समय समय पर पुरुष याद दिलाते रहते है कि घर का काम करने से महिलाएं स्वास्थ रहती है या आजकल महिलाए इसलिए मोटी होती जा रही है क्योंकि उन्होने घर से सील लोढ़ा , चकरी आदि हटा कर मीक्सी ला दिया है । इससे वो अपनी सेहत भी खो रही है और खाने का स्वाद भी खराब हो रहा है । ऐसी ही एक टिप्पणी किसी ना की कि
'अगर आप स्वस्थ रहने के इच्छुक हैं तो योगा या रस्सा कूदने की ज़रूरत नहीं है। स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अच्छे पाकशास्त्री बनिये। घर में सिल-बट्टा और दरतिया ज़रूर रखिए। कैथा, मेथी दाना और नारियल की चटनी सिर्फ सिल-बट्टे से ही बन सकती है।'
'औरतों ने किचेन के सुस्वादु भोजन का जायका बिगाड़ दिया है'....
एक बात ध्यान रखिये कि स्त्री का धर्म ही त्याग तपस्या हैं | जिस घर में स्त्री इन गुणों का त्याग करती हैं घर बिखरते हैं | तो अब समय आ गया हैं कि स्त्री एक बार फिर त्याग के लिए तैयार हो जाए और अपने शरीर को कष्ट दे | लोग कहते है कि सील लोढ़ा की चटनी और घर की चकरी के आटे में ज्यादा स्वाद होता हैं साथ में शरीर का व्यायाम अलग से | मेरी खुद की सौ प्रतिशत की सहमति हैं इन दोनों बातों से |
आप आस पास किसी भी जिम या अखाड़े को देखिये व्यायाम करते और शरीर बनाते पुरुष ही पुरुष दिखेंगे महिलाऐं बस नाम मात्र की | ये जरुरी भी हैं कि पुरुष शरीर से तगड़े हो महिलाओं के मुकाबले , क्योकि उन्हें घरों कर बाहर दुनियां का सामना करना हैं | तो अब समय आ गया हैं कि स्त्रियां घरों के कुछ कामों का त्याग करे मिक्सी आदि का त्याग करे सील लोढ़ा और चकरी लाये और पुरुषो को काम पर लगाये | पुरुषो द्वारा भांग की घोटाई से हम सब समझ सकते हैं कि सील लोढ़ा के प्रयोग की प्राकृतिक क्षमता उनमे होती हैं | स्वाद का स्वाद और उनका घर में व्यायाम कसरत आदि भी हो जायेगा | जिम आखाड़े में व्यर्थ जाने वाले पैसे और समय भी बचेगा |
हम स्त्रियों का क्या हैं सह लेंगे , थोड़ा आराम कर लेंगे | उससे कुछ वजन बढ़ेगा तो वो बोझा भी परिवार की ख़ुशी के लिए उठा लेंगे | सामने सील लोढ़ा और चकरी का नतीजे में जो घर में ऋतिक रौशन , टाइगर श्राफ जैसे शरीर बनाये पुरुष घुमेगे तो अपना त्याग व्यर्थ ना लगेगा 😂😂😂
सिल लोढ़ा तो समझ आया ये चकरी नहीं समझ आयी ।
ReplyDeleteसच ही स्त्रियाँ कितना त्याग करती हैं तो पुरुषों की सेहत के लिए इतना त्याग तो बनता है ।
ज़ोरदार व्यंग्य और कटाक्ष ।
चकरी, चक्की गेंहू पीसने वाला ।
Deleteआपकी लिखी रचना सोमवार 08 अगस्त 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (०८-०८ -२०२२ ) को 'इतना सितम अच्छा नहीं अपने सरूर पे'( चर्चा अंक -४५१५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (०८-०८ -२०२२ ) को 'इतना सितम अच्छा नहीं अपने सरूर पे'( चर्चा अंक -४५१५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत ख़ूब
ReplyDeleteव्यंग्य शानदार है!
ReplyDeleteपर आज की नारी आपके झांसे में आने नहीं वाली।
जिम में भी पुरुषों से अधिक दिखने लगी हैं।
गया जमाना सिलबट्टा और चट्टी का।
पुरुष पिसना चाहें तो बेशक अच्छा ही होगा।😆😆😆
चट्टी को घट्टी पढ़ें।
ReplyDeleteआरामदायक गैजेट की सुविधाओं को छोड़कर
ReplyDeleteसिलबट्टे और चक्की के प्रयोग करने की सलाह,
ऐसा यूनिक सुझाव देने के जुर्म में आपको मिक्सी में पीसी धनिया की चटनी खिलाई जायेगी और उड़द के बड़े भी।
सादर।
बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकल ही कोई सुपात्र देखकर मिक्सी उसे दे देती हूं । सिल लोढ़ा तो पहले से हैं बस चकरी का इंतजाम करना है फिर देखिए क्या शरीर सौष्ठव बनता है।
ReplyDeleteक्या कहने😂
ReplyDeleteसही 😀😀👍
ReplyDeleteव्यंग्य तो अच्छा है पर मात्राओं की गलतियां अर्थबाधा उत्पन्न कर रही हैं । इसीलिये सील और चकरी से एकदम समझ नहीं आया कि आप सिल और चक्की की बात कर रही हैं ।
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