एक न्यूज साईट पर खबरों को देखते एक हेडिंग पर नजर पड़ी "पहल आप भी कर सकती है " साफ था बात महिलाओ के लिए लिखी थी तो फट से खबर पर चली गई | वहा सवाल था क्या आप का जीवन बहुत बोरिंग होता जा रहा है , दिल से आवाज आई हा , विवाह के एक दसक बितने के के बाद आप दोनों के बीच रोमांस गायब है , दिल ने फिर जवाब दिया हां बिलकुल सही कर रहे हो , क्या आप फिर से अपने जीवन में रोमांस लाना चाहती है जीवन से बोरियत दूर करना चाहती है , दिल चीखा हां भाई हां तुम तो अंतर्यामी हो | तो पहल आप भी कर सकती है अच्छा तो ये हमको रोमांस करना सिखाएंगे सिखाओ भाई हम सीखने को तैयार है | पहला उपाय था पहले अपना बेडरूम बदलिये इस पर दिमाग चिल्लाया पागल है क्या मुंबई में प्रापर्टी के रेट पता है क्या उससे सस्ते में तो पत्नी पत्नी बदल जायेंगे , आगे जब पढ़ा बेडरूम की साज सज्जा बदलिये तब जान में जान आई | बेड पर नई अच्छी चादर डालिये , लो भाई नये चादर से रोमांस कैसे आयेगा इतने सालो में कितने नये चादरे खरीद बिछा चुकी हूँ जीवन वैसे ही बोरिंग है खुद का ध्यान उस पर न गया तो दूसरे से क्या शिकायत करे , फिर भी कह रहे हो तो मान लेते है | कमरे ने सुन्दर ताजे फूल रखे वो नयी ऊर्जा भरते है दिल प्रसन्न करते है और महंगे विदेशी फूलो के नाम गिना दिया | हमने कहा अपने भारतीय गुलाब और रजनी गंधा में क्या खराबी है जो फूल रखने से कुछ फायदा हो तो हम तो बगीचा लगा दे ,चलो ये भी किया |
आगे लिखा था अब कमरा देखने में अच्छा हो उसमे खुसबू भी अच्छी आनी चाहिए और लाइट भी रोमांटिक होनी चाहिए इसके लिए अच्छी खुसबू वाले कैंडिल जलाइये | अरे कम्बख्त पहली ही लिखा दिया होता की बहन ये रोमांस वोमंस करना न बड़े लोगो का चोचले है इसमें बड़ा खर्चा है मडिल क्लास और मिडिल क्लास वाला दिमाग रखने वालो के बस का और जेब का नहीं होता ये सब , तो पढ़ते ही नहीं | खुसबू तो हम २० रुपल्ली के मोगरे के गजरे और और मदम रौशनी तो अपने जिरो वॉट वाले बल्ब से भी ला देंगे , मुंबई जैसे गर्म जगह में जो घर में एसी न हो तो ये मोमबत्तिया जलेंगी कैसे पंखे में तो जलने से रही फिर तो लालटेन जलानी पड़ेगी और पता नहीं लालटेन से आती कैरोसिन की खुशबू में रोमांस का क्या होगा | फिर लिखा था कमरे में खाने और पिने के लिए भी कुछ रखे , स्ट्रबेरी क्रीम के साथ , उनके पसंद की चॉकलेट , अच्छी क्वॉलिटी की शैंपेन | लिखने वाला जरूर विदेशी है वरना कमरे में खाने के लिए कुछ रखने का नाम नहीं लेता | उसका पता नहीं है यहाँ तो भारतीय पति रात में इतना ठूस के खा लेता है या खिला दिया जाता है कि वो पत्नी के मुंह डकार मार देता है , वो कमरे में आने तक पहले ही गले तक इतना भरा रहता है की वो और क्या खायेगा और कभी भारतीय पुरुषो को आम खाते देखा है , देखा होता तो फिर उनके फल खाने को रोमांस से जोड़ने की गलती कभी नहीं करते | और महाराज भारत में पीने का मतलब एक ही होता है और वो पत्नी के साथ नहीं दोस्तों के साथ होता है और उसके बाद रोमांस नहीं हुल्लड़ होता है | जाने दो ये भारत के लिए कुछ करना तुम्हारे बस का नहीं है |
