July 15, 2011

इन हमलो में बेचारे मंत्री पुलिस का क्या दोष है - - - - -- - mangopeople

                                                           देखीये ये जीवन क्या है बस एक छड भंगुर है हर किसी को एक दिन इस दुनिया से जाना है कोई आज जायेगा, कोई कल जायेगा किन्तु याद रखियेगा की हम सभी की आत्मा नहीं मरती है, मरता है तो ये शरीर आत्मा तो जीवित रहती है और जल्द ही किसी और शरीर में प्रवेश कर जाती है किसी और बम ब्लास्ट में मरने के लिए किसी और आतंकवादी हमले में किसी रेल दुर्घटना में मरने के लिए, उसके जाना का दुख नहीं करना चहिए |  जो लोग मुंबई में हुए विस्फोटो में घायल हुए है तो लोगों को उनके लिए दुखी होने की जरुरत नहीं है क्योकि ये आतंकवादियों के कृत्य नहीं है असल में तो ये उनके ही पूर्व जन्मो के और इस जन्म के कर्मो का नतीजा है उनके बुरे कर्मो का फल है जिसको उन्हें भोगना ही पड़ेगा आतंकवादी तो बस उसे पुरा करने में हमारी मदद करते है वो तो बस निमित्य मात्र है साधन है हमारे कर्मो का फल हमें देने में | अब इन सबके बीच बेचारे हमारे मंत्री गण हमारी सुरक्षा एजेंसिया क्या कर सकती है आखिर वो ऊपर वाले के काम में दखलंदाजी क्यों करे | अब कुछ लोग केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल और महाराष्ट्र के गृह मंत्री भुजबल से पूछ रहे है की- - - --- -- क्या कहा मैंने गलत नाम लिखे है अच्छा तो ठीक है आप को यदि लगता है की सही नाम या कुछ और नाम लिखने से देश की आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था सुधर जाएगी देश सुरक्षित हो जायेगा तो मुझे वो नाम बता दीजिये मै उसे वहा लिख दुँगी - - - -  की २६/११ के बाद जो करोडो के अत्याधुनिक हथियार ख़रीदे गये बख्तर बंद गाड़िया खरीदी गई उसक क्या फायदा है वो क्या काम आये अब कोई इन मूर्खो से पूछे की भाई इसमे मंत्री क्या कर सकता है इस बार जब आतंकवादियों ने बिना बताये अपना पैटर्न बदल दिया वो वापस से अपने पुराने तरीके पे आ गये, तो बेचारे मंत्री क्या कर सकते है उन्होंने तो ये सोच कर बख्तर बंद गाड़ी ली थी की २६ /११ की तरह फिर से दस बारह आतंकवादी देश में घुस जायेंगे ( देश के  युवराज  ने कहा है की हम १००% सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकते है एक दो घटनाये तो हो ही सकती है सो आतंकवादी इतनी बार घुसपैठ करते है एक दो बार घुस कर हमला तो कर ही सकते है इतनी छुट तो हमारे भविष्य के प्रधान मंत्री भी आतंकवादियों को देते है )  तो हमारे पुलिस वाले कम से कम सुरक्षित हो,  बख्तर बंद गाडियों के अंदर से वो आतंकवादियों से आसानी से लड़ सकते है अपना मुँह छुपा सकते है, और रही अत्याधुनिक हथियारों की बात तो उसी से तो उन्हें मारते पर कम्बख्त आये ही नहीं पिछले हमले की तरह ,ये भी कोई बात हुई एक बार में आतंकवादी कुछ तय नहीं कर रहे है की उन्हें हम पर कैसे हमला करना है वो एक तरह से हमला करते है हम उस तरीके से लड़ने के सारे इंतजाम करते है वो दूसरे तरीके से हमला कर देते है अब इसमे बेचारे हमारे मंत्री सुरक्षा एजेंसियों का क्या दोष है | वैसे कुछ शक उन्हें पहले से था की इस बार आतंकवादी सामने से हमला नहीं करने वाले है इसलिए सारे हथियार बेकार जाने वाले है सो उन हथियारों को पहले से ही बेकार कराने के लिए सभी आधुनिक हथियार सीलन वाली जगहों पर ख़राब होने के लिए सुरक्षित रख दिये गये थे  और वो इतनी कड़ी सुरक्षा में थी की उनके ख़राब होने की खबर देने वाले पत्रकार  को भी  नहीं बख्सा गया उसे ना केवल पकड़ कर जेल में बंद कर दिया गया बल्कि कई धाराओ में सुरक्षा भंग करने के लिए मुकदमे भी दायर  कर दिये गये |
