" इटैलियन जॉब " हालीवुड की की एक प्रसिद्द और हिट फिल्म थी , इसी फिल्म का एक फ्लाप और घटिया संस्करण भारत में भी बना " प्लेयर " बिलकुल भारतीय हिंदी फिल्मो की स्टाईल में गाना बजाना सब था , गाने तो खूब हिट रहे फिल्म के, किन्तु फिल्म बिलकुल ही फ्लाप हो गई । बहुतो ने इटैलियन जॉब का फ़िल्मी घटिया संस्करण देखा होगा और बहुतो ने नहीं किन्तु अब सभी को एक और इटैलियन जॉब का घटिया भारतीय संस्करण बिना मर्जी के देखना होगा । इटली के एक कंपनी से हेलिकॉप्टर ख़रीदा गया और अब इटली में हुए एक जाँच से पता चला की भारत को वो हेलिकॉप्टर बेचने के लिए यहाँ पर लोगो को घुस दिया गया वो भी तिन सौ करोड़ से ऊपर की रकम , इटली में एक शानदार जाँच हुई और एक सी इ ओ की गिरफ़्तारी भी हुई चार्जशीट तक बन गई । अब इस शानदार और हिट इटैलियन जांच का एक घटिया और फ्लाप भारतीय जाँच संस्करण हम सभी को जल्द ही देखने को मिलेगा ,जिसमे फिल्म के गाने की तरह घोटाले की चर्चा तो हिट रहेगी किन्तु फिल्म की तरह जाँच फ्लाप होने वाली है , जिसका नतीजा होगा की कही कोई पैसा नहीं लिया गया , कही पैसा लेने के कोई सबुत नहीं है , हमने सारी जाँच कर ली सारे आरोप झूठे है । यानि पैसा दिया तो गया किन्तु वो लिया नहीं गया , पैसा देने वाले पैसा दे कर फंस गए उन्हें सजा भी संभव है की हो जाये किन्तु पैसा किसने लिया यही बात कभी सामने नहीं आएगा तो सजा की बात सोचना तो दूर की बात है । मजबूरी ये है की फिल्म देखने हम नहीं गए और हमारे पैसे बच गए किन्तु इस बार तो हमारे पैसे भी चले गए और जबरजस्ती हम इस घटिया जाँच संस्करण को देखने के लिए मजबूर है ।
जैसा की होना था हर घोटाले की तरह यहाँ भी अपने से पहले के विरोधियो की सरकारों पर दोषारोपण होने लगा और फट से जाँच का जिम्मेदारी सरकारी जाँच विभाग सी बी आई को दे दी गई , एक साल से इस बारे में सवाल किये जा रहे थे , अखबारों में खबर आ रही थी किन्तु किसी भी जाँच की जरुरत नहीं समझी गई और कहा गया की एक औपचारिक रिपोर्ट मिलने के बाद कार्यवाही की जाएगी जो सरकार को एक साल तक नहीं मिली , किन्तु वही सरकार आज मिडिया रिपोर्टो के आधार पर तुरंत जाँच के आदेश दे कर अपनी पीठ खुद थपथपा रही है । जबकि हाल तो ये है हमारे यहाँ सी बी आई की जाँच इसलिए नहीं होती की कोई पकड़ा जाये , बल्कि जाँच इसलिए होती है की कोई पकड़ा न जाये , सभी आरोपी बाइज्जत बरी हो जाये । कभी कभी ये भी लगता है की तुरंत सी बी आई की जाँच इसलिए बिठा दी जाती है ताकि उस घोटालो से जुड़े कागजात कही किसी और के हाथ न लग जाये , बल्कि जल्द से जल्द घोटालो से जुड़े हर कागजात जाँच के नाम पर इस सरकारी विभाग के पास आ जाये और उससे जुड़े लोगो को बचाया जा सके , यदि वो सरकारी पक्ष का है तो उस पर लगे सभी आरोपों से उसे बरी किया जाये और यदि विरोधी पक्ष का है तो उससे सौदेबाजी की जाये , ताकि सरकारे आराम से अपना काम करती रहे । इस घोटाले को ही ले लीजिये यदि कोई गड़बड़ी पूर्व की सरकारों की थी तो वर्तमान सरकार को जाँच में क्या तकलीफ थी उसे एक साल पहले ही जाँच के आदेश दे देने थे , किन्तु ऐसा नहीं हुआ क्योकि सभी जानते है की चोर चोर मौसेरे भाई होते है , कितने ही दलों की सरकारे आई और गई आज तक बोफोर्स घोटाले का कोई नतीजा नहीं निकला , यहाँ तक की वो सरकारे भी कुछ नहीं कर सकी जो इसे मूद्दा बना कर चुनाव लड़ी । ये सारे घोटाले राजनैतिक दलों के लिए मात्र चुनावी मुद्दा भर होती है उन्हें न किसी जाँच से मतलब है और न किसी आरोपी के पकडे जाने से ।
