कार 24 का एक विज्ञापन आता था जिसमे एक लड़की दूसरी लड़की से कहती हैं कि हम दूल्हे खोजने की एक एप्प कार 24 की तरह बनायेंगे | दस दिन में दूल्हा पसंद नहीं आया तो वापस , यही होगा असली स्वयंवर | ये कह लड़कियां जोर से हँसने लगती हैं |
अब सिर्फ कल्पना कीजिये कि इस विज्ञापन में पात्रों का लिंग परिवर्तन कर देतें तो कितना बवाल हो जाता | दो लडके बात करते की पसंद ना आये तो दस दिन में दुल्हन वापस फिर ठहाका लगाते | बाप रे , नारीवादियों से लेकर महिला आयोग और पूरा सोशल मिडिया जंग का मैदान बना देता | महिलाओं का अपमान बता कहता पहली नजर में ही विज्ञापन पसंद नहीं आया इसे तो तुरंत ही वापस लो |
लेकिन अब कहीं से कोई भी आवाज विरोध में नहीं उठ रही हैं | किसी को विज्ञापन में पुरुषो का अपमान नहीं दिख रहा | नारीवादी , फेमनिष्ठ तो आपकी समानता के लिए विरोध तो करने से रही | उनके लिए समानता क्या हैं हाल में छोकरी और आम की टोकरी में ही सामने आ गया | कुछ ने कहा छोकरी क्यों हैं छोकरा क्यों नहीं डाला, कवि की नियत ख़राब हैं | मतलब छः साल एक लड़का आते ही बाल मजदूरी और यौन शोषण का मामला ख़त्म हो जाता |ये दोनों बातें लडको से नहीं जुड़ती , उनके हिसाब से |
वामपंथी भी आप के लिए आवाज नहीं उठाएंगे जब तक आप मुस्लिम , दलित , गरीब, सत्ताविरोधी या वामपंथी ना हो | अगर आप ये योग्यता रखते हैं तो वो आपके गलत करने में भी आपके पक्ष में खड़े रहेंगे | लेकिन स्वर्ण , हिन्दू , अमीर आदि का अपमान अपमान नहीं कहलाता , उनके अनुसार | दलितवादी कहेंगे इतने सालों स्त्री का अपमान किया हैं तो अब उसका हक़ बनता हैं कि वो हर पल आपका अपमान करे| बल्कि अपना सारा जीवन उसे खुद की उन्नति में लगाने की जगह आपके अपमान में समय व्यर्थ करना चाहिए |
मतलब कोई भी पंथ या वाद आपके लिए आवाज नहीं उठाने वाला हैं |लेकिन सवाल से हैं कि आम पुरुष इसके खिलाफ क्यों नहीं बोल रहा हैं | इसके दो तीन कारण मुझे लग रहें हैं आप बताइये कौन सा सही हैं --
1 - पुरुषों का सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत अच्छा हैं |
2 - असल में ये अवसर , सुनहरा मौका हैं | इससे बढियाँ क्या होगा कि दस दिन एक लड़की से साथ गुजारने के बाद आपको आजाद कर दिया जायेगा किसी और लड़की के आजमाने के लिए | मतलब हर दस दिन बाद नयी गर्लफ्रेंड | वल्लाह अच्छे दिन कहते हैं इसको तो |
3 - आपदा में अवसर | भाई दूल्हे को दस दिन आजमाया जायेगा तो दूल्हे को भी तो मौका मिलेगा दस दिन दुल्हन को आजमाने का | खुद को पसंद आयी तो उसके सामने अच्छे बने रहों ताकि वो भी पसंद कर ले | दुल्हन पसंद नही आयी तो अपना रावणी रूप दिखा दो वो खुद ही छोड़ देगी | अरेंज और लव मैरिज में ये फायदे कहाँ मिलने वाले |
4 -समाज की वास्तविकता और अपनी ताकत की पहचान | हँस लो लड़कियों जितना इस तरह का मजाक बना कर हँसना हैं | समाज की वास्तविकता तो ये हैं कि तुम्हे वर के चुनाव का अधिकार ही नहीं हैं , अपवाद छोड़ दे तो | किसे चुनना हैं और किसे रिजेक्ट करना हैं ये हम तय करते हैं तुम नहीं | इसलिए तुम्हारे ख्याली पुलाव से हमें कोई आपत्ति नहीं हैं |
इसमें से आपको कौन से कारण लगते हैं बताइये | इसके आलावा भी कोई और कारण हैं तो अपनी तरफ से जोड़ते जाइये ।
सूक्ष्म विवेचन । विज्ञापन आज कल कुछ भी बनते रहते हैं । डॉलर वाला बीबी देखा होगा ....
ReplyDeleteये कौन सा विज्ञापन था , याद नही आ रहा अभी ।
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