माँ बाप की उपेक्षा का शिकार एक बेटे का माँ बाप के नाम पत्र
माँ पिता जी
मैं ये बचपन से देखता आ रहा हुं इस ज़्यादती को, माँ पिताजी आप दोनों ही के लिए ही आप की बेटी ही हमेशा ज्यादा लाडली रही और मैं हमेशा से आप लोगों के लिए ज्यादा महत्व नहीं रखता था अपनी बेटियों की आप सब ने हर चीज से रक्षा की उसे हर समय आराम दिया और मुझे कभी आराम से रहने नहीं दिया युही खुले सांड की तरह छोड़ दिया सब कुछ करने के लिए |
बचपन में ही हमें शहर के टॉप के अंग्रेजी मीडियम स्कूल में डाल दिया और कहा की खूब पढ़ो तुम्हें हर तरह की सुविधा यहाँ मिलेगी जरुरत हुआ तो कोचिंग भी करा देंगे हम पर हर तरह का प्रेशर कि पढ़ाई तो हर हाल में करनी ही है और कोशिश कीजिये कि नंबर भी अच्छे आये कभी हमारा कोर्स देखा था कितना कठिन था वहा तो पास होने के लाले रहते थे तो अच्छे नंबर लाते कैसे और अपनी बेटियों को डाल देते है किसी सरकारी हिंदी मीडियम में या किसी मामूली से अंग्रेजी स्कूल में जहा पर उन पर कोई प्रेसर ही नहीं होता उनसे कहा गया था कि बस पास हो जाओ बहुत है उन्हें तो कोचिग भी नहीं करना होता था देखो कैसे वो स्कूल के बाद ही फ्री हो जाती थी और हमें स्कूल के बाद कोचिग भी जाना पड़ता था एक जगह की पढ़ाई समझ में नहीं आती अब दो जगह की कैसे करे | काश हमें भी किसी मामूली स्कूल में डाल दिया होता तो मौज़ का जीवन जी रहे होते आप कि बेटी कि तरह |
पिता जी बेटियों से इतना प्यार की उनसे कहते है की यदि फेल हुई तो पढ़ाई बंद हो जाएगी पर कभी हमसे नहीं कहा ऐसा एक बार हमसे कहते, दो साल में दसवी और दो साल में बारहवीं पास किया हर बार सोचा की चलो इस साल फेल होने पर आप मेरा स्कूल बंद करा देंगे पर मेरे सारे अरमानो पर आप ने पानी फेर दिया कभी मेरी पढ़ाई नहीं बंद कराई फेटते रहे उसी में मुझको क्योंकि आप को मुझसे प्यार है ही नहीं जलते थे हमारी आज़ादी से | मेरे खिलाफ साज़िश की बेटी के टॉप करने पर भी उसे मेडिकल में दाख़िला नहीं लेन दिया कहा इतना मुश्किल कोर्स कर पायेगी बेकार में उसके दिमाग़ पर बोझ बढ़ेगा और पैसे भी खर्च होगें नाहक पर मेरा एडमिशन इंजीनियरिग में डोनेशन दे कर करा दिया एक बार भी मेरे बारे में नहीं सोचा की मैं इतनी मुश्किल पढ़ाई कैसे करूँगा पूरे दस लाख डोनेशन दे दिया बेटी के फ़ीस के पैसे नहीं थी तो मेरे डोनेशन के लिए कहा से लाये बेटी को आराम देने और मेरे आराम को हराम करने की साज़िश रची आप सबने |
हर समय बेटी की परवाह उसे हिदायत दी गई कि कॉलेज से सीधे घर आना सूरज ढलने के बाद कभी घर से बाहर नहीं रहना जमाना बहुत ख़राब है कही कोई ऊँच नीच हो गई तो, कभी वो पाच मिनट भी देर से आई तो उसकी फ़िक्र में मरे जाते थे आप दोनों, घर आते ही उससे पचास सवाल किया जाता था की देर कैसे हो गई और मुझे तो कभी घर पर आने जाने के लिए कोई हिदायत नहीं दी क्योंकि मेरे सुरक्षा की कोई चिंता ही नहीं थी आप सब को | मैं देर रात घर आता था क्या मेरे लिए जमाना ख़राब नहीं था क्या मेरे साथ कुछ बुरा नहीं हो सकता पर आप लोगों को इससे क्या मैं चाहे कितनी भी रात में घर आऊ मुझसे कोई सवाल नहीं किया गया |
