July 01, 2018

अपराध में कुछ नए रंग ---------mangopeople




                                                         

                                                       आज का माहौल कुछ ऐसा है कि देश में होने वाली लगभग हर घटना का रुख एक ही तरफ मुड़ जाता है और बाकि के जरुरी सवाल कही पीछे छूट जाते है | किसी अपराध और अपराधी के लिए इससे अच्छा माहौल क्या होगा जब उसके अपराध को भी धर्म के रंग में रंग कर लोग अपनी सुविधानुसार और राजनैतिक विचारो के अनुसार प्रतिक्रियाए दे या उसका विरोध करे  | नतीजा ऐसे ज्यादातर अपराधों में धर्म और राजनीति का खतरनाक कॉकटेल अपराधी  के बचाव में भी लोगों को खड़ा कर देता है या कुछ लोग अगर मगर का पेंच इसमें लगा देते है | इस खतरनाक मिश्रण ने तो लोगों का  भरोसा भी कानून और पुलिस पर ख़त्म सा कर दिया है | यही कारण है की आज भीड़ द्वारा लोगो को मारे जाने की घटनाए दिन पर दिन बढ़ रही है | लोगो की प्रतिक्रियाए इतनी ज्यादा उग्र है कि वो बड़ी आसानी से किसी भी अफवाह झूठ पर विश्वास कर  अजनबी को संदेह की नजर से देखने लगे है और खुद कानून को हाथ में ले सजा देना शुरू कर दिया है |

                                                      किसी भी अपराध के असली कारणों को जब नहीं देखा जाता उसकी रोकथाम नहीं की जाती |  जब तक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार लोगों और लापरवाही दिखाने वाले लोगों को दंडित नहीं किया जाता |  किसी भी तरह के अपराध को रोकना क्या कम करना भी असंभव है | हाल में भी मंदसौर में एक मासूम बच्ची के साथ जिस तरह बर्बर तरीके से रेप किया गया और उसकी हत्या करने की कोशिश की गई | उसके अपराधी को फांसी की सजा मिलना तो तय है | लेकिन ये भी जरुरी है कि लापरवाही बरतने वाले स्कूल के खिलाफ भी कार्यवाही की जाए और पुलिस के खिलाफ भी जाँच बिठाई जाए की ऐसे मामलों में  रिपोर्ट लिखे जाने के पुलिस कार्यवाही में कितनी  तत्परता दिखाती है  |  जिस तरह अपराधी तीसरे ही दिन सीसीटीवी कैमरे में कैद होने के कारण पकड़ा गया उससे लगता है कि यदि पुलिस उसी शाम से तेजी दिखती और इलाके  कैमरों की जाँच शुरू कर अपराधी को पकड़ने का प्रयास करती  तो शायद इतनी बर्बर घटना को होने से रोका जा सकता था | कार्यवाही उस स्कूल के खिलाफ भी होना चाहिए जिसने इतनी छोटी बच्ची को स्कूल से अकेले घर जाने दिया | जबकि रोज उसके पिता उसे लेने आते थे तो ये साफ तौर पर स्कूल की जिम्मेदारी थी कि जब तक उसके घर से कोई आ नहीं जाता बच्ची स्कूल से बाहर न जाए | ये जरुरी है कि ऐसी घटनाओं में ऐसे लापरवाह लोगों की भी जिम्मेदारी  तय की जाए और उन्हें उसकी सजा भी दी जाये | जिससे अन्य लोग भी सबक सीखे और ऐसी गलतियों से बचा जा सके  |

                                                  अक्सर ऐसे हर मामलों के बाद कड़े कानूनों और फांसी की सजा की मांग सभी करते है लेकिन कोई भी इसके पीछे के सामाजिक सोच को बदलने का कोई प्रयास नहीं करता है | आज भी खुलेआम महिलाओं को सोशल मिडिया में रेप की घमकी या उसे अश्लील मैसेज भेजे जाते है और कोई भी ऐसे लोगों का विरोध नहीं करता उनका बहिष्कार नहीं करता | सभी वही अगर मगर , महिलाओं को दोष देने और राजनैतिक सोच के हिसाब से प्रतिक्रिया देने का काम करते है | इससे ऐसी मानसिकता वाले लोगो को अपराध करने का बढ़ावा ही मिलता है | उन्हें लगता समाज में फिर हमारे लिए लोग खड़े हो जायेंगे और दोष महिला को दे दिया जायेगा  या मुद्दे को एक अलग रंग | जब  अपराध और अपराधी का विरोध में कुछ दूसरे रंग डाल दिए जाते है तो अपराध कम नहीं होते , उन्हें बढ़ावा मिलता है |


                       



8 comments:

  1. सोशल मीडिया का शुरुआती दौर है।लोग सरकार और पुलिस पर जायज और नाजायज दोनों तरह के दबाव बनाने में कामयाब हो रहे हैं।

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    1. वही तो समस्या है जायज से ज्यादा नाजायज दबाव पड़ रहे है | प्रभावशाली लोग इसे अपने पक्ष में प्रयोग कर सकते है |

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  2. सोशल मीडिया के सलेक्टिव रूख के बावजूद कुछ घटनाओं पर त्वरित कार्यवाही संभव होना इसके प्रति आशान्वित रखता है.

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    1. उम्मीद तो है प्रभाव ऐसा हो की हर घटना पर त्वरित कार्यवाही हो|

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    1. धन्यवाद | मुझे नाइस लिखने वाले सुमन जी की याद आ गई | :)

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  4. आपका कहना बिल्कुल सही है, समाज की भी अजीब मानसिकता हो गई है और राजनैतिक स्वार्थ इसे ज्यादा शह देते हैं.
    रामराम

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    1. वो अपना वोट बैंक बढ़ा रहे होते है और यहाँ समाज बर्बाद हो रहा होता है |

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