May 11, 2022

कन्यापूजन कन्यादान

एक बार वैष्णव देवी गयी थी , वहां बहुत से लोग दर्शन करने के बाद  कन्या पूजन मतलब छोटी लड़कियों को खाना खिलाते  हैं | एक जने ऐसे ही वहां दर्शन करने आयी छोटी लड़कियों को खोज खोज पूड़ी हलवा दे रहें थे | 


मेरी कम हाइट और फ्रॉक पहने होने के कारण उन्होंने मुझे भी थमा दिया |  मुझे पता था कि पीरियड शुरू हुयी लड़कियों को कन्या पूजन में नहीं  बिठाया जाता  |  मैं उतनी बड़ी हो चुकी थी सो मैं उन्हें मना करने लगी कि मुझे   नहीं लेना हैं  लेकिन वो मानने को ही तैयार नहीं | 


हमें लगा हम ये सब माने ना माने वो तो मानते ही होंगे | बेकार उनका धर्म भ्रष्ट होगा और पाप अलग से लगेगा उन्हें  | सो हमने उनके जाने के बाद पूड़ी हलवा वही किनारे रख दिया | भिखारी तो वहां होते नहीं |   


बहुत बड़ी संख्या में लोग नवरात्रि में अपने अपने घरो में कन्या पूजन करते हैं | हमारे यहाँ  इसको कुआरी खिलाना कहते हैं | पीरियड शुरू होने से पहले लड़कियां कन्या कहलाती हैं | तभी उन्हें पवित्र और पैर पूजने लायक माना जाता हैं | पीरियड शुरू होने के बाद उन्हें स्त्री समझा जाने लगता हैं और फिर वो कन्या  नहीं कहलाती | 


उसी तरह हमारे धर्म और  शास्त्र में जो कन्यादान  हैं वो छोटी अर्थात पीरियड शुरू ना हुयी लड़कियों के दान की बात करता हैं |  इसलिए ही कन्यादान के समय दामाद और  बेटी दोनों के पैर पूजे जाते हैं | पहले अत्यंत छोटी लड़कियों के  विवाह का कारण यही शास्त्रों के अनुसार असली पुण्य कमाने का लालच ही होता था |  

ये बात आप अच्छे से समझ ले कि ये जो आजकल बीस तीस या चालीस साल की लड़कियों के विवाह में लोग कन्यादान कर रहें हैं ना , असल में वो शास्त्रों को अनुसार फर्जी हैं | जब लड़की कन्या रही ही नहीं तो कन्यादान कैसा | स्त्री दान , बिटिया दान की कोई व्यवस्था हमारे शास्त्रों में तो नहीं हैं | 


भले पंडित जी विवाह के समय बोले की कन्या को बुलाइये पर स्त्री बन चुकी लड़की कन्या नहीं होती | जब लड़की कन्या नहीं होती तो उसका कन्यादान भी अपने दिल की तसल्ली और बस नाम के लिए रस्मो को निभा देने भर से आपको उसका पुण्य भी नहीं मिलने वाला | मतलब आपका किया कन्यादान शास्त्रों और धर्म के लिए आपके लेडीज संगीत के बराबर का हैसियत रखता हैं , मतलब की कुछ भी नहीं  | 


जिस जिस को लगता हैं कि उसके लिए उसका धर्म और शास्त्रों में लिखा उसकी पहचान हैं उसका पालन करना उसके लिए जरुरी हैं तो दिखाए अपने दस साल की बिटिया का कन्यादान करने का जिगरा | बाकि लोग समझ ले कि वो धर्म और शास्त्र को बहुत पहले ही  पीछे छोड़ आये हैं उसके बाद भी आराम का जीवन जी रहें हैं और दे रहें हैं अपने बेटियों को खुशहाल जीवन  |  

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