जब सी फेस पर टहलने जाती थी तो इनसे मिलती थी । चारो पैरो मे इनके जूतें से हर किसी की नजर इन पर उठ ही जाती । अपनी नौकरानी के साथ आते बस एक दिन ही अपने मालिक के साथ इन्हे देखा ।
नौकरानी भी टहलाने के बजाये एक बेंच पर बैठ कर मोबाइल चलाती और ये उसके बगल मे बैठे आते जाते अपनी नस्ल वालों को देख बीच बीच मे भौंक लेतें ।
एक दिन देखा अपने से चार पांच गुना बड़े पर भौके जा रहें है । बदले मे उसने भी भौकना शुरू किया । इन्हे गुस्सा आ गया ये बेंच से कुद पड़ें और तेज से भौकने लगे । शुक्र है कि बेल्ट मे थे तो उसके पास तक नही जा सके , थोड़े दूर से ही चिल्लाते रहें ।
बड़े वाले के साथ उसके मालिक थे दो यंग लड़का लड़की । दोनो आगे जाने के बजाये एक सुरक्षित दूरी पर अपने कुत्ते का बेल्ट पकड़ खड़े हो इस दृश्य का मजा लिये जा रहें है ।
अब छुटकु के नौकरानी को गुस्सा आ गया । उसके शान्ती से मोबाइल देखने में खलल पड़ रहा था । वो भी गुस्से से उठी अपने छुटकु को गोद मे उठाया और आगे चली गयी ।
हम पीछे से आते हुए ये सब देख रहे थें । इतने मे देखा कि अच्छे खासे भरे बदन की नौकरानी का कुर्ता उनके पृष्ठ भाग मे फंस गया है । सोचा जल्दी से आगे बढ़ कर उसे बता देतीं हूं । छुटकु के चक्कर मे मेरी कई बार उससे बात हुयी थी ।
फिर सोचा कि बतायें की ना बतायें क्योकि एक विडियो मे देखा था कि किसी लड़की के ब्रा की पट्टी दिखे तो आंटी बन कर उसे टोकना नही है । दिख रहा है तो दिखने देना चाहिए उसे बताना रूढ़ीवादी सोच और आंटीगीरी है ।
समझ ना आ रहा था कि यही नियम कुर्ते के पृष्ठ भाग मे फंसने पर लागू होगा की नही । फिर लगा आगे जा रही महिला लड़की नही मेरी उमर की आंटी ही है तो हमारे जमाने वाली है । निश्चित रूप से ये चाहेगी मेरी ही तरह कि इसे कपड़े को ठीक करने के लिए बता दिया जाये ।
इतना सोचते विचारते हम उसके पास तक आ गये थें । तो हमने कहा रिस्क ले लेते है अब आंटी की ऊमर मे आ कर आंटीगीरी तो की ही जा सकती है ।
तो उसे बताने के लिए उसके पास तक गयें कि धीरे से बोल दूंगी ताकि कोई और ना सुने । अपने कान से इयरफोन भी निकाल दिया ताकि बातचीत कान बंद होने के कारण तेज से ना हो और वो धन्यवाद कहे तो मै मुस्कराहट के साथ जवाब भी दे दूं । उसे ना लगे कि नौकरानी है तो मैने भाव ना दिया ।
उसके पास गयी और धीरे से कहा अपना कुर्ता ठीक कर लो । उसने मेरी तरफ देखा नाक सिकोड़े , भौवे ऊपर कर बुरा सा मुँह बनाते बोली " मै क्यों अपना कुत्ता ठीक करूं वो अपना कुत्ता ठीक करे । उनका कुत्ता ज्यादा भौक रहा था । वो टहल रहे थें आगे क्यों नही गये ----
पहले तो हम हक्का बक्का हुए फिर बात समझ आ गयी कि उसने कुछ का कुछ सुना है । उसे बीच मे टोकते हमने कहा कि मै कुत्ते नही कुर्ते की बात कर रही थी ।
लोग अपनी दुनियां , सोच , विचारों और समस्याओं मे उलझे रहते हैं । इतने मे आप उन्हे जा कर कुछ कहें तो वो सुनते वो है जिसमे वो उलझे हैं या जो वो सुनना चाहते है । नतिजा सही बात समझे बिना आप पर भौकना शुरू कर देते है ।
उसी दिन हमने अपनी तीसरी कसम खायी कि आज के बाद किसी के ब्रा की पट्टी दिखे , किसी का चेन खुला हो या किसी का कुर्ता गलत जगह फंस गया हो हम अब किसी को ना बतायेंगे ।
पहली और दूसरी कसम फिर कभी बताते हैं ।
#तीसरीकसम