December 07, 2023

तीसरी कसम

 

केला बेचती ललीता पवार और उसे खरीदते राजकपूर मे मोल चाल करते हुज्जत चल रही है । ललीता पवार कहतीं है दो आने मे तीन केले दूंगी और राजकपूर कहतें है तीन आने मे दो केले लूंगा । 

थोड़ी देर बहस करने के बाद ललीता पवार को समझ आता हैं कि सामने वाला तो उनके फायदे की बात बोल रहा है । जीवन मे एकबार हम भी ललीता पवार वाली गलती कर चुकें हैं । 

बनारस से कजन की शादी के अगले दिन ट्रेन से मुंबई लौट रहें थें । साथ मे कोई तीन चार साल को बीटिया भी थीं । हमारी मिडिल बर्थ थी तो  तय था कि दिन मे तो सीट शायद ही  खुले । 

नीचे के बर्थ वाले आये नही थें हम शादी के जागे बैठे बैठे उंघ रहें थे बिटिया मोबाइल मे व्यस्त थीं । उनके जागते हम सो भी नही सकते थे और फिर पता नही कब नीचे के बर्थ वाला आ जाये । 

कुछ घन्टो बाद एक आदमी करीब छ फिट का अपने छ सात साल के बच्चे के साथ सीट पर आया और आते ही बोला सीट खाली किजिए।

  हमने कहा दिन का समय है हमारी मीडिल बर्थ है तो लिजिए हम किनारे हो जाते है आप बैठिये । तो कहता है आप पूरी सीट खाली किजिए पूरी सीट हमारी है । मेरे बेटे को सोना है । 

इतना छोटा सा उसका बच्चा था हमने कहा हम एकदम किनारे बैठ जातें है आपका बच्चा आराम से एक तरफ सो सकता है । इस पर वो एकदम ही बत्तमीजी पर उतर आया और तेज आवाज मे बोलने लगा। 

बोला देखने मे आप तो पढ़ी लिखी लग रही है आपको समझ नही आ रहा है कि सीट मेरी है । मै बच्चे को सुलाने जा रहा हूं उसके पैर से आपको चोट लगेगा तो मै नही जानता । 

हमे भी गुस्सा आने लगा लेकिन अपनी बिटिया को भी देखा तो वो जरा सा परेशान हो रहीं थी इस बहस से । 

फिर हम खुद भी जानते थें कि ट्रेन मे ऐसे कभी भी किसी से बहस भी नही करनी चाहिए।  पता नही सामने कौन किस तरह का है । लेकिन अब करूं भी क्या । बिटिया को लेकर मीडिल बर्थ पर बैठना एक मुश्किल काम था । 

बस वही पल था जब बिना मैन्टोस खाये दिमाग की बत्ती जली । हमने कहा एक मीनट ये हम का फालतू का बहस कर रहें हैं इस बन्दे से ये तो हमारे फायदे की बात कर रहा है । 

हमे इस समय मीडिल बर्थ पर बैठना नही है हम तो आराम से उस पर सो सकते हैं । नीचे के बर्थ पर तो इसलिए नही सो रहें थें कि बिटिया कहीं उतर कर कहीं चली ना जायें । 

 हम तो तीन रात के जगे उंघ रहे थें हमे तो घंटो की नींद ही चाहिए और मिडिल बर्थ से तो बिटिया के कहीं उतर के जाने का सवाल ही नही है । तो हम घंटो बेखटक सो सकते है । 

फिर हमने धाड़ से बर्थ खोला चादर बिछाया और सो गयें । एक डेढ़ घंटा बिटिया मोबाइल पर विडियो गेम खेलने के बाद , शादी की थकीं वो भी थीं तो वो भी सो गयी । 

कोई तीन चार बजे के सोये शाम को सात बजे हम उठें तो वो और उनका बच्चा दोनो जाग रहे थें । असल मे उनका बच्चा सोया ही नही। 

बीच बीच मे जितनी बार भी आधी अधूरी आँख खुली तो हमे सुनायी दे रहा था कि वो बैठे बैठे कहानी सुना सुना बच्चे को सुलाने की कोशिश कर रहें थें । लेकिन छ सात साल का लड़का ट्रेन मे आ कर कहीं सोने वाला है । वो सोया ही नही । 