क्या मजाल की कोई आप की बेटी के बारे में कुछ उलटा सीधा कह दे आप लोग बिलकुल ही बर्दाश्त नहीं कर पाते थे एक बार कोई लोफर आवारा उस पर फब्बतिया कस के उसे छेड़ दिया और किसी ने आप को इसकी खबर कर दी ( हा मोहल्ले वालो को भी सबकी बेटियों का ही ज्यादा ख्याल रहता है ) तुरंत ही बेटी का घर से निकलना बंद करा दिया कॉलेज जाना बंद करा दिया पूरा स्नातक घर से पढ़ कर किया यहाँ तक की परीक्षा दिलाने के लिए आप खुद जाते थे उसका बाडीगार्ड बन कर और माँ घर में उसकी बाडीगार्ड बन कर रहती थी उसकी सुरक्षा को ले कर आप सब इतने चिंतित है पर कभी मेरी चिंता करते आप को नहीं देखा कितनी बार लोग आ कर मेरे बारे में शिकायत कर गये की मैं कॉलेज में आवारागर्दी करता हुं लड़ाई झगड़ा करता हुं यहाँ तक की एक रात जेल भी गुजार आया पर मेरा कॉलेज जाना बंद नहीं कराया मेरी सुरक्षा की चिंता होगी तब ना |
हम बच्चे से बड़े हो गये पर आप लोगों का प्यार चिंता परवाह आपकी बिटिया की तरफ और बढ़ता गया और मेरी तरफ से लापरवाह होते गये | बिटिया रानी ने स्नातक में भी टॉप किया और बड़ी कंम्पनी से जॉब के आफर भी आ गये पर आप लोगों ने साफ मन कर दिया की तुमको काम करने की जरुरत नहीं है क्यों इन सब झमेले में पड़ती हो नौकरी करना बेमतलब की सरदर्दी है टेंशन है तुम इन सब में मत पड़ो शादी ब्याह करके सुख चैन से घर पर रहो | पर जब मेरी बारी आई तो मेरे सुख चैन के बारे में नहीं सोचा घुस दे कर मेरी सरकारी नौकरी लगवा दी अरे आप ने अपनी सरकारी नौकरी से इतना तो कमा ही लिया है की सात तो नहीं पर कम से कम मैं और मेरी चार पुश्ते तो सुख चैन से बैठ कर खा ही सकती थी पर नहीं आप ने डाल दिया इस झमेले में आप जानते भी की एक एक ठेकेदार से पैसे निकलवाने के लिए कितनी भाग दौड़ करनी पड़ती है |
विवाह करते समय भी जिससे चाहा उससे उसका विवाह कर दिया उससे पूछने कि भी जरुरत नहीं समझी और मेरे सामने लड़कियों कि लाइन लगा दी मैं बेचारा कितना कन्फियुज हो गया था कि किससे विवाह करूँ और शादी के बाद बेटी को पूरी आज़ादी दे दी कि बेटी अब तुम्हारा ससुराल ही तुम्हारा घर है अब हम तुम्हारी लाइफ में कोई इंटर फेयरेंस नहीं करेंगे अब सारे सुख दुख तुम खुद ही हैंडिल करो अब हम तुम्हारे लिए परे हो गये पर मुझे नहीं दी आज़ादी आज भी मेरे जीवन में हर तरह का दखल देते है क्यों माँ पिता जी आखिर आप लोग ऐसा क्यों करते रहे | क्या मै आप का अपना नहीं था |
मुझे लगता है कि ऐसा सिर्फ मेरे ही साथ नहीं होता है भारत में ज्यादातर बेटों के साथ यही ज्यादतिया होती है उन सभी को इसी तरह उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है | बेटियों को आराम देने के लिए उनकी सुरक्षा के लिए सब कुछ किया जाता है पर हम सब के लिए कुछा भी नहीं | देखिये ना आज भी स्कुलो में लड़कियों कि संख्या लड़कों से कम है आज भी ज्यादातर शिक्षा बोर्डो के दसवी बारहवीं में लड़कियाँ ज्यादा संख्या में पास होती है उसके बाद भी ऊँच शिक्षा में उनकी संख्या कम होती जाती है | लगभग चौदह