                                               पर लोगों को कुछ भी समझ नहीं आता है लोग बेकार में मंत्रियो को पुलिस वालो को बुरा भला कहने से बाज नहीं आते है लोग कहते है की सुरक्षा के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है लोग मर रहे है | अब बताइये जब संसद पर हमला हुआ था तो कैसे सारे संसद की किले की तरह सुरक्षा व्यवस्था कर दी गई थी रातो रात करोडो के सुरक्षा उपकरण बाकायदा योजना बना कर ख़रीदे गये और वही उपकरण ख़रीदे गये जिससे सच में सांसद की कुछ सुरक्षा हो सके | बताइये उसके बाद हुआ संसद पर हमला उसके बाद हुआ किसी नेता मंत्री पर आतंकवादी हमला राजीव जी के बाद आज तक मरा कोई बड़ा ढंग का नेता आतंकवादी हमले में नहीं ना फिर भी लोग कहते है की इन्हें किसी के जान की परवाह नहीं है,  देखीये कितनी है मंत्री नेता सांसद के जान की परवाह क्या उनकी परवाह करना उनकी सुरक्षा के लिए कुछ करना कुछ नहीं होता है |
                                          लोग कहते है की सुरक्षा एजेंसियों के पास अंदर की ख़ुफ़िया खबर नहीं होती लीजिये अभी ज्यादा दिन नहीं हुए है जब सभी जगह शोर हुआ था की वित्त मंत्री की जासूसी हो रही थी उसके पहले राडिया, टाटा, बरखा की जासूसी हुई यहाँ तो अमर सिंह जैसे टुच्ची नेता तक की जासूसी की जाती है और लोग इल्जाम लगते है की हमारी सुरक्षा एजेंसियों के पास ख़ुफ़िया खबर नहीं होती | लोग कहते है की हमारे पुलिस को कुछ खबर ही नहीं होती हमले हो जाते है और वो कुछ नहीं कर पाती | देश के किसी भी कोने के पुलिस स्टेशन में चले जाइये इलाके के एक एक अपराध के बारे में उन्हें पहले से पता होता है पुलिस वालो की धाक तो इतनी है की खुद अपराधी आ कर बताता है की उसने कहा कौन सा अपराध किया है और उसके हाथ कितना पैस लगा है अरे उसी हिसाब से तो हफ्ता बनता है सभी पुलिस वालों का |
                               लोगों के पास कुछ काम नहीं है इल्जाम लगाने के सिवा उन्हें पता नहीं है किसी देश को चलाना किसी बच्चे का काम नहीं है हमें हर जगह संतुलन बना कर रखना पड़ता है | अब मुंबई में भीड़ कितनी बढ़ गई है यदि सरकारे किसी से बोलेंगे की भाई यहाँ मत आओ तो कोई भी उनकी बात सुनने वाला नहीं है तो दो उपाय है एक तो इस जगह पर हमलो की खुद छुट दो एक तो यहाँ की कुछ भीड़ कम ( चुपचाप रहिये इस भीड़ को लोग जनता आदि कहने की भूल मत करीये ) होगी दुसरे ये जगह इतनी असुरक्षित हो जाएगी की लोग खुद बा खुद यहाँ आने से डरने लगेंगे | पर ये सब बाते भीड़ तो समझती नहीं है ये सब काम देश के हित के लिए जनसंख्या के नियंत्रण के लिए करना पड़ता है कभी बाढ़ के नाम पर तो कभी आतंकवादी हमलो के नाम पर ये नियंत्रण का काम होते रहना चाहिए संतुलन बनाने के लिए जरुरी है |
                                        फिर हर एक दो साल में एक बम ब्लास्ट होना या कोई आतंकवादी हमला मुंबई की सुरक्षा के लिए भी जरुरी है और यहाँ के सुरक्षा में लगे लोगों के लिए भी |  अब देखीये साल दो साल के लिए मुंबई पूरी तरह सुरक्षित है क्योकि एक बार बम ब्लास्ट हो जाते है तो दूसरे को होने में इतना ही समय लगता है इस बीच सभी लोग बिकुल सुरक्षित हो कर रहते है साथ ही सुरक्षा एजेंसियों को भी आराम की नीद आती है की चलो अब कुछ दिन आतंकवादी हमला नहीं होगा नहीं तो साल दो साल होते ही सभी की नीद ख़राब हुई रहती है की कब कहा कोई हमला हो जाये | एक बार जब हमला हो जाये तो चलो शांति क्योकि आतंकवादियों को दूसरी आतंकवादी टीम बनने नई जगह की खोज करने और बम बनाने में इतना ही समय लगता है तब तक तो सभी सुरक्षित ही रहते है |
                                      इसलिए कम अक्ल वाली भीड़ हर बात के लिए मंत्री संत्री  नेता परेता और पुलिस वालो को दोष ना दिया करे कुछ अपनी भी अक्ल लगाये और एक आतंकवादी हमले की उपयोगिता को समझे |



