बहुत पहले बंगाल मे रहने वाले वो सब बंगाली थें । उनमे से कुछ ही हिन्दू थे तो कुछ ही मुसलमान थे । बकिया सब तो बंगाली ही थें ।
फिर अंग्रजों ने उन्हें दो भागो मे बाट बंगाली हिन्दू और बंगाली मुसलमान बना दिया । वो गलिमत माने कि बंगाली होने की पहचान नही छीनी गयी ।
लेकिन जब देश आजाद हुआ तो बंगाली के साथ मुसलमान होने के कारण उन्हे पूर्वी पाकिस्तान बना दिया गया । धीरे धीरे उनसे उनकी बंगाली पहचान छीनी जाने लगी । उनकी बोली भाषा , खानपान, रहन सहन , परंपरायें , रीतिरिवाज आदि सब अलग थीं पश्चिम पाकिस्तान से ।
उन पर पाकिस्तानी मुसलमान होना थोपा जाने लगा । तब उन्हे समझ आया की वो बंगाली पहले है और मुसलमान बाद मे । वो अपने बंगाली पहचान के लिए लड़े और जीते । बंगाली पहचान के साथ देश बना और फिर वो बरसो बरस बंगाली ही रहे ।
फिर दुनियां मे कट्टरवाद पनपा , इस्लाम के नाम पर बहुत कुछ दुनिया मे होने लगा । बंगाली के साथ मुसलमान होने पर असर उन तक आने लगा । वो जो सदा ही सिर्फ मुसलमान थें उनके बीच उन्होनें अपना सर उठाना शुरू किया और लोगो को कट्टरता के साथ सिर्फ मुसलमान बनाना शुरू किया ।
और एक बार फिर संघर्ष शुरू हुआ बंगाली और मुस्लिम पहचान को लेकर। उनका समाज देश आज भी कट्टरवादियों कि बढ़ती संख्या से लड़ रहा है । अपनी बंगाली पहचान को बचाने का प्रयास कर रहा है।
इसी संघर्ष के साथ बंग्लादेश मे चुनाव हुए । वहां पाकिस्तान परस्त बढ़ रही इस्लामिक कट्टरता के साथ साथ चीन की घुसपैठ हमारे लिए एक बढ़ा सरदर्द है और चिन्ता का विषय है और ढकोसलेबाज पश्चिम और अमेरिकन को लोकतंत्र की ।
अब देखेंगें कि भविष्य मे इस त्रिकोणीय मुकाबले मे कौन जीतता है और कौन किसके साथ जाता है ।
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