बनारस में हमारे मोहल्ले के सभासद गिरीश अंकल हमारे पडोसी ही थे | बीजेपी के थे और हमारी याद से वही सालो साल से जीत रहें थे | एक बार सीट महिला आरक्षित हो गयी तो उनकी पत्नी खड़ी हो गयी वो भी जीत गयी | ऊपरी तौर पर पूरा मोहल्ला उन्हें ही वोट करता था | चुनावों के समय बाकि मोहल्ले में भले प्रचार करते लेकिन अपने मोहल्ले में शायद ही कभी चुनाव प्रचार करते थे | बस वोटिंग के दिन आते सबके घर इतना कहने की वोट देने चले जाना | कभी ये नहीं कहा हमें वोट करना |
लेकिन एक साल मेरे घर के सामने छोटी सी स्टेशनरी की दूकान और सामने की गली में अपने ही घर में आठवीं तक का एक छोटा सा स्कूल चलाने वाले पासवान भाई बंधुओ ने अपने हफ्तों चले बीएसपी के प्रचार से उनका विश्वास हिला दिया |
वो समय बैनर झंडी झंडा और लाउडस्पीकर वाला था | दिनभर दूकान से रिकॉर्ड किया प्रचार इतनी जोर का बजता कि सबके कान पक गए | पहले दो तीन दिन सभी ने दबी जुबान मजाक उड़ाया कि इससे कुछ बदलने वाला नहीं तीन दिन में पैसा ख़त्म प्रचार बंद | लेकिन प्रचार बंद नहीं हुआ और बीजेपी समर्थक लोगों टेंशन में आने लगे |
हफ्ते भर बाद ही गिरीश अंकल भी प्रचार के लिए निकल पड़े | उस साल उन्होंने भी प्रचार के लिए भागा दौड़ी की और जब रिजल्ट आया तो सब आश्चर्य में पड़ गये | क्योंकि उन्हें उस साल रिकॉर्ड वोट मिले लेकिन जिस बीएसपी के प्रचार से वो डरे उसे कोई खास वोट नहीं मिले थे |
होता ये हैं कि कई बार विरोधियों का अति सक्रिय होना प्रचार करना समर्थको को अपने आप जागृत कर देता हैं | किसी और के आने के डर से सुस्त पडा समर्थक घर से निकल निकल भारी वोट करता हैं |
यूपी में आखिरी के तीन चरणों के चुनाव बाकी थे तभी पूरा देश और दुनिया रूस और यूक्रेन के युद्ध में फंस गया हर तरफ से सिर्फ युद्ध की बातें हो रही थी यूपी चुनाव सब लोग लगभग भूल गए थे | एक बारगी बीजेपी समर्थक भी लगभग निष्क्रिय हो गए थे |
उसके बाद यह सारी खबरें एक के बाद एक मीडिया में बीजेपी द्वारा प्लॉट की गई | जो बीजेपी पहले से ही अपने समर्थकों को सपा के फिर से सत्ता में आने का डर दिखा रही थी | यह सारी खबरें उसके समर्थकों को सक्रिय करने के लिए काफी थी |
मजेदार बात यह थी कि यह खबरें बीजेपी के समर्थकों में प्रचार के लिए प्लॉट की गई थी और इसको फैलाने वायरल करने का काम सपा समर्थकों ने किया | सपा समर्थक यह समझ ही नहीं पाए कि 3 चरणों के चुनाव होने के पहले ही कोई नौकरशाह क्या कोई चुनाव का जानकार भी यह नहीं बता सकता की चुनाव कौन जीतेगा |
फिर किसी नौकरशाह की यह हिम्मत कैसे हो सकती है की मौजूदा सरकार के रहते और केंद्र में बीजेपी सरकार के होते वह चुनाव रिजल्ट के पहले ही विरोधी पक्ष के साथ खड़ा हो जाए | आखरी चरण के चुनाव होने तक जब तक सपा समर्थकों को यह बात समझ आती प्लॉट की गई खबरें अपना काम कर चुकी थी | बीजेपी अपने विरोधियों को अपना प्रचार सामग्री आसानी से बना लेती हैं |
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