देश सिर्फ संविधान से सही नहीं चलता , उसे सही तरीके से चलाने में उससे ज्यादा योगदान होता है राजनैतिक जीवन में परम्पराओं का जो देश की आजादी के साथ ही शुरू हुई | कांग्रेस और नेहरू की नापसंदगी का सबसे बड़ा कारण था कि उन्होंने देश की आजादी के बाद ही राजनीति में गलत परंपराओं की शुरुआत की | नेहरू ने कभी नहीं कहा कि जब मेरी साथियों को मुझसे ज्यादा किसी और पर भरोषा है देश के नेतृत्व के लिए तो मुझे ये पद नहीं चाहिए | मैं एक सहयोगी की भूमिका में भी देश की सेवा कर सकता हुँ | देश में पार्टी सुप्रीमो की परंपरा और पार्टी के अंदर लोकतंत्र की उपेक्षा की शुरुआत वही से हो गई | भाई भतीजावाद , अपने लोगों को संरक्षण देना , भ्रष्टाचार को नजरअंदाज करना , गलत फैसलों के लिए जिम्मेदारियां तय नहीं करना , भारतीय राजनीती में वीआईपी संस्कृति जैसे अनेको परम्पराओं की शुरुआत उन्होंने की | जिसका पालन संविधान से भी ज्यादा हमारे राजनेता आज भी कर रहें है | देश के विकास के लिए क्या किया के प्रवचन की आवश्यकता नहीं है | वह कर उन्होंने अहसान नहीं किया था उनका चुनाव ही ये करने के लिए हुआ था किन्तु जब एक देश का निर्माण हो रहा था तो नैतिकता , लोकतान्त्रिक व्यवस्था , देशसेवा , भेदभाव रहित , और जिम्मेदारी की जो अटल व्यवस्था उन्हें स्थापित करनी चाहिए थी वो उन्होंने नहीं की , जिसका नतीजा हम आज भी भुगत रहें है |
ऐसी ही एक कामचोरी की ख़राब परंपरा की शुरुआत कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष के कई पार्टियों ने शुरू किया जार्ज फर्नाडिस के रक्षा मंत्री रहते | उस समय ताबूत घोटाले में रक्षा मंत्री नाम लिया जा रहा था बजाये रक्षा मंत्री से सवाल जवाब के उस मुद्दे पर बहस के कांग्रेस ने उनके बहिष्कार के नाम पर संसद से बाहर जाने, हो हल्ला कर संसद में काम ना होने की परंपरा की शुरआत की | संसद बहिष्कार के लिए नहीं, सवाल किये जाने के लिए बनी थी वहां पर काम के लिए सांसदों को चुना जाता है | लेकिन उसके बाद संसद में काम ना करके भी काम करने का पूरा भुगतान लेने की एक घटिया चलन उसने शुरू किया जो आज भी बिना किसी भेदभाव के देश की हर पार्टी द्वारा अपनाया गया है |
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन प्रथम परमवीर चक्र से सम्मानित वीर को नमन : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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