कभी सोचा हैं वो क्या था जो सोहनी को तैरना ना जानने के बाद भी मिट्टी का मटका ले दरिया में कूदने को मजबूर कर देता था , वह क्या था जो मजनू को गली गली लैला लैला कह पागल बन घूमने को मजबूर कर दिया , रोमियो जूलियट को आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया | इन बड़ी प्रेम कहानियों की बात छोड़ भी दे तो ना जाने अपने जीवन में हम सब ने कितने प्रेम के पंछियों को अजीबो गरीब तरीके के पागलपन करते देखा हैं | प्रेम में क्या नहीं कर गुजरते ये प्रेमी जोड़े |
प्रेम पागल होता हैं और इश्क अँधा होता हैं युहीं नहीं कहा जाता , असल में सच में ऐसा ही होता हैं | प्रेम में पड़ते ही वास्तव में इंसान का दिमाग काम करना बंद कर देता हैं | दिमाग के जानकारों ने पता लगाया हैं कि दिमाग का आगे का भाग जो हमें रोजमर्रा के जीवन के फैसले लेने में मदद करता हैं , जिसे आम भाषा में हम कॉमन सेन्स कहते हैं , वो प्यार में पड़ते ही काम करना बंद कर देता हैं |
होता ये हैं कि जैसे जैसे हम इश्क में डूबते जाते हैं कॉमन सेन्स हमारा साथ छोड़ता जाता हैं | नतीजा हम सही गलत का फैसला ठीक से नहीं कर पाते हैं | इश्क में पड़े हर किसी से गाली खाते हैं ताने सुनते हैं, दिमाग काम नहीं कर रहा हैं क्या , सेन्स नाम की कोई चीज होती हैं , कॉमन सेन्स यूज करो पागलो |अब उस चीज का प्रयोग प्रेम में डूबा करे भी तो कैसे जो बंद पड़ा हैं |बंद पड़ा दिमाग दिल से सोचना शुरू कर देता हैं और दिल इश्क के मारों से वो सब करवा लेता हैं जो दिमाग उसे पहले कभी करने नहीं देता |
अगर आप ये सोच रहें हैं कि जिनका दिमाग ख़राब होता हैं या काम नहीं करता वही प्रेम से पड़ते हैं , तो ऐसा नहीं हैं | जो प्रेम में पड़ते हैं उनका दिमाग काम करना बंद करता हैं चीजों को सही दिशा में समझे |आप ने प्यार कर लिया हैं लेकिन आप का दिमाग अभी भी काम कर रहा हैं और आप कोई पागलपंथी नहीं करते तो समझिये आप ने प्रेम तो कर लिया हैं लेकिन उसमे डूबे नहीं हैं |
कहतें हैं कि इश्क तो वो आग का दरिया हैं जिसमे डूब के जाना हैं या डूब ही जाना हैं | फिर क्या जेठ की दोपहर में छत पर आना और क्या डामर वाली सड़क पर दौड़ जाना | ये तो इश्क करने वाला दिल ही समझ सकता हैं |
प्यार में पड़े हैं तो दिमाग को किनारे रखिये और फिर इसका असल आंनद लीजिये | क्योकि दिमाग तो सभी के पास होता हैं लेकिन इश्क में डूबा दिल किसी किसी खुशनसीब को ही मिलता हैं |
प्रेम पागल होता हैं और इश्क अँधा होता हैं युहीं नहीं कहा जाता , असल में सच में ऐसा ही होता हैं | प्रेम में पड़ते ही वास्तव में इंसान का दिमाग काम करना बंद कर देता हैं | दिमाग के जानकारों ने पता लगाया हैं कि दिमाग का आगे का भाग जो हमें रोजमर्रा के जीवन के फैसले लेने में मदद करता हैं , जिसे आम भाषा में हम कॉमन सेन्स कहते हैं , वो प्यार में पड़ते ही काम करना बंद कर देता हैं |
होता ये हैं कि जैसे जैसे हम इश्क में डूबते जाते हैं कॉमन सेन्स हमारा साथ छोड़ता जाता हैं | नतीजा हम सही गलत का फैसला ठीक से नहीं कर पाते हैं | इश्क में पड़े हर किसी से गाली खाते हैं ताने सुनते हैं, दिमाग काम नहीं कर रहा हैं क्या , सेन्स नाम की कोई चीज होती हैं , कॉमन सेन्स यूज करो पागलो |अब उस चीज का प्रयोग प्रेम में डूबा करे भी तो कैसे जो बंद पड़ा हैं |बंद पड़ा दिमाग दिल से सोचना शुरू कर देता हैं और दिल इश्क के मारों से वो सब करवा लेता हैं जो दिमाग उसे पहले कभी करने नहीं देता |
अगर आप ये सोच रहें हैं कि जिनका दिमाग ख़राब होता हैं या काम नहीं करता वही प्रेम से पड़ते हैं , तो ऐसा नहीं हैं | जो प्रेम में पड़ते हैं उनका दिमाग काम करना बंद करता हैं चीजों को सही दिशा में समझे |आप ने प्यार कर लिया हैं लेकिन आप का दिमाग अभी भी काम कर रहा हैं और आप कोई पागलपंथी नहीं करते तो समझिये आप ने प्रेम तो कर लिया हैं लेकिन उसमे डूबे नहीं हैं |
कहतें हैं कि इश्क तो वो आग का दरिया हैं जिसमे डूब के जाना हैं या डूब ही जाना हैं | फिर क्या जेठ की दोपहर में छत पर आना और क्या डामर वाली सड़क पर दौड़ जाना | ये तो इश्क करने वाला दिल ही समझ सकता हैं |
प्यार में पड़े हैं तो दिमाग को किनारे रखिये और फिर इसका असल आंनद लीजिये | क्योकि दिमाग तो सभी के पास होता हैं लेकिन इश्क में डूबा दिल किसी किसी खुशनसीब को ही मिलता हैं |
बहुत खूब.... ,सच प्रेमी पागल ही होते हैं।
ReplyDeleteसहमत .... इश्क़ हो जाये तो दिमाग वैसे भी साइड पर आ जाता है ...
ReplyDeleteबस आनंद ही आनंद रह जाता है ...
चलिए इश्क के चलते दिमाग को कुछ तो आराम मिलता है। वरना यहां तो दिमाग भी भागमभाग में पड़ा है।
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