दुनियां भर के युवा किसी ना किसी बात पर विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं और उनका विरोध प्रदर्शन कई बार कितना मजेदार और रचनात्मक हैं उसके कुछ उदहारण देखिये |
इराक में वहां की हालातों को लेकर कई तरह के विरोध प्रदर्शन हो रहें हैं | फिर सरकार ने तय किया कि अब इन विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिए पुलिस अपने प्रशिक्षित कुत्तों को भी लेकर जाएगी | इस पर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अब वो भी विरोध में अपने पालतू जानवरों को लेकर विरोध करेंगे | कोई मामूली जगह तो वो हैं नहीं वो तो इराक था तो एक बंदा विरोध में अपना पालतू शेर ले कर आ गया |
गर कुत्ता मुकाबिल हो तो शेर निकालिये
हांगकांग के विरोध प्रदर्शन से तो सभी वाकिफ़ ही हैं | वहां तो अब युवाओं ने पुलिस के हथियार के मुकाबले अपना तीर धनुष भी बना लिया हैं | जब एक बिल्डिंग में घुसे प्रदर्शनकारियों को , पकड़ने के लिए पुलिस गई , तो उन लोगों ने पहले ही इंतजाम कर रखा था | उन सब ने अपनी बिल्डिंग से दूसरी बिल्डिंग तक रस्सियां बाँध रखी थी | कुछ उस पर से लटक कर , तो कुछ उस पर चल कर तो कुछ महान खिलाड़ी उस पर मोटरसाइकिल चला कर निकल गए |
तू पात पात मैं डाल डाल
सबसे ज्यादा अत्याचार लेबनान के लोगों पर हो रहा हैं | सुनेंगे तो आपके भी आँखों में आँसू आजायेंगे भविष्य अंधकारमय और डरावना लग़ने लगेगा | वहां की सरकार ने शोसल मिडिया के प्रयोग पर टैक्स लगा दिया हैं | सुन कर चीख निकल गई ना , डर कर दिल की धड़कन बढ़ गई होगी बस ये सोच भर के कि ऐसा हमारे देश में हो गया तो क्या होगा | अब इस बात पर तो बड़े से बड़ा भक्त भी मोदी के खिलाफ हो जायेगा तो सोचिये लेबनानी का विरोध प्रदर्शन कितना बड़ा होगा | तो उन सबो ने वहां की संसद के सामने डीजे वाले को बिठा दिया जो दिन रात जोर जोर से डीजे बजाता हैं और लोग चौबीस घंटे वहां नाच गा कर विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं |
डीजे वाले बाबू गौरमेंट की बैंड बजा दे
सब छोड़िये अपना पडोसी अपना खानदानी दुश्मन अपना पकिस्तान भी इसमें पीछे नहीं हैं | इमरान ने ताव में भारत से व्यापार बंद करा दिया नतीजा वहां टिमाटर ( टमाटर ) के भाव ढाई सौ रुपये से ऊपर तक चला गया | एक मोहतरमा अपने निकाह में टिमाटर के बने गहने पहन पर बैठ गई | भाव तो चिलगोजो के भी बढ़ गए थे तो उन्होंने बताया लोगो ने निकाह में जो लिफाफे थमाए उसमे पैसे नहीं चिलगोजे थे |
ये गौरमेंट सच में बिक गई हैं
बताओं हमारे यहाँ भी ना जाने कितने विरोध प्रदर्शन हो रहें हैं लेकिन एक भी ढंग का नहीं हैं जिसका उदहारण यहाँ दिया जा सके | बहुत अफसोस की बात हैं अपने देश के युवाओं की रचनात्मकता ख़त्म हो गई हैं , काहें की विरोध के नाम पर सब सियासत ज्यादा कर रहें हैं , विरोध कम |
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