December 16, 2019

जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध ------mangopeople


जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध ।
                               
                               हे कविवर जो तटस्थ हैं वो देख पा रहें हैं कि ये युद्ध सत्ता की हैं जिसमे आम जन बस मोहरे से ज्यादा कुछ नहीं हैं | वो सत्ताधारी और सत्ता के लालची हैं जो किसी युद्ध , आंदोलन को धर्म युद्ध , जन आंदोलन नाम दे कर उसमे आम जन को आहुति देने का आवाहन करतें हैं और स्वयं बाद को सत्ता का भोग करते हैं उसके करीब पहुंचते हैं | आम जनता पहले भी खाली हाथ होती हैं और ऐसे हर आंदोलन , युद्धों के बाद भी | हां ये जरूर होता हैं कि कई बार उसके पास जो हैं वो भी चला जाता हैं |
                               
                              ज्यादा समय नहीं हुआ जब हमने भी एक बार, एक बड़ी भ्रष्टाचार के खिलाफ चली मुहीम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था | देश बदलने के लिए चली इतनी बड़ी अहिंसक मुहीम जो आजादी की लड़ाई सी रह रह कर मुझे प्रतीत होती थी , जिसे जन आंदोलन नाम दिया गया था | आज उस आंदोलन का क्या परिणाम निकला , केंद्र में सत्ता परिवर्तन हो गया और आंदोलन चलाने वाले बड़े नाम सत्ता पर काबिज हो गए | आज उन्हीं को भ्रष्टाचार करते और वो सब करते अपने आँखों से देख रहें हैं जिनके खिलाफ उन्होंने आंदोलन छेड़ा था |
                               
                              उस आंदोलन में हिस्सा लेने पर मेरे पापा हँसे थे , क्योकि परिणाम उन्हें  पहले ही पता था | एक ज़माने में उन्होंने जेपी आंदोजन में भाग लिया था और उसका अंत भी महज सत्ता परिवर्तन और कुछ लोगों के सत्ता में आने से ज्यादा कुछ नहीं हुआ था | व्यवस्था कभी नहीं बदली और ना ही आम लोगों की समस्याएं | क्योकि ये सभी आंदोलन का आरंभ , जनता में बैठे असंतोष का प्रयोग लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए सत्ता पाने के लिए किया था और वो अपने अभियान में सफल रहें और आहुति देने वाली जनता ठगी गई |
                             
                             कुछ लोग इसे छात्र आंदोलन बता कर इसमें सभी को साथ देने का आह्वान कर रहें हैं , वो अलग बात हैं कि सोशल मिडिया पर बैठ कर क्रांति करने के सिवा वो खुद भी कुछ नहीं कर रहें हैं | सवाल किया जाए क्या हर छात्र आंदोलन समर्थन के लायक होता हैं | एक छात्र अंदोलन 90 के दसक में भी हुआ था बड़ी संख्या में छात्रों ने उसमे हिस्सा लिया और बस ट्रेन को जलाने की जगह खुद को जलाना शुरू कर दिया था | आज जो इस छात्र आंदोलन को समर्थन दे रहें हैं वो उस छात्र आंदोलन के खिलाफ बोलेंगे और जो आज जो इस अंदोलन का विरोध कर रहें हैं वो उस आंदोलन का समर्थन करने आगे आ जायेंगे |

                              आज जिन्हे छात्र मासूम , सही लग रहें हैं वो ९० के छात्रों को जातिवादी , बरगलाये , भड़काए गए घोषित कर देंगे जो एक वर्ग विशेष से थे | उनका आंदोलन जन आंदोलन भी नहीं लगेगा और ना ही समाज के हित में , जबकि उस समय के कानून से छात्र सीधे प्रभावित हो रहें थे | वही आज के आंदोलन का विरोध करने वालों को आज के छात्र भड़काए हुए और वर्ग विशेष के नजर आएंगे |

                               मुझे तो अभी तक समझ नहीं आ रहा कि CAA से भारत के किसी भी नागरिक ( पूर्वोत्तर को छोड़ कर ) पर इसका क्या दुष्प्रभाव पडेगा | छात्रों का साथ किस बात के लिए दिया जाए कि पाकिस्तान बंगलादेश और अफगानिस्तान में मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा हैं , वो भाग कर भारत आ रहें हैं और भारत सरकार उन्हें नागरिकता नहीं दे रही हैं | क्या दूसरे देश के काल्पनिक पीड़ित नागरिकों के लिए हम अपने घर में हिंसा करे ट्रेने ,बसों को जलाएं | जबकि उनका देश ये भी मानने को तैयार नहीं हैं कि उनके यहां किसी का भी उत्पीड़न हो रहा हैं |

                               जिस दिल्ली में जेएनयू के छात्रों ने इतनी बार आंदोलन किया , पुलिस से झड़प हुई , लाठी खाया लेकिन ना कोई पत्थरबाजी हुई और ना ही अंदोलन कभी इतना हिंसक हुआ | उसी दिल्ली के जामिया के अंदोलन में वो कौन लोग थे जो मुंह ढक कर पुलिस पर पत्थर बरसा रहें थे , (छात्र कब से मुंह ढक कर आंदोलन करने लगे ) , आआप के नेता अपने समर्थकों के साथ क्यों किसी छात्र आंदोलन में भाग लेने आये और क्यों उसी दिन आंदोलन हिंसक हो गया |

                             कुल मिला कर कानून लागु करने वाले मोटा भाई लोग (नया नाम रंगा बिल्ला हो गया हैं 😂😂 ) हो या उसका विरोध करने वाले दूसरे राजनितिक लोग दोनों सत्ता की राजनीति कर रहें हैं और आम लोगों , समुदाय का ध्रुवीकरण करने में लगे हैं | ये कोई छात्र आंदोलन नहीं हैं और ना ही इसका भारत के आम लोगों से कोई संबंध हैं | इसलिए कविवर हम तो ना इसका समर्थन करेंगे और ना ही विरोध , तटस्थ रह कर सिर्फ सबकी राजनीति देखेंगे और देखेगें की अब सोशल मिडिया ने आम लोगों को भी कितना बड़ा राजनीतिज्ञ बना दिया हैं जो यहां बैठे बैठे सिर्फ अपनी सोच और विचारधारा के अनुसार छात्रों को उकसा रहें हैं फर्जी खबरे वीडियों लगा कर अफवाहें फैला रहें हैं |

                             मेरी माने तो छात्र दूसरों के हाथ का मोहरा बनने की जगह अपनी ऊर्जा बचा कर रखें अभी उन्हें एक बड़ी लड़ाई में आगे आना हैं जिसमे आम लोग भी उनका साथ देंगे वो हैं NRC | पर याद रखियेगा उसमे भी हिन्दू मुस्लिम मत कीजियेगा उससे सभी को परेशानी होने वाली हैं | गरीब सिर्फ मुस्लिम नहीं होता गरीब धर्म जाति से ऊपर होता हैं उसकी बात कीजियेगा , ना की फिर मुस्लिम गरीब को परेशानी होगी तो मैं अपना धर्म बदल मुस्लिम होने जा रहन हूँ कहने वाले स्वार्थी लोगों की बातों में ना आ जाना |

2 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 17 दिसम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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