एक महान दार्शनिक समाजसेवी विचारक को निमत्रण दिया गया की आइये और देश के उन लोगों को मुख्यधारा में लाइए जो हासिये पर है देश की मुख्यधारा से नहीं जुड़े है उन्हें जोड़ने के लिए कुछ उपाय बताइये | विचारक समय पर उस जगह पहुच गये जहा उन्हें लोगों से मिलना था | वहा पर जम्मू कश्मीर पूर्वोतर के सात राज्यों के कुछ लोग कुछ आदिवासी कुछ अल्पसंख्यक आदि आ कर बैठे थे विचारक को कुछ बोलने के लिए कहा गया स्टेज पर आते ही विचारक ने सभी से कहा की वो उनसे कुछ सवाल करेगा उसका आप सभी जवाब दे सभी ने कहा की वो सवाल करे सभी जवाब देंगे | विचारक ने सवाल किया
क्या आप के यहाँ बिजली पानी नहीं आती है ,
क्या सड़के टूटी फूटी है या है ही नहीं ,
क्या सरकारी राशन की दुकान पर राशन नहीं मिलता है ,
क्या सरकारी स्कूलों में अध्यापक और सरकारी अस्पतालों में डाक्टर नहीं मिलते है
क्या आप बिना रिश्वत दिये सरकारी आफिस में काम नहीं करा पाते है ,
क्या आप के जनप्रतिनिधि चुनावों में बड़े बड़े झूठे वादे करते है पर वोट लेने के वाद दुबारा नजर नहीं आते है ,
क्या आप के आस पास विकास नहीं हो रहा है
क्या आप भ्रष्ट पुलिस प्रसाशन से तंग आ चुके है '
क्या आप सभी खुद को सुरक्षित महसूस नही करते है
सभी ने एक सुर में कहा है हमारे साथ ऐसा ही होता है हम सभी इस चीज से परेशान है
तब विचारक ने कहा की मुबारक हो आप सभी देश की मुख्यधारा से जुड़े हुए है आप सबसे अलग नहीं है |
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ReplyDelete.
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कुछ और जोड़िये...
*क्या आपको लगता है कि आपके बच्चों का भविष्य अंधकारमय होगा?
*क्या आपको लगता है कि इंसाफ में हमेशा देर भी होती है और अंधेर भी?
और हाँ, डाक्टरों के नदारद रहने की बात आपने दो बार लिख दी है।
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@ प्रवीण जी
ReplyDeleteगलती की और ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद |
chaliye jaankar khushi huyi ki hum bhi mukhyadhara se jude huye hain....
ReplyDeletewaise aapka blog kuch badla badla sa lag raha hai....
शेखर जी
ReplyDeleteधन्यवाद | मुझे तो कुछ भी ब्लॉग पर बदला हुआ नहीं दिख रहा है आप को क्या बदलाव दिख रहा है मुझे भी बताइये | आज पहली बार आप की पहेली को देखा और पहला ही जवाब सही दिया ना :)
बहुत सुंदर जी, जबाब नही इस मुख्या धारा का. धन्यवाद
ReplyDelete:-) सही कहा...
ReplyDelete
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - एक सलाह - पर्यावरण के प्रति चेतना जागृत करने हेतु आगे आएं - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
बढिया है मुख्यधारा का विश्लेषण।
ReplyDeleteबढ़िया ....बिलकुल ठीक मैं भी जुड़ा हुआ हूँ ! आभार अंशुमाला
ReplyDeleteऐसा क्या?
ReplyDeleteमान गये इन विचारक जी को आजाद भारत की इतनी
बडी समस्या से एक झटके में आजाद करवा दिया वैसे आज घिसू और चमेलिया जी नजर नहीं आ रहे लगता है घूमने निकल ही गये है
mukhyadhara se juda hua sayad main bhi khud ko samajh raha hoon..........:)
ReplyDelete;bahut khub kaha anshumala jeee aapne.......gajab ki soch me painapan hai aapke...
ab jaldi se ek baar mere blog pe aaiye na.......:P
ReplyDeleteये क्या, इसका मतलब हम भी मुख्यधारा से जुड़े हैं? मजा आ गया।
ReplyDelete:) सही है ....
ReplyDeleteव्यक्तिगत रूप से हमें हालात इतने भी बुरे नहीं लगते... देश की हालत कुछ नियम जैसी खस्ता मान ली जाती है, जैसे सरदार है तो कुछ मजाकिया ही होगा; granted ले लिया जाता है ... ... पर अब मन्नू साहब भी तो सरदार है, खासे डिग्रीधारी और प्रधान, और अपवाद भी नहीं कह सकते है.. हमें सैकड़ों समझदार सरदार भाईलोग देखे है ;) देश के बारे में भी हमारी कुछ ऐसी ही राय है ...
ReplyDeleteखैर... व्यंग्य अच्छा है, और अपनी जगह सहीं भी है ...लिखते रहिये ...
@ राज भाटिया जी , शाह नवाज जी ,शिवम जी ,अजित जी , सतीश जी
ReplyDeleteआप सभी का धन्यवाद
@ राजन जी , मुकेश जी , संजय जी ,शिखा जी
आप सभी का धन्यवाद
और देश के हालत देखा कर पूरी उम्मीद है की हम सभी आगे के पचास साल भी इसी तरह देश की मुख्यधारा से जुड़े रहेंगे |
@ मजाल जी
ReplyDeleteमैट्रो शहरो की हालत तो फिर भी ठीक है एक बार छोटे शहरों में जाइये और वहा की बिजली की व्यवस्था देखिये रुला देने वाली स्थिति है | गाड़ी की बुरी हालत सड़को का हाल बता देगी और सरकारी अस्पतालों का तो खुद का कई बुरा अनुभव है अभी हाल में ही भाई के दुर्घटना में दिल्ली के सरकारी अस्पतालों पुलिस व्यवस्था की बदहाली को अच्छे से झेला है | हा बस अब हम लोगों को इन सब का फर्क नहीं पड़ता है हमें इसकी आदत हो गई है पता तब चलता है जब हम किसी बेहतर स्थिति से उस स्थिति में पहुचते है जैसे जब मै गर्मियों में बनारस जाती हु तो बिजली रुला देती है हम तो झेल लेते है पर बेटी के बस के बाहर हो जाता है खास कर रात में | ये तो एक समस्या है गिनती तो कई है पर बाकियों की आदत हो गई है |
आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ और अब रोज ही आना होगा...ऐसे चुभते हुए व्यंग और भाषा का ऐसा तेवर बहुत कम जगहों पर पढ़ने को मिलता है...इस अद्भुत पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें...
ReplyDeleteनीरज
मुख्य विचारधारा सही चित्रण |
ReplyDeleteअब तो सरकारी डाक्टर की जगह निजी डाक्टर भी बहुत इंतजार करवाते है क्योकि सुबह वो सरकारी नोकरी करते है और शाम को निजी क्लिनिक ,सेमिनार ,और दिसम्बर माह मेंबछि हुई साल भर की छुट्टियों का भरपूर प्रयोग |