बात इस सरकार से पहले के सरकार के जमाने कि हैं | देश की राजधानी में कुछ बड़े पुलिस अधिकारियों की एक आतंकवाद के खिलाफ खास एसआईटी बनाई गई थी | यह एसआईटी देश और दिल्ली में हुए कई बड़े आतंकवादी घटनाओं की जाँच कर रही थी | कुछ केस में बड़े सबूत हाथ भी आये थे और कुछ को सुलझाने करीब थे | यह समूह एक तरह से ख़ुफ़िया तरीके से ही काम ज्यादा कर रहा था , इसकी कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं हुई थी |
लेकिन एक दिन अचानक इस एसआईटी के एक बड़े अधिकारी की संदिग्ध रूप से सड़क दुर्घटना में मौत हो जाती हैं | उसके कुछ ही दिन बाद दो और अधिकारी यहाँ से तबादला ना केवल दूसरे विभाग में करवा लेते हैं बल्कि कुछ समय बाद दिल्ली छोड़ अपने राज्यों में ट्रांसफर भी ले लेते हैं |
मामला यही नहीं रुकता हैं फिर इसके एक और बड़े अधिकारी की गोली मार कर हत्या एक मामूली सा दो कौड़ी का प्रॉपर्टी डीलर अपने ऑफिस में कर देता है और फिर पुलिए में सरेंडर भी कर देता हैं |
मालूम हैं इस एसआईटी के सबसे आखरी अधिकारी के साथ क्या हुआ | उसकी की संदिग्ध मौत हो जाती हैं एक एनकाउंटर में | क्योकि उस एनकाउंटर में वो बहुत मामूली से सिपाहियों के साथ गया था , जबकि वो आतंकवादियों के खिलाफ था | पुलिस की तरफ से सिर्फ उसी की मौत होती हैं , तब जब वो खुद अपने पैरों पर चल कर अस्पताल जाता हैं लेकिन वहां उसकी मौत हो जाती हैं |
जानते हैं उस ख्यात कुख्यात एनकाउंटर का नाम क्या था " बाटला हाउस" |
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 22/08/2019 की बुलेटिन, " बैंक वालों का फोन कॉल - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteसिहरा देने वाली घटना की पूरी जानकारी है इस पोस्ट में... और कितने सवाल और उनके जवाब भी दे रही है!
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ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना 28 अगस्त 2019 के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
स्तब्ध हूँ लेख पढ़कर !! पहले कहा जाता था , भगवान् के हाथ लम्बे होते हैं , पर आजके समय में आतंक के हाथ उससे भी लम्बे हैं | सार्थक पोस्ट |
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