शायद मुंबई ऐसी जगह है जहां पितृपक्ष मनाने की जरुरत नही है क्योंकि यहां सालभर लोग अपने पितृ रूपी कौवों को खाना खिलाते है । जैसे बाकि जगहो पर गली मे घुमते गाय , कुत्ता , कबूतर आदि कोई एक घर पकड़ लेते है और रोज वहां आ कर खाना खाते है ऐसे ही मुंबई मे कौवे किसी घर की खिड़की पकड़ लेते है और रोज आ कर खाना मांगते है । घर वालो को बकायदा आवाज दे कर बुलाते है और उस घर के लोग रोज उन्हे कुछ खाने को भी देते है ।
हमारे पड़ोसी के रसोई की खिड़की पर भी आते है । जब कोई नही रहता और आवाज देने पर भी नही आता तो वहां रखा कोई बर्तन चोच से पकड़ कर से नीचे गिरा देते है । एक बार कांच का ग्लास उनका ऐसे ही तोड़ दिया नीचे गिरा कर । हमारे घर भी आते थे बिटिया दो चार बार खाना दे दी तो रोज का नियम बना लिया । अगर हम ड्राइंग रूम मे ना दिखे या आवाज देने पर ना आये तो समझ जाता बेडरूम मे है और उसकी खिड़की पर आ कर कान खाना शुरू कर देता ।
लेकिन खाने के नखरे है भाई खाली रोटी दे दो तो ऐसा रिएक्शन देते की पूछो मत । एक बार उसके आने पर रोटी दे दिया , काश की उस दिन विडियो निकालती तो आप लोग हँसते उसे देख कर । रोटी का टुकड़ा देख बिल्कुल 🙄 वाला रिएक्शन था उसका । फिर चोच से उठा कर पटका और कौव कौव चिल्ला जैसे मुझे चार बाते सुना रहा हो । हमने रोटी उठा कर फिर ऊपर रख दिया और बोला खाना है तो खाओ वरना जाओ और कुछ नही है । फिर पानी मे डुबा कर एक बार खाता फिर मुझे देख दो कौव कौव सुनाता और फिर खाता 😄
मांस मछली के बाद इनको भुजिया सेव पसंद है । मांस तो हमारे यहां मिलता नही , सेव के बारे मे बाप बिटिया को जैसे ही पता चला , किलोभर आया भुजिया सेव दोनो जने पन्द्रह दिन मे इनको खिला दिये । बस उसी दिन इनको घर निकाला मिल गया ।
दुष्ट तो कितने थे आपलोग ही देख लिजिए । पंक्षियों के लिए पानी रखती और बाद मे देखती कि वो गिरा हुआ है । लगा ग्रील के वजह से गिर जाता होगा फिर एक दिन खुद देखा पानी पीया महराज ने और चोच से पकड़ कर डब्बा गिरा दिया पानी का जानबूझकर। उस दिन मै फोटो ले रही थी तो सबूत के साथ रंगे चोच पकड़े गये । फिर हमने इस फोटो का प्रयोग किया पतिदेव को सुनाने के लिए , देख रहे हो ना तुम्हारे पितर लोग क्या क्या कर रहे है । खुद की चिंता है उन्हे बाकियो की नही 😂😂😂
दुष्टई यहां नही रूकी चिड़िया के दानो के लिए लटकाये फिडर को चोच से हिला हिला उसका दाना नीचे गिरा देता था । बाहर पानी रखा तो अपना खाना ला कर उसमे डूबा कर उसको गंदा कर देता । कौवों को खाना छुपाने की आदत है । कहीं से अतिरिक्त खाना पाता तो हमारे गमले या उसके नीचे छुपा जाता कुछ दिन तो हमने कुछ ना कहा फिर मांस मच्छी हड्डी ला कर छुपाना शुरू किया तब हमने इनका खाना वहां से फेकना शुरू किया । कौवे वैसे भी बहुत समझदार होते है दो बार मे ही समझ गये कि जगह सुरक्षित नही तो बंद कर दिया ।
लेकिन कल तो हद ही हो गयी छोटे गमले मे सफेद पत्थर रखे थे पता नही शायद जुकाम था इनको सो महक ना आयी इनको और अंडा समझ कर चोच से उठा ले गये । एक तो नीचे गिरा दिया शायद दूसरा हमारी ही दूसरी खिड़की के नीचे पड़ा देखा । कम से कम तीस चालीस ग्राम का एक पत्थर था और चार पांच फिट दूर दूसरी खिड़क पर हमे दिखा । कल फिर पतिदेव को सुनाया पितृपक्ष चल रहा है तुम्हारे पितरों को लगा होगा तुमने उनके लिए अंडे रखे है दावत के लिए । तुम्हारी ही तरह है सबके सब , अंडे और पत्थर का फर्क ना समझ आ रहा । देखो कही उनको कोरोना तो ना हो गया महक ना आ रही होगी । उनका किया तुम भुगतो निकालो वहां से मेरा पत्थर 😂😂😂
बैंगलोर में कबूतर ज़्यादा हैं, कौवे तो दिखते ही नहीं बिल्कुल
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