हाथियों के लिए ये जगह स्वर्ग की तरह हैं | ये सर्कस नहीं हैं जहाँ सारे दिन उनसे मेहनत करवाई जाए , छोटे से पिंजरे में रखा जाए और ठीक से खाना भी ना दिया जाए | इतने खुले में रहतें हैं , बस इतनी सी दुरी में यात्रियों को घूमाते हैं फिर सारा दिन आराम और भरपूर खाना | वो बहुत आराम से यहाँ रहते हैं |
हमारे आगे हाथी की सवारी करने के लिए खड़े लोगों को कर्मचारी समझा रहा था | हम और भाई दोनों इस पर मुस्करा पड़े और बोले हाथियों के पैरो में पड़ी लोहे की जंजीर बता रही हैं कि ये स्वर्ग हैं | मेरी बारी आतें ही मैंने पूछा , कितने हाथी हैं यहाँ , ज्यादातर तो हथिनी दिख रहीं हैं | तो बोल पड़ा एक भी हाथी नहीं हैं सब हथिनियाँ ही हैं | हाथी को संभालना एक मुश्किल काम हैं और वो सुरक्षित भी नहीं होते | केरल एक पारंपरिक लोगों की जगह हैं इसलिए मैंने पूरा संभलते हुए पूछा यहाँ एक भी बच्चे नहीं दिख रहें हैं तो क्या आप इन सबकी शादी नहीं करातें | मेरी इस बात पर वो केवल मुस्करा दिया | लेकिन हम यहीं नहीं रुकने वाले थे हमने जारी रखा , ये तो गलत बात हैं और बिलकुल भी प्राकृतिक नहीं हैं | हर मादा जीव को जन्म देने और माँ बनने का अधिकार हैं आप इन सभी को इससे दूर रख रहें हैं |
उसके पास जवाब नहीं था वो बस मुस्कराता रहा | मुझे पूरा विश्वास हैं कि उसे स्वर्ग और नर्क का अंतर तब भी नहीं समझ आया होगा और ना मेरी कही बात का मतलब |
अगले दिन जब हथिनियों को नहलाने के लिए दुबारा गए तो उसके महावत से भी मैंने ये शिकायत की जवाब उसके पास भी नहीं था | अब लग रहा हैं , मुझे ये बात वहां की विजिटर डायरी में लिख देना चाहिए था शायद मैनेजमेंट को कुछ समझ आती , खैर |
मनुष्य पशुओं को कब से पालतू बना रहा हैं पता नहीं और किन पशु पक्षियों को पालतू बनाना चाहिए और किनको नहीं इस पर बड़ा कन्फ्यूजन हैं | मेनका गाँधी ने कहा खरगोश पालतू नहीं हैं उन्हें ना पाले , हमने पाला था , तोते , कुत्ता , बंदर , सब पाले थे | अब तो लोगों को शेर बाघ तक पालते देखतीं हूँ और उन खूंखार जानवरों का अपने मालिकों के प्रति अपार प्रेम भी देखा हैं | ऐसी पंक्षी भी देखें हैं जो पिंजरे में रहते ही नहीं आराम से पूरा घर घूमते हैं और उड़ कर नहीं जाते | जानवर कोई भी हो पालने वाले और पलने वाले का आपसी प्रेम देख ये कहना मुश्किल हो जाता हैं कई बात कि उस पर अत्याचार हो रहा हैं |
अगले दिन जब सुबह सुबह उस जगह गए तो सभी महावत अपने अपने हथिनियों को खूब मेहनत से रगड़ रगड़ नहला रहें थे और पाइपों से पानी डाल उनको मन भर तर कर रहें थे , कुछ खाना खिलाने में व्यस्त थे | कुछ हथिनियां झूम रहीं थी , एक को ऊपर निचे झूमता देख मैंने बिटिया से कहा जैसे ये कर रहीं हैं वैसा ही करो बिटिया ने किया लेकिन जैसे ही बिटिया ने अपने झूमने का तरीका बदल दाएं बाएं झूमना शुरू किया अचानक से हथिनी ने मेरी बिटिया का नक़ल करना शुरू कर दिया और उसकी तरह ही झूमने लग | जाते समय बच्चे जब उन्हें बाय बाय कहने लगे तो वो भी अपना सूंड हिला प्रतिक्रिया दे रहीं थी | मुन्नार में रास्ते से गुजरते जंगली हाथी परिवार से भी मुलाकात हुई खाने पीने में व्यस्त थे , उन्हें दूर से ही निहारते रहें |
सब प्यार के भूखे होते हैं, प्यार के बदले प्यार ही मिलता है
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा पढ़कर