 चलते चलते

                       
आतंकवादी देश पर इतनी बार हमला करते है खासकर पाकिस्तान परस्त आतंकवादी इतनी बार हमला करते है पर वो कभी भी सीधे किसी नेता मंत्री आदि के ऊपर हमला क्यों नहीं करते है उन्हें मारने का प्रयास क्यों नहीं करते है   क्योकि उन्हें देश के लोगों को दुखी करना है उन्हें परेशान करना है उन्हें दहशत में डालना है उन्हें खुशिया मानने का मौका नहीं देना है | ये अच्छा काम कम्बख्त बस अपने यहाँ ही करते है |
      ( याद रखे की १३ दिसंबर को हुआ हमला संसद पर था किसी नेता मंत्री पर नहीं | वो हमला प्रतीकात्मक ज्यादा था नुकशान पहुचने के उद्देश्य से कम था तभी कोई नेता नहीं मरा और बाकि मंत्री नेता पर  आतंकवादी हमले होने के पहले ही पकडे जाने की कई खबरे हम सुनते है उनका असली सच सभी जानते है  )
                

26 comments:

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  2. ओ हो अंशुमाला जी आप
    तो ऐसे कह रही है जैसे हमारे
    नेता लोग कुछ कर
    ही नहीं रहे
    है.प्रधानमंत्री जी ने कह
    तो दिया कि आतंकियो को किसी कीमत
    पर छोडा नहीं जाएगा(बस
    पकडने की ही देर है).आप आधे
    भरे गिलास
    को भी तो देखिये.और
    जहाँ तक बात है युवराज
    की तो उन्होने बस
    अपनी गैरजिम्मेदारी वाली खानदानी परंपरा का निर्वाह
    किया है.आखिर 84 के
    दंगों के समय उनके
    पिताजी ने
    भी तो कहा था कि जब
    कोई बडा पेड गिरता है
    तो धरती हिलती ही है.तब
    हमारी जनसंख्या 90 करोड
    से कुछ कम रही होगी पर आज
    तो 121 करोड है.और फिर
    इंसान की उम्र देखकर
    भी आपको बात
    करनी चाहिये.अभी तो बस
    चालीस पार के ही हुए है.अब
    ऐसी कच्ची उम्र वाले
    को आप जो कह रही है
    वो सब समझाना तो उन पर
    बौद्धिक अत्याचार करने
    जैसा होगा.बाकी आपने
    जो मंत्री,पुलिस और
    सुरक्षाऐजेंसियों की मजबूरियों को बताया वो हमारी आँखे
    खोलने वाला है.मगर अब क्या करना है, नहीं पता.

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  3. हाँ, उन बेचारों की क्या ज़िम्मेदारी है - सारी ज़िम्मेदारी जनता की है।

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  4. मुम्बई हो या दिल्ली या बनारस आप लोगों के जस्बे को सलाम कीजिये देखिये इन हादसों के बाद भी जीवन की रफ्तार नहीं थमीं...वो देखिये बच्चे स्कूल जा रहें है, लोग काम पर जा रहे हैं...इन थोड़े से कायर लोगों के हमलों से ये महान देश नहीं डरने वाला...सरकार के लगभग सभी बड़े मंत्रीयों और खुद सोनिया जी ने कड़े शब्दों में इन हमलों की निन्दा की है। जांच चल रही है उसकी रपट आने तक कुछ भी स्प्ष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता...हां हर रोज़ ग़्रहमन्त्री मीडिया को इन बारे में चल रही जांच की प्रगति से अवगत कराते रहेंगे।....दोषीयों को किसी भी हाल में बक्शा नहीं जायेगा।...पाकिस्तान से अगले दौर की वार्ता में इस बात को उठाये जाने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।....खुफिया विभाग मुस्तैदी से काम कर रहा है..हां इस हमले की पूर्व जानकारी नहीं थी..आक् थू !!!!!!!!!!

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  5. वही... तो बेकार ही नेता और पुलिस के पीछे पड़ी रहती है भीड़. समझती तो है नहीं.इतना तो समझना ही चाहिए कि अफगानिस्तान,इरान जैसी हालत अभी नहीं हुई भारत की.
    भिगो भिगो कर मारा है आज.