अन एक नया शगूफा शुरू हो गया है की मिडिया ट्रायल न हो , क्योकि ये देश की छवि , सेना की छवि , को ख़राब कर रहा है सैनिको का मनोबल गिरेगा और किसी पूर्व सेनाध्यक्ष से हम इस तरह सवाल नहीं कर सकते है । इसका क्या मतलब है , यही की भाई मिडिया इस बारे में बात न करे इन घोटालो को उजागर न करे , लोग अपना मुंह बंद करके रखे , ताकि जाँच के नाम पर लिपा पोती होती रहे अपने राजनैतिक समीकरण को ठीक किया जा सके , और मामला अदालत तक पहुँच भी गया तो वहा क्या हो रहा है ये बात हम 2 जी घोटाले में देख ही रहे है कि कैसे सी बी आई के वकील तक घोटालेबाजो से मिल कर काम कर रहे है उन्हें बचाने का काम कर रहे है । हमारी सी बी आई तो इतनी भी सक्षम नहीं है की वो ये भी देख सके की खुद उसके ही लोग घोटालेबाजो से मिले हुए है , अभी 2 जी मामले में जिस वकील को हटाया गया है उनके बारे में बाहर के व्यक्ति ने सी बी आई को जानकारी दी थी, बातचीत का टेप दिया था , तब जा कर सी बी आई को इस बारे में पता चला था , अब वो उसकी भी जाँच कर रही है ।पूर्व वायु सेनाध्यक्ष कहते है की कोई सीधे मुझे कैसे घुस देने की बात कर सकता है ये सम्भव नहीं है , जबकि अभी हाल में ही एक पूर्व थल सेनाध्यक्ष ने साफ कहा था की एक ट्रक सौदे में उन्हें सीधे सीधे घुस देने की पेशकश की गई थी जब वो पद पर थे और ये बात उन्होंने रक्षा मंत्री तक को बताई थी ,( उसकी भी जाँच हुई थी और उसमे भी कुछ नहीं निकला ) अब किसकी बात को सच माना जाये । सेना से जुड़ा ये कोई पहला घोटाला नहीं है , और न हीं पहला मामला है जिसमे किसी सेना से जुड़े व्यक्ति पर आरोप लग रहा है, तहलका ने तो एक स्टिंग में दिखा भी दिया था सब कुछ कि कैसे सेना से जुड़े लोग कमीशन खाते है । इसके बाद भी सेना को ले कर इतना ढकाव छुपाव क्यों हो रहा है , बल्कि अब समय आ गया है की अब सेना के अन्दर छुप छुपा कर हो रहे इन कमीशनबाजी को भी बाहर लाया जाये और उसकी भी अच्छे से सफाई की जाये । सेना का मनोबल इसलिए नहीं गिरता है की उससे जुड़े लोगो पर आरोप लग रहे है बल्कि इससे होता है की जहा एक तरफ खबरे आती है की सेना में गोल बारूद , और गोलियों तक की कमी है वहा वी वी आई पी के सुरक्षा के नाम पर उनके लिए इतने अरबो रुपये के हेलिकॉप्टर ख़रीदे जा रहे है , उन पर खर्च होने वाली रकम को घुस ले कर महंगे हथियारो और कई बार बेकार हथियार को खरीदने में और कभी कभी बिना जरुरत के चीजो को खरीदने में खर्च किये जा रहे है । इसलिए मिडिया ट्रायल के नाम पर लोगो की आवाज को बंद करने का प्रयास सरकारे न करे तो अच्छा है , क्योकि इससे ये आवाजे तो बंद नहीं होगी उलटे सेना की छवि की लोगो की नजर में ख़राब होगी , सरकरो की छवि की तो बात छोड़ ही दीजिये वो तो कभी अच्छी थी ही नहीं । एक उम्मीद लोगो को सेना से है अब उस उम्मीद को सेना न तोड़े तो ही अच्छा होगा , और लोगो को चुप कराने के बजाये एक बार अपनी साफ सफाई कर ले , सरकारों से तो हम इसकी भी उम्मीद नहीं कर पाते है ।
चलते चलते
