निर्भया केस के बाद मैं जब बिटिया के स्कूल जा कर बस उनके ड्राइवर आदि के बारे में जानकारी लेने लगी तो नर्सरी की प्रिंसपल ने कहा आप बेकार का पैनिक हो रहीं हैं | जब अपना घर बनवाया तो मुंबई में सबके घरो की तरह अपने घर में भी ग्रिल लगवाया लेकिन एक सबसे पीछे के ग्रिल में खिड़की बनवाई ताकि कभी आग आदि लग जाए तो आसानी से बाहर निकला जा सके | पडोसी कहने लगे इतना क्या आगे का सोचना | अभी कुछ साल पहले फायर सेफ्टी वाले आ कर बिल्डिंग की सीढ़ियों के आगे के जालीदार हिस्सों को तोड़ कर खुला रखने को कहा | वो करने में भी सालो लगे |
हमारे घर , स्कूल , ऑफिस आदि आग जैसी दुर्घटनाओं के हिसाब से खतरनाक हैं | हमने कभी कुछ नहीं किया ना कभी सुरक्षा के उपकरण रखे ना कभी स्कूल ऑफिस को इसके लिए टोक | बच्चो को कभी ऐसी दुर्घटनाओं के लिए बचने के उपाय नहीं बताये | ऐसे समय में क्या करना चाहिए नहीं सिखाया |
हम खुद कुछ ना करते हैं ना करना चाहते हैं लेकिन दुसरो को दोष देना हमें खूब आता हैं | अपनी गलती के लिए भी हम दुसरो को दोष देतें हैं | फायर डिपार्मेंट से लेकर हम हमारे घरों में लगी आग के लिए मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक को दोषी ठहरा देते हैं | कुछ भी ना बदलेगा यदि हमने अपना रवैया नहीं बदला | एक के बाद दूसरी दुर्घटनाए ऐसे ही होती रहेंगी |
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 25/05/2019 की बुलेटिन, " स्व.रासबिहारी बोस जी की १३३ वीं जयंती - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन में मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद |
Deleteसही कहा
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