उसके बाद बताया गया कि अब जब सब कुछ बदल दिया है तो अपने आप को भी बदलिये | कर दी न वही पतियों वाली बात सारे बदलावों जरुरत हमी लोगो में है मतलब बदलना है तो हम लोग ही बदले मतलब सारी बुराई हमी लोगो में है , मतलब जो करे हमी लोग करे | ये सब सोचते जब दिमाग साँस लेने के लिए रुका तो देखा लिखा था कुछ नये कपडे लीजिये , हाय ये पढ़ते ही दिल गार्डन गार्डन हो गया पहले ही ये लिखना था ना हम लोग तो हमेसा तैयार है कुछ नया ड्रेस खरीदने को बोलिये क्या क्या लेना है | तो जवाब था रेड नाइटी खरीदिये , अब ये क्या बात हुई की सिर्फ लाल रंग में ही रोमांस जगेगा मतलब की नील पिले हरे में क्या खराबी है उनकी रोमांस से क्या दुश्मनी है कितने रंगो में नाइटी खरीद पहन चुके है गदहे राम तुमको कुछ नहीं पता , खालीपीली लिखे हो तुम इसमें से कुछ किया विया है नहीं ऐसा लगा रहा है किसी पिच्चर विच्चर का सीक्रिप्ट यहाँ छाप दिए हो , कुछ भी हुंह | अंत में लिखे का लब्बो लुआब ये था कि यदि आप पति पत्नी है तो बहुत कुछ करते ही होंगे लेकिन रोज के कामो में फंस कर एक दूसरे को समय नहीं देते है एक दूसरे से बात नहीं करते तो एक पूरी रात जागिये बाते कीजिये अपने बारे , रोमांस कीजिये |
जब ये सब पढ़ कर निचे बढे तो अचानक पाठको की प्रतिक्रिया पर नजर गई बन्दे ने लिखा था , " क्या बकवास लिखा है हमारे देश की संस्कारी लडकिया ये सब नहीं करेंगी , ये सब हमारे देश की सस्कृति नहीं है | " ये पढ़ कर पीछे बैकग्राउंड में तीन बार बजा संस्कारी रोमांस , रोमांस रोमांस बेडरूम के संस्कार , संस्कार संस्कार और मुंह से निकला ओय धत्त तेरे की ये बेडरूम के कौन से संस्कार होते है और ये संस्कारी तरीके से कैसे रोमांस किया जाता है, ये तो हमें आज तक पता ही न चला | मतलब रेड नाइटी की जगह लाल साड़ी पहन लिया जाए मोमबत्ती की जगह अगरबत्ती जला दिया जाये , स्ट्रबेरी क्रीम , सैपेन की जगह नारियल पानी और बताशे रख दिए , और खुसबू वाले विदेशी फूलो की जगह गुड़हल के फूल रख दिए जाए | उसके बाद क्या होगा और हम कैसे दिखेंगे अब आप अंदाजा ही लगा लीजिये | बस लगेगा एक चौकी रख कर उस पर बैठ जाये और पति आते है ही आप के चरणों में गिर बोले, बोलो पहाड़ो वाले माता की जय , बोलो सच्चे दरबार की जय और दोनों मिल कर माता का जागरण करेंगे रातभर पुरे मोहल्ले के साथ | जो आप को पता हो ये संस्कारी रोमांस क्या होता है तो हमें भी बताये |
चलते चलते