कांग्रेस और सरकार के ग्रह नक्षत्र ठीक नहीं चल रहे है , घोटालो के आरोपों से परेसान हो कर उसने क्या क्या नहीं किया , कैश सब्सिडी को गेम चेंजर का नाम दे कर जनता के बिच उतारा, राहुल को कांग्रेस में नंबर दो बनाया , उन्हें प्रधानमंत्री के पद के लिए प्रोजेक्ट किया , मोदी, साम्प्रदायिकता , हिन्दू आतंकवाद का नाम ले कर चर्चा का रुख मोड़ा , पहले कसाब और फिर अफजल को फांसी दे कर घोटालो से बड़ी मुश्किल से जनता का ध्यान हटाया था किन्तु वाह रे किस्मत घूम फिर कर फिर एक और घोटाला सामने आ गया और जनता के बिच फिर घोटाला ही मुद्दा बना गया , अब बजट एक मात्र उपाय है उसके लिए चुनावों से पहले जनता के बिच अपनी छवि को ठीक करने के लिए , देखते है की अब बजट कितना लोकलुभावना आता है या फिर एक और घोटाला उसके किये धरे पर पानी फेरने वाला है । वैसे नेताओ में अब पहले वाली काबलियत नहीं रही की घोटाला करो और उसे सामने भी न आने दो ।
जैसा की होना था हर घोटाले की तरह यहाँ भी अपने से पहले के विरोधियो की सरकारों पर दोषारोपण होने लगा और फट से जाँच का जिम्मेदारी सरकारी जाँच विभाग सी बी आई को दे दी गई , एक साल से इस बारे में सवाल किये जा रहे थे , अखबारों में खबर आ रही थी किन्तु किसी भी जाँच की जरुरत नहीं समझी गई और कहा गया की एक औपचारिक रिपोर्ट मिलने के बाद कार्यवाही की जाएगी जो सरकार को एक साल तक नहीं मिली , किन्तु वही सरकार आज मिडिया रिपोर्टो के आधार पर तुरंत जाँच के आदेश दे कर अपनी पीठ खुद थपथपा रही है । जबकि हाल तो ये है हमारे यहाँ सी बी आई की जाँच इसलिए नहीं होती की कोई पकड़ा जाये , बल्कि जाँच इसलिए होती है की कोई पकड़ा न जाये , सभी आरोपी बाइज्जत बरी हो जाये । कभी कभी ये भी लगता है की तुरंत सी बी आई की जाँच इसलिए बिठा दी जाती है ताकि उस घोटालो से जुड़े कागजात कही किसी और के हाथ न लग जाये , बल्कि जल्द से जल्द घोटालो से जुड़े हर कागजात जाँच के नाम पर इस सरकारी विभाग के पास आ जाये और उससे जुड़े लोगो को बचाया जा सके , यदि वो सरकारी पक्ष का है तो उस पर लगे सभी आरोपों से उसे बरी किया जाये और यदि विरोधी पक्ष का है तो उससे सौदेबाजी की जाये , ताकि सरकारे आराम से अपना काम करती रहे । इस घोटाले को ही ले लीजिये यदि कोई गड़बड़ी पूर्व की सरकारों की थी तो वर्तमान सरकार को जाँच में क्या तकलीफ थी उसे एक साल पहले ही जाँच के आदेश दे देने थे , किन्तु ऐसा नहीं हुआ क्योकि सभी जानते है की चोर चोर मौसेरे भाई होते है , कितने ही दलों की सरकारे आई और गई आज तक बोफोर्स घोटाले का कोई नतीजा नहीं निकला , यहाँ तक की वो सरकारे भी कुछ नहीं कर सकी जो इसे मूद्दा बना कर चुनाव लड़ी । ये सारे घोटाले राजनैतिक दलों के लिए मात्र चुनावी मुद्दा भर होती है उन्हें न किसी जाँच से मतलब है और न किसी आरोपी के पकडे जाने से ।
अन एक नया शगूफा शुरू हो गया है की मिडिया ट्रायल न हो , क्योकि ये देश की छवि , सेना की छवि , को ख़राब कर रहा है सैनिको का मनोबल गिरेगा और किसी पूर्व सेनाध्यक्ष से हम इस तरह सवाल नहीं कर सकते है । इसका क्या मतलब है , यही की भाई मिडिया इस बारे में बात न करे इन घोटालो को उजागर न करे , लोग अपना मुंह बंद करके रखे , ताकि जाँच के नाम पर लिपा पोती होती रहे अपने राजनैतिक समीकरण को ठीक किया जा सके , और मामला अदालत तक पहुँच भी गया तो वहा क्या हो रहा है ये बात हम 2 जी घोटाले में देख ही रहे है कि कैसे सी बी आई के वकील तक घोटालेबाजो से मिल कर काम कर रहे है उन्हें बचाने का काम कर रहे है । हमारी सी बी आई तो इतनी भी सक्षम नहीं है की वो ये भी देख सके की खुद उसके ही लोग घोटालेबाजो से मिले हुए है , अभी 2 जी मामले में जिस वकील को हटाया गया है उनके बारे में बाहर के व्यक्ति ने सी बी आई को जानकारी दी थी, बातचीत का टेप दिया था , तब जा कर सी बी आई को इस बारे में पता चला था , अब वो उसकी भी जाँच कर रही है ।