" मम्मी बायो की बुक कहाँ हैं "
" वही होगी जहाँ तुम रखी हो "
" मेरे अलमारी में नहीं मिल रही "
" मैं जरुरी काम कर रही हूँ | ठीक से देखो वही होगी "
" बोल रही हूँ ना नहीं मिल रही हैं ज़रा सा आ कर देख नहीं सकती क्या "
" मैं आयी और बुक वहीँ मिली मुझे , तो सोचके रखना फिर तुम "
" पापा तुम ही थोड़ी हेल्प करो , एक बार देख लो ना कहीं हैं क्या "
अंततः बाप बेटी दोनों को बुक वहां नहीं मिली और अपना जरुरी काम छोड़ मुझे उठना पड़ा और बुक एकदम सामने वही पर मिल गयी |
" पापा मुझे पता ही था कि मम्मी आयेगी और बुक उसे ही मिलेगी "
" बाबू तुमको पता था कि मम्मी को ही बुक मिलेगी तो बीच में मुझे बुला कर क्यों फंसा दिया | अब लो तुम्हारे साथ मुझे भी सुनना पडेगा | बैकग्राउंड में मम्मी चालू थी
" दोनों के दोनों अंधे हो | क्या मजाल की एक काम तुम लोग ठीक से कर लो | दो मिनट भी शांति से बैठने नहीं दे सकते दोनों | तुम दोनों सुबह आंख खोलते ही हो ये टास्क लेकर कि आज कैसे मुझे परेशान किया जाए | कैसे मुझे शांति से कुछ करने ना दिया जाए ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला -----
घर -घर की कहानी । पता नहीं सब मुंह उठा कर शायद छत की ओर देखते हुए ढूंढते चीजें
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