ईमारत में किसी ने गांव में अपने बेटे की शादी की और मुंबई आ कर एक छोटी पार्टी ईमारत में रखी साथ में सत्यनारायण की कथा भी | अब जाने के लिए सोचा पहना क्या जाए कॉटन का सूट नहीं चलेगा पूजा के साथ आखिर शादी की पार्टी है , तो बंधेज वाली सिल्क की लाल साड़ी निकाल लिया | अब साड़ी अकेले कभी नहीं होती उसके साथ बिंदी ,काजल, लिपिस्टिक , चूड़ी आदि सब होता है तो ५ मिनट वाला सूट आधे घंटे की साड़ी बन गया | पहन कर पति से पूछा ठीक है ना , (ना ना कैसी लग रही हूँ वाले धर्म संकट में पति को कभी डालती ही नहीं मतलब कुछ ज्यादा तो नहीं कर लिया एक पूजा के लिए ) पतिदेव २ मिनट देखे फिर उठ कर मेरे पास आये और मेरे घुंघराले बालो से क्लचर निकाल दिया और बालो को पीछे से कंधो तक फैला दिया फिर पीछे जा कर बोले बस एक चीज की कमी है बस एक त्रिशूल आ जाये तो साक्षात माँ दुर्गा | गुर्रर्र सही कह रहे हो त्रिशूल की हो कमी है वरना महिसासुर तो मेरे सामने ही है आज ही अंत हो जाना था मैंने गुस्से में बोला | पतिदेव पुरे मूड में थे बस बस इसी क्रोध और आँखे बड़ी करने की ही देर थी बची खुची कसर भी पूरी हुई , जय माता दी | इतने में हमारी बिटिया रानी जो उस समय बस तीन साल की थी आ गई वो भी पापा के साथ उछल उछल बोलना शुरू कर दी जय माता दी | मै गुस्से में बाहर निकल गई लिफ्ट तक बाप बेटी की जय माता दी जोर से बोलो जय माता दी की आवाज आ रही थी गुर्रर्र |
जबरदस्त। मजा आ गया पढ़ कर
ReplyDeleteधन्यवाद |
Deleteजय माता दी
ReplyDelete:)
Deleteभाई कुछ भी लिखने में बहुत मेहनत लगती है। अपनी बात को किसी को कम शब्दों में समझा दोयह मेरे लिए हमेशा एक टेढ़ी खीर रहा है। आपकी मेहनत सराहनीय है। अपने ब्लॉग को यूँ ही गुलज़ार रहने दें। पिछले दो तीन महीनों से आप बहुत अच्छा प्रयास कर रही हैं। आपकी मेहनत को मेरा सलाम।
ReplyDeleteधन्यवाद | तो आप ब्लॉग पर विचरण करते रहते है फिर अपने ब्लॉग पर कुछ क्यों नहीं लिखते , कम से कम हर पहली को ब्लॉग जगत गुलज़ार रहेगा | प्रयास तो तभी कामयाब होगा जब सब लिखेंगे |
Deleteजय माता दी
ReplyDeleteफेसबुक पर कुछ समय संस्कारी रोमांस पर काफी चर्चा रही, अब ब्लॉग पर सुरक्षित रहेगी। :-)
ReplyDeleteधन्यवाद |
Deleteहा हा मजेदार ...
ReplyDeleteधन्यवाद |
Deleteसंस्कारी लड़कियां ऐसा करेंगी नहीं....पर यह कहना है कि गर्भाधान संस्कार भी तमाम संस्कारों में से ही एक है..
ReplyDeleteएक बात और दिमाग में आ रही कि घर के कामकाज के लिए माताओं के संस्कार को कोसने वाली सासुएं बच्चे होने /नहीं होने पर किसके संस्कार को कोसती होंगी !!!
अपने संस्कारो को कोसना चाहिए बेटे की भागीदारी बराबर की है ;)
Deleteबढ़िया .
ReplyDeleteधन्यवाद |
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