13 -14 साल के दो लडके और एक लड़की हैं , तीनो पक्के दोस्त हैं बचपन से | अचानक से सुपर इंटेलिजेंट लड़की की माँ की एक एक्सीडेंट में मौत हो जाती हैं | वो परिस्थितियों को ठीक से संभाल नहीं पाती | तीनो दोस्तों का मिलना जुलना कम हो जाता हैं | फिर उनमे से एक सबसे खुशमिजाज लड़का टूटते तारों को अपने फार्म हॉउस से देखने का प्लान बना, चालाँकि से दोनों दोस्तों को बुला लेता हैं |
तीनो वहां अच्छा समय बीताते हैं और टूटते तारो को देखते तीनो के दिल से एक साथ निकलता हैं कि काश ये समय यही रुक जाए | टूटते तारे उनकी इच्छा पूरी कर देतें हैं और समय वही रूक जाता हैं | वो वापस उस सामान्य समय में नहीं जाना चाहते क्योकि वहां दुःख , यादे , मौत , तनाव , बिछड़ना और बहुत कुछ हैं |
हमारी बिटिया के स्कूल में हर साल नए क्लास में जाने पर सभी सेक्शन के बच्चो को मिक्स कर उन्हें फिर से अलग अलग डिवीजन में भेज दिया जाता हैं | नतीजा हर साल क्लास में हर किसी के बहुत से दोस्त उनसे अलग हो जाते हैं | मुझे स्कूल का ये तरीका बहुत क्रूर लगता हैं ज़रा भी पसंद नहीं हैं | हमें लगता इस तरह तो मेरी बिटिया का कोई बेस्ट फ्रेंड ही नहीं बनेगा | किसी का कोई बेस्ट फ्रेंड ना होना समझिये जीवन की बहुत बड़ी कमी हैं | वो खुशियों के एक बहुत बड़े खजाने से अनजान हैं |
इस चक्कर में बहुत सारे बच्चे ऐसे हैं जिनका कोई बेस्ट फ्रेंड ही नहीं हैं क्योकि हर साल कुछ दोस्त साथ आते हैं तो कुछ छूट जाते हैं | फिर नए क्लास के बच्चो से नयी दोस्तियां हो जाती हैं , अगले साल उसमे से भी कुछ छूट जाते हैं |
मैंने हर साल देखा हैं की दो तीन दोस्तों को छोड़ बिटिया के हर जन्मदिन पर नए बच्चे आते | | बिटिया जब सातवीं में आयी तो कुछ बड़ी हो गयी थी और दोस्तियों का मतलब अच्छे समझने लगी थी | वहां उनके छः और अच्छे दोस्त बने जिनमे से ज्यादतर को वो बहुत पहले से जानती थी पर फ्रेंड जैसे नहीं थे |
फिर दोस्तों के साथ सिर्फ खेलने से कहीं ज्यादा नजदियाँ बढ़ी | एक दूसरे से अपनी पसंद ना पसंद बाटी , विचारो का ज्यादा आदान प्रदान हुआ , साथ में स्कूल से बाहर भी मिलना , एक दूसरे के घर जाना बहुत कुछ हुआ और वो बेस्ट फ्रेंड बन गए |
फिर आया आठवीं में जाने का समय | सब बहुत दुखी हुयी कि अब हम फिर अलग हो जायेंगे | एक दूसरे को गिफ्ट दिया , रोये गाये भी , परीक्षा के आखिरी दिन उन्होंने ने एक साथ एक मित्र के घर नाइट स्टे भी किया | वो बिलकुल अलग नहीं होना चाहते थे |
दस दिन की छुट्टियों के बाद वो आठवीं में गए और पांच दिन बाद ही स्कूल फिर से बंद हो गया | न नए क्लास में गए ना नए लोगों से मिले और ना नए फ्रेंड बने | परिणाम ये हुआ कि वो सातवीं वाले पुराने दोस्तों के ही संपर्क में रहें | इंटरनेट ने फिजिकली साथ ना होने की कमी ही महसूस नहीं होने दी | फिर इन ख़राब हालातों में सभी के मम्मी पापा ने बच्चो को मोबाईल दिया बल्कि उनसे दोस्तों से लगातार जुड़े रहने की छूट दी |
आठवीं में उन सबका फेवरेट बैंड , किताबे , फिल्मो , गेम आदि इत्यादि की लिस्ट थी | बर्थडे पर रात के बारह बजे विश करना हो या दोस्तों के ले वीडियों और गाना बनाना | छूट मिलने पर एक दूसरे के घर भी गए और बाहर घूमने भी | नौवीं में उनके सब्जेक्ट भी अलग हो गए किसी ने साइंस लिया तो किसी ने कॉमर्स लेकिन दोस्तियां वही बनी हुयी हैं | अब वो इतनी मजबूत तो हो गयी हैं कि स्कूल खुलने के बाद भी उनके नए दोस्त शायद ही बने | ये दोस्ती तब भी ऐसे ही बनी रहेगी |
दो दिन पहले "गोर्टिमर" सीरीज में टूटते तारो और उससे विश मांगते दोस्तों वाला एपिसोड देखते मैं भी मन में सोचने लगी क्या सातवीं में नाइट स्टे वाले दिन इन सबने भी कोई ऐसी विश मांग ली थी क्या |
बहुत सही कहा
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