पूर्व वायु सेनाध्यक्ष कहते है की कोई सीधे मुझे कैसे घुस देने की बात कर सकता है ये सम्भव नहीं है , जबकि अभी हाल में ही एक पूर्व थल सेनाध्यक्ष ने साफ कहा था की एक ट्रक सौदे में उन्हें सीधे सीधे घुस देने की पेशकश की गई थी जब वो पद पर थे और ये बात उन्होंने रक्षा मंत्री तक को बताई थी ,( उसकी भी जाँच हुई थी और उसमे भी कुछ नहीं निकला ) अब किसकी बात को सच माना जाये । सेना से जुड़ा ये कोई पहला घोटाला नहीं है , और न हीं पहला मामला है जिसमे किसी सेना से जुड़े व्यक्ति पर आरोप लग रहा है, तहलका ने तो एक स्टिंग में दिखा भी दिया था सब कुछ कि कैसे सेना से जुड़े लोग कमीशन खाते है । इसके बाद भी सेना को ले कर इतना ढकाव छुपाव क्यों हो रहा है , बल्कि अब समय आ गया है की अब सेना के अन्दर छुप छुपा कर हो रहे इन कमीशनबाजी को भी बाहर लाया जाये और उसकी भी अच्छे से सफाई की जाये । सेना का मनोबल इसलिए नहीं गिरता है की उससे जुड़े लोगो पर आरोप लग रहे है बल्कि इससे होता है की जहा एक तरफ खबरे आती है की सेना में गोल बारूद , और गोलियों तक की कमी है वहा वी वी आई पी के सुरक्षा के नाम पर उनके लिए इतने अरबो रुपये के हेलिकॉप्टर ख़रीदे जा रहे है , उन पर खर्च होने वाली रकम को घुस ले कर महंगे हथियारो और कई बार बेकार हथियार को खरीदने में और कभी कभी बिना जरुरत के चीजो को खरीदने में खर्च किये जा रहे है । इसलिए मिडिया ट्रायल के नाम पर लोगो की आवाज को बंद करने का प्रयास सरकारे न करे तो अच्छा है , क्योकि इससे ये आवाजे तो बंद नहीं होगी उलटे सेना की छवि की लोगो की नजर में ख़राब होगी , सरकरो की छवि की तो बात छोड़ ही दीजिये वो तो कभी अच्छी थी ही नहीं । एक उम्मीद लोगो को सेना से है अब उस उम्मीद को सेना न तोड़े तो ही अच्छा होगा , और लोगो को चुप कराने के बजाये एक बार अपनी साफ सफाई कर ले , सरकारों से तो हम इसकी भी उम्मीद नहीं कर पाते है ।
चलते चलते
कांग्रेस और सरकार के ग्रह नक्षत्र ठीक नहीं चल रहे है , घोटालो के आरोपों से परेसान हो कर उसने क्या क्या नहीं किया , कैश सब्सिडी को गेम चेंजर का नाम दे कर जनता के बिच उतारा, राहुल को कांग्रेस में नंबर दो बनाया , उन्हें प्रधानमंत्री के पद के लिए प्रोजेक्ट किया , मोदी, साम्प्रदायिकता , हिन्दू आतंकवाद का नाम ले कर चर्चा का रुख मोड़ा , पहले कसाब और फिर अफजल को फांसी दे कर घोटालो से बड़ी मुश्किल से जनता का ध्यान हटाया था किन्तु वाह रे किस्मत घूम फिर कर फिर एक और घोटाला सामने आ गया और जनता के बिच फिर घोटाला ही मुद्दा बना गया , अब बजट एक मात्र उपाय है उसके लिए चुनावों से पहले जनता के बिच अपनी छवि को ठीक करने के लिए , देखते है की अब बजट कितना लोकलुभावना आता है या फिर एक और घोटाला उसके किये धरे पर पानी फेरने वाला है । वैसे नेताओ में अब पहले वाली काबलियत नहीं रही की घोटाला करो और उसे सामने भी न आने दो ।
मीडिया ट्रायल के समय ही क्यों...? देश की छवि का ख्याल ऐसे कारनामों को अंजाम देते समय नहीं आता इन्हें .......
