राप से पुरे मदुरै का जल कर भस्म हो जाना | लगा जैसे इसी कहानी का आधुनिक वर्जन गुरुदेव ने लिखा हो | अब ये कहने की जरुरत है कि  दोनों में से कौन वर्जन एक स्त्री के रूप में मुझे पसंद होगा | धारावाहिक के कितने की एपिसोड देख लगा उस जमाने में रविंद्रनाथ ने इतने मजबूत नारी चरित्र कैसे गढ़े होंगे | उनके जन्मदिन पर उनको मेरा प्रणाम |