सुनो लड़कियों अब सुधर जाओ और अपनी सुरक्षा के लिए दुसरो का मुंह तकना बंद कर दो | जिस पितृसत्तात्मक सोच ने लडको को तुम्हे छेड़ने परेशान करने की हिम्मत और सोच दी है उसी सोच से तुम अपनी सुरक्षा की गुहार कैसे लगा सकती हो | तुम्हे क्या लगता है वहां तुम्हारी आवाज सुनी जायेगी | ये गुहारे तुम पर पलट का ग़ाज बन गिरेगी | हॉस्टल से निकलना बंद करावा दिया जायेगा , स्कूल नौकरी छुड़वा कर घर बिठा दिया जायेगा , या आगे पीछे पूंछ की तरह बाप भाई लगा दिए जायेंगे जिससे तुम्ह जल्द ही उनके लिए बोझ की तरह हो जाओगी | तुम्हारी ही आजादी को कैद में बदल दिया जायेगा | तुम्हे ही लक्ष्मण रेखाओ की याद दिलाई जायेगी और ये सब तुम्हारी सुरक्षा के नाम पर किया जायेगा | फिर महसूस करना पीड़ित हो कर अपराधी सी सजा को |
बंद कर दो दुसरो के भरोसे रहना , क्यों रहना चाहती हो अपनी सुरक्षा के लिए दुसरो के भरोसे पर | जब अपना शहर गांव छोड़ दूर स्कूलों में पढ़ने जा रही हो , नौकरी के लिए देश विदेश तक अकेले जा रही हो | लम्बे संधर्ष के बाद इतना आत्मविश्वास जमा किया है कि अपने घर परिवार से दूर अकेले रह सकती हो तो अपनी सुरक्षा के लिए किसी और की और क्यों देख रही हो | देने वाले ने तुम्हे भी वही दो हाथ पैर और दिमाग दिया है जो तुम्हे छेड़ने परेशान करने वाले के पास है तो उन्हें इतना मजबूत क्यों नहीं बनाती कि अपनी रक्षा खुद कर सको | जब पढाई और नौकरी के लिए इतना आत्मविश्वास पैदा किया है तो अपनी रक्षा के लिए क्यों नहीं करती | जब हर काम के लिए स्वालंबी बनी हो तो अपनी रक्षा के लिए क्यों किसी पर निर्भर होना चाहती हो | तुम्हारा खुद को कमजोर और उन्हें मजबूत समझना ही उन्हें मजबूत और इतना हिम्मती बनाता है कि वो तुम्हे परेशान कर सके तुम्हारे आगे बढ़ने के रास्ते में एक पत्थर बने | अपने आगे बढ़ने के रास्ते में पड़े इन पत्थरो को खुद उठाओ और किनारे फेक दो | जब तमाम तरह की नौकरियों के लिए तमाम तरीके का प्रशिक्षण ले सकती हो तो अपनी सुरक्षा के लिए शारीरिक प्रशिक्षण भी ले सकती हो | अनेको गैजेट अपने लिए खरीद सकती हो तो अपने बचाव के लिए हथियार भी ले सकती हो | जब झुण्ड में आ कर इन सब का विरोध कर सकती हो धरना देने की हिम्मत कर सकती हो तो ऐसे झुण्ड में आये लफंगो को झुण्ड बना कर सबक खुद सबक भी सीखा सकती हो |
आज के समय में तुम्हारे विरोध प्रदर्शनों का केवल राजनैतिक स्तेमाल ही होगा | तुम्हारे मुद्दे कही पीछे छूट जायेंगे बाकी सरकार और विपक्ष अपनी राजनीति चमकायेंगे | सब के सब वही पुरुषवादी सोच के है जिसके खिलाफ तुम लड़ रही हो | ये कभी तुम्हारी बात नहीं समझेंगे आज जो तुम्हारे साथ है वो कल गद्दी पर बैठते ही तुम्हारे खिलाफ होगा और जो आज तुम्हारे खिलाफ है वो गद्दी जाते ही तुम्हे पुचकारने आ जायेंगे | समाज प्रशासन और राजनीति इन में सो कोई भी तुम्हारी मदद नहीं कर सकता इन समस्याओ के लिए क्योकि ये समस्याए उन्ही की पैदा की गई है , वो तुम्हारी रक्षा उससे क्या करेंगी , वो तुम्हे ही सुरक्षा के नाम पर कैद कर जायेंगी | कुछ किया भी तो वो ज्यादा प्रभावी नहीं होगा , एक सड़क पर पुलिस बैठेगी तो गली नुक्कड़ पर छेड़ी जाओगी , हिम्मत करके हर छेड़ने वाले को सबक खुद सिखाओगी तो हर लफंगे में डर बैठेगा | अपनी रक्षा करने का आत्मविवास और हिम्मत आएगी तो एक सड़क एक गली नहीं हर जगह सुरक्षित रहोगी और हमेसा रहोगी |
बात एकदम सही है पर क्या वाकई इतना आसां है. इन शौह्दो के साथ पूरी आधी दुनिया है, पॉवर है, सरकार है, ताक़त है. और लड़कियों के साथ सिर्फ बेचारगी, असुरक्षा, भयानक और असुरक्षित भविष्य और आधा अधूरा आत्मविश्वास.
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Deleteधन्यवाद |
दिनांक 26/09/2017 को...
ReplyDeleteआप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
मेरी पोस्ट चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद |
Deleteबहुत बढ़िया लेख। महिलाओं में चेतना का संचार करता हुआ, आगाह करता हुआ, आवाज़ देता हुआ एकदम खरी बात सीधी बात
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Deleteधन्यवाद |
बहुत सही लिखा है । जिस माहौल में हमारा जीवन गुजरा था तब हममें साहस न था लेकिन अब हम तुम्हारे साथ खड़े हैं ।
ReplyDeleteधन्यवाद |
Deleteएकदम सटीक बात कही है और आज के समय में आह्वान भी यही होना चाहिए ...... सस्नेह
ReplyDeleteधन्यवाद |
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