हमारे जीवन में जितना अंग्रेजी कैलेंडर का उपयोग होता हैं उससे कहीं ज्यादा उपयोग हिन्दू कैलेंडर का होता हैं | हमारे जीवन में खुशियां आन्नद और मजे लाने का काम हमारा विभिन्न तरीके का भारतीय हिन्दू कैलेंडर करता हैं |
ज्यादातर लोग ध्यान नहीं देते लेकिन हमारे सारे तीज त्यौहार , हमारे यहाँ शादी विवाह आदि ज्यादातर शुभ काम सब भारतीय हिन्दू कैलेंडर से होता हैं और मुसलमानो का हिजरी | यहाँ अंग्रेजी कैलेंडर कोई नहीं देखता |
ज्यादातर सरकारी छुट्टियां भारतीय कैलेंडर के अनुसार होते हैं क्योकि त्यौहारों के कारण मिलने वाली ये छुट्टियां अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से नहीं होती |
उपभोक्ता उत्पाद बनाने वाली कम्पनियाँ अपनी योजनाएं भी भारतीय कैलेण्डर को ध्यान में रख कर बनाती हैं | आपको बताऊ अकेले दिवाली पर जितने फ्रिज टीवी एसी आदि इलेक्ट्रॉनिक सामन बिक जाते हैं उतना साल भर नहीं बिकता | वैसे ही सोना गहनों की बिक्री के लिए अक्षय तृतिया, धनतेरस के साथ भारतीय शादियों के सीजन का ध्यान रख प्लानिंग बनानी पड़ती हैं , हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से होता हैं |
ज्यादातर भारतीयों की छुटियाँ मनाने समय भी अपने अपने हिन्दू कैलेंडर और त्यौहार के हिसाब से फिक्स हैं | जैसे दुर्गापूजा पर बंगाली घूमने निकलते हैं , दिवाली पर गुजराती और गणपति पर मराठी | वहां पर स्कूलों की छुट्टियां भी उसी हिसाब से होती हैं जैसे महाराष्ट्र बोर्ड के स्कूलों में गणपति की लम्बी छुट्टी होती हैं जबकि यही पर केंद्रीय बोर्ड में दिवाली की , बंगाल में दुर्गापूजा की बाकि जगहों पर भी उनके हिसाब से |
ज्यादातर स्कूल भी अपनी योजनाएं भारतीय कैलेंडर सामने रख कर बनाते हैं | उसमे इस बात का ध्यान रखा जाता हैं कि बड़ा टेस्ट या परीक्षा बड़े त्यौहार के छुट्टियों के पहले हो जाए या त्यौहार के अगले दिन कोई टेस्ट या परीक्षा ना रखा जाये | कितना कोर्स किस त्यौहार की छुट्टियों के पहले पूरा कर लेना हैं | कुछ कान्वेंट स्कूलों से ये शिकायते जरूर आती हैं इसको लेकर कि वो जानबूझ कर हिन्दू त्यौहारों के बाद परीक्षाए लेते हैं | मतलब आम लोगों को भी ये पसंद नहीं आता |
हम में से बहुत लोग ध्यान नहीं देते कि जो अंग्रेजी कैलेण्डर हम खरीद कर लाते हैं उसमे भारतीय कैलेंडर भी साथ में छपा होता हैं | भारतीय तीज त्यौहार के साथ ही लोग उसमे प्रदोष , एकादशी ,पूर्णिमा अमावस्या भी हर महीने देखते हैं | उसका उपयोग वास्तव में भारतीय हिन्दू कैलेंडर के रूप में ज्यादा होता हैं | रोज की तारीखे तो हम मोबाईल पर देख लेते हैं उसके लिए कैलेण्डर देखने नहीं जाते वैसे त्यौहार कब हैं ये भी मोबाईल पर देख लेते हैं |
पता नहीं लोगों को याद हैं की नहीं कि हमारा राष्ट्रिय कैलेंडर भारतीय हिन्दू कैलेण्डर शक संवत वाला हैं और इसे राष्ट्रिय कैलेंडर ना तो मोदी ने बनाया हैं और ना ये 2014 में बना हैं | बाकी की इसकी जानकारी के लिए लोग गूगल कर ले जिन्हेंनहीं पता हैं |
लेकिन आजकल लोग हर बात का विरोध करते इतने अंधे हो जाते हैं कि पूछिये मत | कुछ समय पहले एक जने जो मोदी विरोधी थे तो उनके लिए पूरा गुजरात ही दुश्मन था , शिकायत करने लगे ये गुजराती पगला गए हैं दिवाली पर ही दिवाली के साथ नये साल की बधाई दे रहें हैं | एक तो उन्हें पता नहीं था की गुजरातियों का दिवाली से नया साल शुरू होता हैं | जब किसी ने बता दिया उसके बाद भी गरियाते कहने लगे तो हमें क्यों दे रहें हैं |