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  6. "safedghar" से सीधे आपके घर(ब्लॉग) पर आया और इस धारदार लेख को पढ़ पाया
    धारदार .. बहुत धारदार

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  7. आपने इस निक्कमी सरकार पर वार करते हुए बहुत सार्थक पोस्ट लिखा है ...........पढ़ने का अवसर देने के धन्यवाद

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  8. अच्छा वार किया है सरकार पर

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  9. वाकई मनमोहन सिंह जी को गीता के मर्म को समझाते हुए लोगों को बताना चाहिए कि आतंकवादी हमलों में आम आदमी के तुच्छ प्राणों के जाने पर इतनी हाय-तौबा नहीं मचानी चाहिए...जो जैसा करेगा, उसे वैसा ही फल देगा भगवान...आतंकवादियों को सज़ा देने वाले हम कौन होते हैं...सज़ा देना या न देना, ये काम भगवान का है...

    कॉमन मैन...
    मनमोहन जी बस इतना करा दीजिए...आतंकवादियों की भगवान से मीटिंग कराने के लिए उन्हें सेना के ज़रिए ऊपर भेजने का इंतज़ाम करा दें...खास तौर पर सरहद के पार जो बैठे हैं...

    जय हिंद...

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  10. बहुत तगडी क्‍लास ली है आपने।

    पर इनकी चमडी शायद गैंडे से भी ज्‍यादामोटी है।


    ------
    जीवन का सूत्र...
    NO French Kissing Please!

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  11. ग्लोबल अग्रवाल जी
    आप की टिप्पणी से सीधे आप की प्रोफाइल पर गई तो पता चला की आप ने अपना ब्लॉग दूसरो को पढाना बंद कर दिया है केवल अपने लिए लिखते है | अपने लिए भी कोई लिखता है क्या वो तो दिमाग में पहले से ही लिखा है उसे कागज ( ब्लॉग ) पर लिखने की क्या जरुरत है, ब्लॉग तो दूसरो को पढ़ने के लिए लिखा जाता है | वैसे आप की प्रोफाइल की फोटो एक पुराने युवा ब्लोगर से मेल खाती है उसने भी ब्लोगिंग छोड़ दी पता नहीं क्यों लगता है गड़बड़ी इस फोटो में है इसे बदल कर अपनी असली फोटो लगा लीजिये :)

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  12. बेहतरीन सामयिक व्यंग्य... !
    हार्दिक शुभकामनायें ..

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  13. अंशुमाला जी!!
    चैतन्य भाई ने (संवेदना के स्वर से टिप्पणी पोस्ट नहीं हो पा रही थी अतः उन्हें नाम से लिखना पड़ा)सारी बात कह ही डी है.. मैं बस एक दूसरा पहलू पेश कर रहा हूँ.. दरसल आपने चलते चलते जो कहा वो गौरतलब है.. और उसके उत्तर में एक बार सोचकर देखिये कि ये क्या वाकई सीमा पार की करतूत है!! एस.आई.टी./जन लोकपाल/रामदेव/स्पेक्ट्रम / पेट्रोल के दाम/ महंगाई वगैरह से ध्यान हटाने का एक तरीका तो नहीं!!!
    सोचिये बस ऐसे ही चलते चलते मेरे भी कूडमगज में ये बात आ गयी..

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  14. अंशुमाला जी
    सरकार तो खराब है और खराब ही बनी रहना चाहती है

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  15. अस्वस्थता के कारण करीब 25 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

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  16. सार्थक व्यंग्य...बहुत सुन्दर....

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  17. दिव्यज्ञान प्रदान करने का आभार. :-)

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  18. युवराज भी क्या करें जब नियांब्बे पर महज एक फीसदी भारी पढ़ रहा हो,
    वैसे पूरे ३१ महीनो बाद मुंबई में धमाके हुए हैं , जो की एक बहुत बड़ी उपलब्धी है ,,,.........?
    अछि प्रस्तुती ! आभार.

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  19. बहुत बढ़िया समसामयिक आलेख..... हर पंक्ति विचारणीय लगी.... सच कितनी दुखद इनकी गैरजिम्मेदारी.....

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  20. "आतंकवादी तो निमित्त मात्र हैं" बहुत सुन्दर. मन बाग़ बाग़ हो उठा.

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  21. bahut badiya samyik chintansheel prastuti ke liye aabhar!

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  22. नेताओं से कह दो की भारत की जनता ने धमाकों की आदत डाल ली है.. अपनी चौंच बंद रखें... उनसे कह दो अपने जहर बुझे बयानों से जनता को आहात न करें...

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  23. गटर की राजनीति से फुरसत मिले,तो ध्यान जाए असली मुद्दों पर।

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  24. पाकिस्तान का कुछ नहीं हो सकता. वहां सत्ता में आने का रास्ता ही यही है...

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