अब आप अंदाजा लगाइये छ फिट का आदमी नीचे के बर्थ मे किस तरह झूक कर इतने घंटे बैठा होगा । क्योकि बच्चा तो पापा बिस्किट,  पापा पानी , पापा सूसू किया पड़ा था तो वो लेट सकते नही थें उसके साथ।  

सात बजे हमारी जैसे ही आँख खुली थोड़ी देर बाद वो खड़े हुए हमसे नजरे मिली । बस मुंह खोलने ही वालें थें कि हम पलट कर दूसरी तरफ चेहरा कर फिर  जानबूझ कर सो गये । 

उसके बाद साढें आठ के करीब नींद खुली । हमे जागता देख तपाक से बोलें कि आप चाहें तो बर्थ बंद करके नीचे आ जायें । हमने ना मे सर हिला दिया । 

अब वो हमसे बहस भी कर चुकें थें और तब हमारी बिटिया भी सो रही थीं । तो हमसे रिक्वेस्ट करने तक का मुंह ना था उनका । 

 सबसे मजेदार बात ये थीं कि पूरे बोगी मे सब घोड़ा बेच मुर्दों की तरह चादर डाल सो रहें थें । क्योंकि सब शादी से ही लौट रहें थे सबकी मेंहदी आलता यही बता रहा था । 

एक भी सीट खाली नही थी कि वो बैठ सकें । बच्चा उनका बैठा था और वो ठीक से बैठ भी नही पा रहे थें । कभी खड़े होते कभी उकता कर बाहर चले जाते । हम लेटे लेटे मस्त अपना मोबाइल देख रहें थें ।

साढें नौ बजे हमारी बिटिया जागी बोली मम्मी कुछ खाने को दो । वो फट से खड़े हो गये । सोचा कि अब तो हम नीचे उतरेगें और सीट बंद करेगें । 

वहीं ऊपर टंगें हमारे झोला से हमने बिस्किट केक और चिप्स निकाला और आराम से मोबाइल देखते खाने लगा नीचे उतरे ही नही । अब उनको पता चल गया था कि कितनी दुष्ट महिला से उन्होने फालतू की बहसबाजी की थी । 

यही बात वो रिक्वेस्ट मे कहतें  या साइड मे अपने बच्चे को सुला देतें तो हम से बाद मे सीट खोल नीचे आने को भी कह सकतें थें ताकि वो आराम से बैठ सकें । लेकिन बहस और खराब व्यवहार से हमारे अंदर के रावण के दर्शन कर लिए उन्होने । 

करीब साढ़े दस बजे रात को उनका स्टेशन आया और वो उतरने की तैयारी करने लगा तो हम बड़े मजे से उनके सामने नीचे ऊतरे सीट नीचे किया और बिटिया को बोला मजा आया ना बाबू । अब हम लोग आराम से नीचे बैठेगें चलो हमारी नींद भी पूरी हो गयी । 

उसी दिन हमने तीसरी कसम खायी कि आज के बाद कभी किसी से फालतू की हुज्जत नही करेगें । पहले ध्यान से सुनेंगें कि सामने वाला क्या कह रहा है । कहीं हमारे ही फायदे की बात तो ना कह रहा है । 

सामने वाला दो आने मे तीन केले लेने की जगह तीन आने मे दो ही केला लेना चाहता है तो यही सही । 

#तीसरीकसम 

8 comments:

  1. हा हा हा... जैसे तो तैसा।
    रोचक संस्मरण।
    सादर।
    ---------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ दिसम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. अच्छी सीख मिली इस संस्मरण से.

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  3. उव्वाहहहहह
    जैसे को तैसा
    शुभ प्रभात...

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  4. वाह! यह भी खूब रही ।

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  5. रोचक संस्मरण,सादर

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  6. ज़िन्दगी से सबक सीख ले तो कहने ही क्या...सही कहा हुज्जत करनी ही नहीं चाहिये...😊

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