December 19, 2010

देश की मुख्य धारा - - - - - - - - mangopeople

एक महान दार्शनिक समाजसेवी विचारक को निमत्रण दिया गया की आइये और देश के उन लोगों को मुख्यधारा में लाइए जो हासिये पर है देश की मुख्यधारा से नहीं जुड़े है उन्हें जोड़ने के लिए कुछ उपाय बताइये | विचारक समय पर उस जगह पहुच गये जहा उन्हें लोगों से मिलना था | वहा पर जम्मू कश्मीर पूर्वोतर के सात राज्यों के कुछ लोग कुछ आदिवासी कुछ अल्पसंख्यक आदि आ कर बैठे थे विचारक को कुछ बोलने के लिए कहा गया स्टेज पर आते ही विचारक ने सभी से कहा की वो उनसे कुछ सवाल करेगा उसका आप सभी जवाब दे सभी ने कहा की वो सवाल करे सभी जवाब देंगे | विचारक ने सवाल किया
क्या आप के यहाँ बिजली पानी नहीं आती है ,
क्या सड़के टूटी फूटी है या है ही नहीं ,
क्या सरकारी राशन की दुकान पर राशन नहीं मिलता है ,
क्या सरकारी स्कूलों में अध्यापक और सरकारी अस्पतालों में डाक्टर नहीं मिलते है
 क्या आप बिना रिश्वत दिये सरकारी आफिस में काम नहीं करा पाते है ,
 क्या आप के जनप्रतिनिधि चुनावों में बड़े बड़े झूठे वादे करते है पर वोट लेने के वाद दुबारा नजर नहीं आते है ,
 क्या आप के आस पास विकास  नहीं हो रहा है
 क्या आप भ्रष्ट पुलिस प्रसाशन से तंग आ चुके है '
 क्या आप सभी खुद को सुरक्षित महसूस नही करते है
 सभी ने एक सुर में कहा है हमारे साथ ऐसा ही होता है हम सभी इस चीज से परेशान है
 तब विचारक ने कहा की मुबारक हो आप सभी देश की मुख्यधारा से जुड़े हुए है आप सबसे अलग नहीं है |

19 comments:

  1. .
    .
    .
    कुछ और जोड़िये...
    *क्या आपको लगता है कि आपके बच्चों का भविष्य अंधकारमय होगा?
    *क्या आपको लगता है कि इंसाफ में हमेशा देर भी होती है और अंधेर भी?
    और हाँ, डाक्टरों के नदारद रहने की बात आपने दो बार लिख दी है।


    ...

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  2. @ प्रवीण जी

    गलती की और ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद |

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  3. chaliye jaankar khushi huyi ki hum bhi mukhyadhara se jude huye hain....
    waise aapka blog kuch badla badla sa lag raha hai....

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  4. शेखर जी

    धन्यवाद | मुझे तो कुछ भी ब्लॉग पर बदला हुआ नहीं दिख रहा है आप को क्या बदलाव दिख रहा है मुझे भी बताइये | आज पहली बार आप की पहेली को देखा और पहला ही जवाब सही दिया ना :)

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  5. बहुत सुंदर जी, जबाब नही इस मुख्या धारा का. धन्यवाद

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  6. बढिया है मुख्‍यधारा का विश्‍लेषण।

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  7. बढ़िया ....बिलकुल ठीक मैं भी जुड़ा हुआ हूँ ! आभार अंशुमाला

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  8. ऐसा क्या?
    मान गये इन विचारक जी को आजाद भारत की इतनी
    बडी समस्या से एक झटके में आजाद करवा दिया वैसे आज घिसू और चमेलिया जी नजर नहीं आ रहे लगता है घूमने निकल ही गये है

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  9. mukhyadhara se juda hua sayad main bhi khud ko samajh raha hoon..........:)
    ;bahut khub kaha anshumala jeee aapne.......gajab ki soch me painapan hai aapke...

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  10. ये क्या, इसका मतलब हम भी मुख्यधारा से जुड़े हैं? मजा आ गया।

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  11. व्यक्तिगत रूप से हमें हालात इतने भी बुरे नहीं लगते... देश की हालत कुछ नियम जैसी खस्ता मान ली जाती है, जैसे सरदार है तो कुछ मजाकिया ही होगा; granted ले लिया जाता है ... ... पर अब मन्नू साहब भी तो सरदार है, खासे डिग्रीधारी और प्रधान, और अपवाद भी नहीं कह सकते है.. हमें सैकड़ों समझदार सरदार भाईलोग देखे है ;) देश के बारे में भी हमारी कुछ ऐसी ही राय है ...
    खैर... व्यंग्य अच्छा है, और अपनी जगह सहीं भी है ...लिखते रहिये ...

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  12. @ राज भाटिया जी , शाह नवाज जी ,शिवम जी ,अजित जी , सतीश जी

    आप सभी का धन्यवाद

    @ राजन जी , मुकेश जी , संजय जी ,शिखा जी

    आप सभी का धन्यवाद

    और देश के हालत देखा कर पूरी उम्मीद है की हम सभी आगे के पचास साल भी इसी तरह देश की मुख्यधारा से जुड़े रहेंगे |

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  13. @ मजाल जी

    मैट्रो शहरो की हालत तो फिर भी ठीक है एक बार छोटे शहरों में जाइये और वहा की बिजली की व्यवस्था देखिये रुला देने वाली स्थिति है | गाड़ी की बुरी हालत सड़को का हाल बता देगी और सरकारी अस्पतालों का तो खुद का कई बुरा अनुभव है अभी हाल में ही भाई के दुर्घटना में दिल्ली के सरकारी अस्पतालों पुलिस व्यवस्था की बदहाली को अच्छे से झेला है | हा बस अब हम लोगों को इन सब का फर्क नहीं पड़ता है हमें इसकी आदत हो गई है पता तब चलता है जब हम किसी बेहतर स्थिति से उस स्थिति में पहुचते है जैसे जब मै गर्मियों में बनारस जाती हु तो बिजली रुला देती है हम तो झेल लेते है पर बेटी के बस के बाहर हो जाता है खास कर रात में | ये तो एक समस्या है गिनती तो कई है पर बाकियों की आदत हो गई है |

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  14. आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ और अब रोज ही आना होगा...ऐसे चुभते हुए व्यंग और भाषा का ऐसा तेवर बहुत कम जगहों पर पढ़ने को मिलता है...इस अद्भुत पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें...

    नीरज

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  15. मुख्य विचारधारा सही चित्रण |
    अब तो सरकारी डाक्टर की जगह निजी डाक्टर भी बहुत इंतजार करवाते है क्योकि सुबह वो सरकारी नोकरी करते है और शाम को निजी क्लिनिक ,सेमिनार ,और दिसम्बर माह मेंबछि हुई साल भर की छुट्टियों का भरपूर प्रयोग |

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