अपने देश में (और अपने पड़ोसी देशों में भी )अगर ये सवाल किया जाये की सबसे भ्रष्ट कौन है तो सबकी उंगलिया नेताओं की तरफ ही उठेगी | हर आम आदमी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद की जड़ नेताओं को ही मानता है | हमारे अनुसार इन नेताओ के किये भ्रष्टाचार का नतीजा हमारे और आप जैसे बेचारी, भोली भाली और ईमानदार आम जनता को भुगतना पड़ता है | हम सभी को लगता है कि यदि नेता भ्रष्टाचार और परिवारवाद छोड़ दे तो सारी समस्या ही समाप्त हो जाये पर क्या वास्तव में ऐसा है क्या वास्तव में हमारी और आप के जैसी आम जनता भोलीभाली और ईमानदार है | चुनावो के समय हम में से ज्यादातर अपना वोट अपने ही धर्म,जाती और बिरादरी के लोगो को किस आधार पर देते है क्या हमारी सोच ये नहीं होती की धर्म जाती बिरादरी और प्रान्त के नाम पर हम सभी कभी भी अपना काम नेताओं से आसानी से करा सकते है और नेता अपने धर्म जाती के लोगों को फायदा पहुचने का काम करेगा| क्या ये सोच ईमानदार है क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है | जो आम आदमी हर समय नताओं को कोसता रहता है वो खुद भी अपने निजी फायदे के लिए नेताओं के पास दौड़ा चला जाता है | कोई टेंडर पास करना हो किसी घर दुकान आदि का गैरकानूनी नक्सा पास करना हो किसी वाजिब पुलिस केस से छुटने से लेकर बच्चो के स्कूलों में दाखिले तक के लिए नेताओ से सिफारिसे मागी जाती है | यहाँ तक की लोग अपने पारिवारिक विवाद और बटवारे जैसे निजी झगड़ो में भी नेताओं कि नजदीकियों का फायदा उठाते है, और ये सारे काम किया जाता है नेताओं को पैसा दे कर या फिर उनसे दूर या पास की जान पहचान के बल पर | क्या इस तरह के निजी लाभ के लिए नेताओं से काम करना भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार को बढावा देना नहीं है क्या इसके लिये हम जिम्मेदार नहीं है | नेताओ को भ्रष्ट और खुद को ईमानदार बताने वाला हर आम इन्सान किसी विवाद में फसने पर और मुसीबत में पड़ने पर यही सोचता है की काश हमारी भी किसी सांसद मंत्री से पहचान होती तो हम अपना काम आसानी से करा लेते या विवाद से जल्दी छुटकारा पा जाते | ऐसा नही है कि हर बार लोग गैरकानूनी काम के लिये ही नेताओ के पास जाते है कई बार तो क़ानूनी रूप से ठीक काम के लिये भी किसी पोलिटीसियान के पास महज इस लिये चले जाते है ताकि हमको कोई परेशानी न हो और हमारा काम जल्द से जल्द हो जाये | जब हमारा काम हो जाये तब तो नेता अच्छा है नहीं तो भ्रष्ट है |
हम सोचते है कि यदि हम नेता होते तो हमेसा ईमानदारी से काम करते और सारा समय देश कि सेवा और आम जनता कि भलाई में गुजार देते नेता तो आम आदमी होता नहीं इसलिए वो हमारी परेशानी को नहीं समझाता है | तो सवाल उठता है कि क्या हर नेता खास बन कर ही पैदा होता है | मुँह में चाँदी का चम्मच ले कर पैदा हुआ लोगों को छोड़ दे तो राजनिती में ऐसे लोगों कि भी कमी नहीं है जो कभी हम लोग जैसे आम आदमी ही थे और संघर्स करके सत्ता के ऊँचे पायदान पर पहुचे | तो क्या वो सारे नेता दुसरे खानदानी (अर्थात जिसका पुरा खानदान ही नेतागिरी करता हो दादा से लेकर पोता तक) और पैसे वाले नेताओ से अलग है क्या वो भ्रष्टाचारी नहीं है वो भाई भतीजावाद नहीं करते | सभी करते है किसी में कोई फर्क नहीं है क्योकि हम सभी अन्दर से बेईमान है बस हम सभी को मौका चाहिए और मौका मिलते ही सभी सिर्फ अपने निजी फायदे कि बात सोचते है | चाहे वो नेता हो या हमारे और आप जैसा आम आदमी | इसलिए आगे से नेताओं सांसदों और मंत्रियो कि तरफ उँगली उठाते समय ये जरुर ध्यान रखियेगा कि खुद हमारी तीन उंगलिया हमारी ओर ईशारा कर रही है |
हमारा देश महान सौ में से निन्यानबे बेईमान
satpratist sachai hai ye ki aaj ke samy me insan apne se jada duro ko dos dene me laga hua hai
ReplyDeleteअंशुमाला जी, बहुत सही बात कहीं है आपने. उपरोक्त पोस्ट में "गागर में सागर" भर दिया है.
ReplyDelete# निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461 email: sirfiraa@gmail.com, महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है.