हजार बच्चे आई आई टी में पास होते है पर उनमें लगभग डेढ़ हजार ही लड़कियाँ है स्कूल कॉलेज में टॉप करने वाली लड़कियों कि संख्या बढती जा रही है पर आज भी नौकरियों में उनका प्रतिशत दहाई से भी कम है और ऊँचे पदों पर तो मुश्किल से एक दो प्रतिशत है एक बहुत बड़ी संख्या में लड़कियाँ आज भी प्रोफेशनल कोर्स करने के बाद भी नौकरी नहीं करती है या सेवा नहीं देती इनमें डाक्टर और इंजीनियर भी है या कुछ करती है तो शादी के बाद छोड़ देती है क्यों ? क्योंकि वो सब अपने घर वालो कि लाडली है उनके आराम सुरक्षा के लिए उन्हें सारे झमेलों से बचाने के लिए ये सब किया जाता है | इस लिए आज मैं भी भगवान से ये प्रार्थना करता हुं कि हे भगवान मुझे भी ऐसे ही आराम और चैन का जीवन सबका लाडला बन कर जीना है इस लिए "अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो "|
नोट ---यदि किसी बेटे को इसी तरह कि किसी और ज्यादतियों का सामना करना पड़ा हो जो मेरे साथ नहीं हुआ है तो वो मुझसे यहाँ पर अपना दुख दर्द बाट सकते है |
माँ बाप के फ़िक्र और चिंता का प्यासा
एक मासूम बेटा
बेटो के इस दर्द का और बेटी होने के इस फायदों का आज तक मुझे पता ही नहीं था अब तो मै भी भगवान से यही कहूँगा "अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो "
ReplyDeleteबेटो (बेटियों ) के सामाजिक हालत पर एक अच्छा व्यंग
ReplyDeleteअंशुमाला जी, मेरा तो दिल ही बेचारे बालक के लिए पिघलकर बह गया। सच्ची, कितना तो अन्याय हुआ उसके साथ।
ReplyDeleteबहुत सहानुभूति सहित,
घुघूती बासूती
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteaapke iss kahanee ne mere mann me ye ikshhaa jaga di..........."agle janam mohe bitiya hi kijo"..:)
ReplyDeletekabhi hamare blog pe aayen........:)
ReplyDeleteअंशुमाला जी, ये व्यंग्य नहीं सच्चाई है हमारे पितृसत्तात्मक समाज की. एक औसत बुद्धि वाले लड़के से तो टॉप करने की उम्मीद की जाती है और एक तेज बुद्धि की लड़की की पढ़ाई बंद करके उसकी शादी कर दी जाती है... कभी-कभी सच में लड़कों की हालत पर बड़ा तरस आता है... खासकर तब जब उन पर पढ़ाई का अनावश्यक बोझ देखती हूँ. और मज़े की बात ये कि कुछ लड़कियाँ भी अपनी इस स्थिति से खुश होती हैं कि किसी अच्छे लड़के से उनकी शादी हो जाए और वे आराम से घर बैठकर सास-बहु वाले सीरियल्स देखें... पितृसत्तात्मक समाज की सबसे बड़ी बुराई यही है कि इसमें सबकी भूमिकाएं समाज तय कर देता है... ये मैं अक्सर पहले भी कह चुकी हूँ कि यहाँ लड़कियों के हँसने पर रोक है और लड़कों के रोने पर... हमारा समाज ऐसा है.
ReplyDeleteमुझे आपकी ये पोस्ट बहुत अच्छी लगी ... समस्या को गहराई से महसूस करके लिखा है आपने... सच कहने की ताकत है आपमें.
ReplyDeleteसमाज का एक हिस्सा अभी भी ऐसा ही है ये बात सही है , बहुत सही व्यंग किया है .
ReplyDeleteपर पिछले कुछ सालों से मैं ऐसे किसी परिवार से नहीं मिल पाया हूँ ,इसीलिए पोस्ट कहीं कहीं अतिश्योक्ति सी भी लगती है....
मेरा नज़रिए का दायरा सिमित भी हो सकता है .......