जब सोशल मिडिया नहीं था तब भी ये त्यौहार थे और सबका अपना अपना नया साल | तब सब आपस में एक दूसरे को बधाई ले दे लेते थे बाहर वालों को पता नहीं चलता था | लेकिन सोशल मिडिया आने के बाद सारी संस्कृति , क्षेत्र , समुदाय के लोग एक ही जगह एक दूसरे से मिलने लगे और एक दूसरे के त्यौहारों रीती रिवाजो से परिचित होने लगे | हर किसी को अपने त्यौहारों की बधाई देने लगे और लोग उन्हें उनके त्यौहारों की शुभकानाएं देने लगे | हमें तो याद नहीं कभी बचपन में किसी को हैप्पी दिवाली या होली कहा हो लेकिन सोशल मीडिया ये करना सभी को सीखा दिया |
इसे एक अच्छे कदम के रूप में देखना चाहिए था कि सांस्कृतिक रूप से एक दूसरे के करीब आ रहें हैं | लेकिन 2014 के बाद हिंदुत्व की लहर आयी तो उसका विरोध करने वाले भी आये और वो हिंदूवादियों का विरोध करते करते इतने अंधे हो गये कि वो बिना सोचे समझे हर हिन्दू शब्द जुड़े चीज का विरोध करने लगे | अब लोग हिन्दू नए वर्ष मनाने का भी विरोध करने लगे हैं |
मजेदार बात ये हैं कि हिन्दू नए सालका विरोध करने वाले हिन्दू , ईद और क्रिसमस पर हिन्दुओ को भी उसकी शुभकामनाएं देना नहीं भूलते हैं | ईद और क्रिसमस की शुभकामनाये देने मनाने का मेरा कोई विरोध नहीं हैं | खुद मै दोनों त्यौहार अपने घर अच्छे पकवान बना खा मनाती हूँ वर्षो से |
मजेदार बात ये भी हैं कि मैं नास्तिक धर्म के खिलाफ होते हुए भी ये पोस्ट लिख रही हूँ और तो और मैं तो अपना जन्मदिन तक भारतीय हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से मानती हूँ | माने की हद हैं नास्तिक बिरदारी को मुझ पर लानत भेजनी चाहिए |
जी , बिल्कुल लानत है जी आप पर ...... आज के माहौल में आप हिन्दू का डंका पीट पीट कर सुना रहीं । भले ही कैलेंडर के माध्यम से ।
ReplyDeleteमज़ाक एक तरफ ..... विचारणीय पोस्ट । आज बस विरोध में लोग अंधे हो रहे हैं ।।
यूँ ही आप ब्लॉग की दुनियाँ आबाद रखिये ।
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज मंगलवार (17-5-22) को "देश के रखवाले" (चर्चा अंक 4433) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
आपकी लिखी रचना मंगलवार 16 मई 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
धन्यवाद
Deleteदिनांक ---- 17 मई
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने आपका हर बिंदु बिल्कुल वैज्ञानिक हैं मैं पूरी पोस्ट से सहमत हूं और प्रभावित भी।
ReplyDeleteसाधुवाद।
सच थाली भले ही विदेशी हो लेकिन उसमें पकवान तो अपने ही अच्छे लगते है, स्वादिष्ट होते है.
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रेरक प्रस्तुति
बहुत ही सार्थक आपका लेख हिंदू कैलेंडर पर हम जीवन काल में सबसे अधिक हिंदू कैलेंडर का ही प्रयोग करते हैं
ReplyDeleteBahut khoob
ReplyDeleteहिन्दू हैं तो हिन्दुत्व तो दिखेगा ही रहन सहन में...और सब धर्मों का आदर भी हिन्दुओं की विशेषता है....वैसे अच्छा है कि कलेन्डर में हिंदू तिथियां पहले से थी वरना मोदी जी क्या क्या करते...
ReplyDeleteबहुत सटीक एवं सार्थक।
नास्तिक बिरादरी वाले कह रहे कि आप कर्म से नास्तिक हो सकती है मन से तो शुद्ध आस्तिक हैं।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा आपने।
सादर।
सौ टके की बात...
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