ReplyDeleteदेश सेना आदि सभी की जिम्मेदारी बस आम जनता की है इनकी नहीं ।
Deleteजब राजनीतिज्ञ या सेना अधिकारी या कोई भी बड़ा अधिकारी ,ये सब कारनामे करता है तब उन्हें शर्म नहीं आती ??
ReplyDeleteउनके इतने घोटाले करने पर देश की तरक्की पर असर पड़ता है, उस से देश की छवि खराब नहीं होती?
दुनिया वालों को पता चल जाए तो उन्हें चिंता सताने लगती है। जनता कब तक उनके गुनाहों का खामियाजा भुगतती रहेगी??
मीडिया के बहाने ही इनकी कारगुजारियां सामने आनी ही चाहियें, पर हाँ, लीपा पोती करना ये लोग खूब जानते हैं और फिर वही ढाक के तीन पात
मिडिया के कारण घोटाले सामने तो आ रहे है किन्तु सजा कहा मिल पा रही है अपराधियों को , और देश की तरक्की नहीं होती है तो क्या इनकी तो हो रही है ना ।
.एक एक बात सही कही है आपने मीडियाई वेलेंटाइन तेजाबी गुलाब संवैधानिक मर्यादा का पालन करें कैग
ReplyDeleteधन्यवाद !
Deleteसब बातें सही कहीं ..और ये सबसे ज्यादा सही - नेताओ में अब पहले वाली काबलियत नहीं रही की घोटाला करो और उसे सामने भी न आने दो ।
ReplyDeleteहा सजा से बचने की काबलियत अभी भी बनी हुई है , वो कब ख़त्म होगी ।
Deleteआपकी बातों से लगता है कि कोई एक्शन फिल्म होगी लेकिन लगता है भारतीय संस्करण में कॉमेडी भी है जो कि शुरुआत में ही देखने को मिली रक्षामंत्री जी का ये कहना कि जो भी दोषी पाया जाएगा उसे बख्शा नहीं जाएगा।वैसे ये मंत्री जी बेदाग छवि वाले हैं लेकिन पिछले थलसेनाध्यक्ष द्वारा लगाए गये आरोपों के संबंध में भी कोई प्रगति नहीं हुई।अभी तक ये भी गुमान था कि हमारी सेना राजनीति से दूर रहती है लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में राजनीतिक सैन्य गठजोड निराशाजनक है।हम ही नहीं सभी देशों के नागरिक अपनी अपनी सेना पर बहुत विश्वास करते हैं उनके खिलाफ बातें नहीं सुन पाते लेकिन वो लोग जो खुद सेना में अहम पदों पर हैं यदि वही विश्वास तोड़ने लगे तो...