उम्मीद है अगला व्यंग आप उन लड़कियों के बारे में भी लिखेंगी जिनके माता पिता सिर्फ डिग्रीधारी वर की तलाश के लिए उन्हें ख़राब नम्बर आने के बावजूद महंगे डिग्री कोर्से करवा रहे हैं ( गौर करें इस केस में लड़की की पढने की इच्छा बिलकुल नहीं होती अक्सर
)
मेरी बात को विरोध न समझें , आपकी पोस्ट सच में बहुत अच्छी है , मैं कभी झूठी तारीफ नहीं करता , पर लेखक का धर्म है की सच्चाई दोनों और की सामने लाये
इस विषय पर जो मैं ऊपर आपको बता रहा हूँ मैं भी बहुत अच्छा व्यंग लिख सकता हूँ पर मुझे आरम्भ से ही एक तरफा लेख लिखने का अभ्यास नहीं है
ReplyDeleteअगर आप को मेरी लेखन निष्ठां पर यकीन ना हो तो ये लेख पढ़ें http://my2010ideas.blogspot.com/2010/06/blog-post.html
यहाँ पर लिखा हुआ स्पष्टीकरण आपको मेरी सोच की व्यापकता से परिचित करवा देगा
आपके अगले लेख का इंतज़ार रहेगा (फिर से निवेदन है इसे आपके विचारों का विरोध न समझें..... आपने सही लिखा है, पर हमें सच्चाई का लेटेस्ट ट्रेंड आपके व्यंगों के माध्यम से जानने का पूरा हक़ है)
gourav जी
ReplyDeleteमैंने कही नहीं लिखा है कि सभी लड़कियों के साथ ऐसा हो रहा है मेरा व्यंग सिर्फ उन परिवारों पर था जहा ये हो रहा है |
मेरे मन में ये व्यंग तब आया जब देश के सभी शिक्षा बोर्डो के रिजल्ट आ रहे थे और बनारस से लेकर मुंबई तक सभी अखबारों में एक ही हेड लाइन थी कि "इस बार फिर लड़कियों ने बाजी मारी" खुद मै ये लाईन दस सालो से पढ़ रही हु हर साल अखबारों में, पर आज भी काम करने वाली लड़कियों का प्रतिशत दहाई से भी कम है | क्या आप को लगता है कि वो सभी लड़किया बस डिग्री लेने के लिए पढ़ रही है मै भी मानती हु कि सभी लड़कियों कि इच्छा कुछ बनने या काम करने कि नहीं होती पर क्या लगता है कि हर साल देश में लाखो लड़किया कोई न कोई प्रोफेसनल डिग्री ले कर निकाल रही है पर काम सिर्फ कुछ एक दो सौ लड़किया ही कर रही है क्या आप को वाकई लगता है कि बाकि सारी लाखो लड़किया सिर्फ टाइम पास के लिए पढ़ रही है | इसकी वजह आप खुद खोजिये | हमारे देश में लड़कियों कि संख्या लड़को से कम है पर स्कुल और कालेज जाने वाली लड़कियों का रेशियो उससे भी कम क्यों है ? आप खुद इन सवालो का जवाब खोजिये |
यहाँ ये नहीं कहा जा रहा है कि इस स्थिति के लिए कोई पुरुष जिम्मेदार है इसका जिम्मेदार हमारी सामाजिक व्यवस्था और परम्पराए है जो लड़कियों को सिर्फ घर गृहस्थी तक सिमित रखना चाहता है विरोध इसी बात का किया जा रहा है | समय बदल गया है मै भी मानती हु पर छोटे शहरों से लेकर गाव तक जिस तेजी से मोबाईल फोन, मॉल और मल्टीप्लेक्स पहुचे है उस तेजी से लोगों के पास आधुनिक सोच नहीं पहुची है | नारी शिक्षा और उसके कैरियर को लेकर अब भी गावो शहरों और कुछ तो बड़े शहरों में भी लोगों के विचार वही पुरातन है | आप तो कोटा में रहते है वहा कई इंजीनियरिंग कोचिंग चलते है मुंबई से लेकर बनारस तक के लोग वहा जाते है बताई वहा जाने वाली लड़कियों कि संख्या कितनी है |
आपकी विचार जान कर प्रसन्नता हुई है ...... कृपया यहाँ मेरे कमेंट्स भी पढ़ें और मेरे विचार जानें
ReplyDeletehttp://27amit.blogspot.com/2010/06/blog-post_18.html
मैं आपसे यह भी कहना चाहता हूँ की अगर हम ब्लोगर्स एक नया ट्रेंड शुरू करें जिसमें की पोस्ट किये लेख का सन्दर्भ और थोड़ा सा स्पष्टीकरण भी साथ में हो तो हम ब्लोगिंग को और बेहतर बना सकते हैं .
ReplyDeleteमैं पहले ही कह चुका हूँ
"मेरी बात को विरोध न समझें , आपकी पोस्ट सच में बहुत अच्छी है , मैं कभी झूठी तारीफ नहीं करता"
chaliye koi to hua jisne hum beton ke dard ko bhi samjha.hahahaha! sateek vyayangya.badhai.
ReplyDeletesachhi ye mujhe khich kar mujhe mere bachapan me legaya!!!!!
ReplyDeleteaisa laga ki mai U turn lekar aapne pichali jindagi ko sun rahi hu!!!!!
:)
really greattttt.
excellent!
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