December 16, 2017

ये कैसी बतकहीया जो ख़त्म ही न होती -------- mangopeople


किसी शादी में दूल्हे दुल्हन हालत एक कठपुतली जैसे हो जाती है | जिनका अपना कोई दिमाग नहीं चलता रस्मो के नाम पर लोग जो कहते है दोनों करते जाते है | कितनी भी शादिया देख लो कुछ रस्मे ऐसी होती है जो खुद की शादी होने पर ही पता चलती है | न आप उनका कोई लॉजिक पूछते है और न कोई बताने वाला होता है बस होती है और करो और बेचारे दूल्हा दुल्हन पहले से ही इसके लिए तैयार होते है | इन रस्मो के बीच कुछ ऐसा मजेदार हो जाए जो जीवनभर याद रहे तो क्या कहना |  सुनती हूँ की शादी पहले दूल्हे दुल्हन को बात नहीं करनी चाहिए लेकिन हम दोनों तो एक दिन पहले तक फोन पर लगे थे | नतीजा शादी के दिन जयमाल के लिए जाने से पहले खूब तैयारी करनी पड़ी मुझे | एक तो मुझे ये याद रखना था कि मै दुल्हन हूँ और सब कुछ आराम से धीरे धीरे करना है | सगाई वाले दिन रस्मो के बाद जब सभी के पैर छूने की बारी आई तो ससुराल वालो के तो बड़े आराम से धीरे धीरे पैर छुए लेकिन जब अपने घर वालो की बारी है तो पुरे हाल में हिरणी की तरह कुलाचें मार मार सबको ढूंढ ढूंढ पैर छूना शुरू किया की सब हंस हंस के लोटपोट , खुद को बाद में वीडियो  में देख मुझे ही शर्म आई | तो इस बार याद रखना था कि कुछ भी ऐसा न हो पाये | दूसरी बात थी निश्चल से तीसरी  बार सीधा मिलने वाली थी , मुझे डर था कही हम एक दूसरे को देख हंसने लगे या बतियाना ना शुरू  कर दे स्टेज पर , ये बात शायद लोगो को पसंद न आये तो तय किया मुझे उनकी तरफ देखना ही नहीं है |
                                                         जयमाल  के लिए जाते समय एक बार भी उन्हें देखा नहीं फिर जयमाल डालते समय नजर मिली और कुछ रिएक्शन देने से पहले ही फोटोग्राफर की तरफ देखने लगी और दूसरी नजर जब वापस  उन पर डाली तो बिलकुल शॉक उनके हाथ में आरती की थाली थी | मन ही मन चीख पड़ी हे भगवान ये क्या रहा है |  इस बार दोनों की नजरे अच्छे से मिली लेकिन वो आश्चर्य में फैली हुई थी दूसरे ही सेकेण्ड नजर उनके  बगल में खड़ी बहन पर पड़ी वो हंस रही थी | तब तक हमें समझ आ चूका था कि इसके पीछे कौन है वो मुड़े और हँसते हुए पूछा इसका क्या करना है मेरी बहन ने उनके हाथ पकड़े और घुमाना शुरू करते हुए कहा जीजाजी आरती उतारिये दीदी की | हायो रब्बा ऐसी हंसी फूटी हम सब की कि क्या बताऊ | लेकिन मुझे याद था कि मै दुल्हन हु सो एक हाथ से अपना चेहरा छुपाया और ठहाके लगाना शुरू |  बोलो कहा मैंने सोचा था कि ३६ इंच की मुस्कान भी नहीं देना है और मै ठहाके लगा रही थी | दो बार हाथ घुमाने के बाद बहन ने थाली ले ली और हम दोनों की आरती उतारने की रस्म पूरी की | उसके हटते ही निश्चल शुरू तुम मेरी तरफ क्यों नहीं देख रही थी | पहले ये बताओ तुमने आरती की थाल कैसे पकड़ ली मैंने पूछा | मै पुरे टाइम तुम्हे देख रहा था कि तुम कब मुझे देखो और तुम हो सब जगह देख रही हो मुझे छोड़ कर | इसका आरती की थाली पकड़ने से क्या रिश्ता है कौन से दूल्हे को आरती उतारते देखा है तुमने , आज तुमने तो रोल रिवर्स कर दिया हम दोनों का |   मै तो तुम में बीजी था और पता नहीं कब तुम्हारी बहन ने थाली पकड़ा दी मुझे पता ही नहीं चला | लोग आते गये जाते रहे और हम आधे से ज्यादा टाइम एक दूसरे से बतियाने में व्यस्त थे |
                                   तब का दिन है और आज का दिन ये रोल रिवर्स आज भी चला आ रहा है और हमारी बतकहीया भी , बस फर्क है तो इतना की अब एक ही  बोलता है और एक सुनता है |


           



     


                 


           
             




                   
 

4 comments:

  1. शादी का अपना एक अलग ही मजा है
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  2. आरती की थाली तो अब हमको भी याद रहेगी. वो वाली तस्वीर तो होगी न? लगा देतीं यहाँ तो सुपरहिट हो जाती आपकी पोस्ट.

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    1. फोटो देने वाली थी लेकिन लोग अक्सर ऐसी फोटो का गलत प्रयोग शुरू कर देते है | उसके साथ मजाकिया कमेंट लगा भाई लोग व्हाट्सप्प पर बाँट देंगे सो नहीं दिया | कुछ फेसबुक मित्रो ने देखा है वो फोटो पहले ही | :)

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, १७ दिसम्बर को लिया गया था शेर ए पंजाब का प्रतिशोध “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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