ReplyDeleteहमारे देश में बेदाग छवि की भी एक अलग ही परिभाषा है , अब देखिये ने एक और बेदाग छवि वाले उस नेता का नाम भी आ रहा है जो आज देश के इतने उच्चे पद पर है की अब तो उनके बारे में कोई कुछ भी नहीं कह सकता है ।
Deleteफ़िल्म ओरिजिनल वाली देखी थी, उसकी नकल नहीं देखी लेकिन अंदाजा है कि ओरिजिनल से दोयम ही होगी। अब बात घोटाले और जाँच की, इसमें पक्का विश्वास है कि भारतीय संस्करण अपने इटैलियन ओरिजिनल से ज्यादा मनोरंजक होगा। लीपापोती और घिसटमघसीटी में हम इटली फ़िटली सबसे आगे ही मिलेंगे।
ReplyDeleteमनोरंजन शुरू भी हो गया , फलाने के कार्यकाल में हुआ तो ढेकाने के कार्यकाल में हुआ की कामेडी चालू है और हिंदी फिल्मो की तरह अंत में सब ठीक हो जायेगा और कोई भी नेता अधिकारी नहीं पकड़ा जायेगा , हैप्पी एंडिंग , और जनता हॉल से बुदबुदाते बाहर आएगी की फिर डूब गए हमारे पैसे ।
Deleteइस देश का अब तो भगवान ही मालिक है। जनता को ही समझदार होना होगा।
ReplyDeleteभगवान नहीं ये नेता है इस देश के मालिक , जो जनता को कभी समझदार बनने ही नहीं देगी ।
Deleteइनका हाजमा कमजोर हो गया है जो माल पचा नही पा रहे हैं.:) इलाज जरूरी है.
ReplyDeleteरामराम.
पोल वो खोल रहे है जिन्हें मॉल मिल नहीं रहा है ।
Delete.
ReplyDelete.
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@ सेना से जुड़ा ये कोई पहला घोटाला नहीं है , और न हीं पहला मामला है जिसमे किसी सेना से जुड़े व्यक्ति पर आरोप लग रहा है, तहलका ने तो एक स्टिंग में दिखा भी दिया था सब कुछ कि कैसे सेना से जुड़े लोग कमीशन खाते है । इसके बाद भी सेना को ले कर इतना ढकाव छुपाव क्यों हो रहा है , बल्कि अब समय आ गया है की अब सेना के अन्दर छुप छुपा कर हो रहे इन कमीशनबाजी को भी बाहर लाया जाये और उसकी भी अच्छे से सफाई की जाये । सेना का मनोबल इसलिए नहीं गिरता है की उससे जुड़े लोगो पर आरोप लग रहे है बल्कि इससे होता है की जहा एक तरफ खबरे आती है की सेना में गोल बारूद , और गोलियों तक की कमी है वहा वी वी आई पी के सुरक्षा के नाम पर उनके लिए इतने अरबो रुपये के हेलिकॉप्टर ख़रीदे जा रहे है , उन पर खर्च होने वाली रकम को घुस ले कर महंगे हथियारो और कई बार बेकार हथियार को खरीदने में और कभी कभी बिना जरुरत के चीजो को खरीदने में खर्च किये जा रहे है । इसलिए मिडिया ट्रायल के नाम पर लोगो की आवाज को बंद करने का प्रयास सरकारे न करे तो अच्छा है , क्योकि इससे ये आवाजे तो बंद नहीं होगी उलटे सेना की छवि की लोगो की नजर में ख़राब होगी , सरकरो की छवि की तो बात छोड़ ही दीजिये वो तो कभी अच्छी थी ही नहीं । एक उम्मीद लोगो को सेना से है अब उस उम्मीद को सेना न तोड़े तो ही अच्छा होगा , और लोगो को चुप कराने के बजाये एक बार अपनी साफ सफाई कर ले
अंशुमाला जी,
हमारी सेना के अफसरान भी हमारे समाज से ही आते हैं, इसलिये व्यापक समाज का ही प्रतिनिधित्व करते हैं... समाज के अन्य अंगों की तरह ही और उतना ही भ्रष्टाचार सेना में भी है... मुंबई के आदर्श हाउसिंग घोटाले में तीन-तीन चीफ्स पर आरोप लगे हैं... सुखना लैंड घोटाला, राशन-तेल घोटाला, सीएसडी की शराब घोटाला...अब यह घोटाला... जनता भले ही बड़ी-बड़ी उम्मीदें रखती हो सेना से... पर असली हालत भीतर रहते किसी ईमानदार से पूछिये... :(
...
भीतर वालो से कुछ पूछने की जरुरत ही कहा है अब तो ये भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है की ये अब अपने आप बाहर आ रहा है ।
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