बिटिया जब ढाई तीन साल की हुयी तो बर्थडे पार्टी का मतलब समझने लगी थी | अपना बर्थडे और सहेलियों के बर्थडे में जा कर उनके दिमाग में पार्टी का एक दृश्य फिक्स हो गया |
फिर आया इनके पापा का बर्थडे , आदत के अनुसार पतिदेव सुबह से मुझसे कहने लगे कहाँ दे रही हो मेरे बर्थडे की पार्टी | बिटिया बड़ी खुश की आज पापा का बर्थडे भी हैं और शाम को पार्टी भी हैं |
शाम को हम सब बाहर खाना खाने जाने के लिए तैयार होने लगे तो ये एक्साइटेड हो गयी कि बाहर पार्टी हैं तो बहुत ही बढियाँ होगी | हम लोग अपने वही पेट जगह पर खाने पहुँच गए तो बिटिया थोड़े आश्चर्य में बाहर ही बोल पड़ी यहाँ पार्टी कैसे होगी ये तो रेस्टोरेंट हैं |
अंदर जा कर कह रही हैं बाकी मेहमान कहा हैं , पार्टी कहाँ हैं | हमलोगों के ये कहने पर की यही पार्टी हैं तो वो नाराज हो गयी की तुम लोग तो सुबह से कह रहें थे पार्टी हैं ये तो हम लोग बस बाहर खाना खाने आये हैं | ये कोई पार्टी नहीं हैं , तीन लोगों की कहीं पार्टी होती हैं |
उसके बाद अगले कई साल तक वो पापा के बर्थडे पर सरप्राइज पार्टी देती रही | गुब्बारे से सजाने से लेकर पंखे पर फूल रखना , कार्ड बनाना , गिफ्ट लाना अलाना ढेकाना सब कुछ | साथ में ताने भी कि तुम लोगों को पार्टी करना नहीं आता , पार्टी ऐसे करते हैं |
कई सालों तक मम्मी को सरप्राइज पार्टी नहीं दे पायी तो अफसोस करती थी क्योकि मम्मी तो हर समय घर में ही उनके साथ रहती थी |
वैसे वो आज भी कहती रहती हैं कि तुम दोनों की लाइफ कितनी बोरिंग हैं मैंने उसे अच्छा बनाया हैं | मैं ना होती तो तुम लोगो का क्या होता | ये तो वैसे सही ही बात हैं
#पापाकीपरी
"वैसे वो आज भी कहती रहती हैं कि तुम दोनों की लाइफ कितनी बोरिंग हैं मैंने उसे अच्छा बनाया हैं | मैं ना होती तो तुम लोगो का क्या होता"
ReplyDeleteबिलकुल सही कहती है बिटिया,हमारी लाइफ तो बोरिंग ही थी बच्चों ने एंटरटेनिग बनाया ,बेटियां होती ही है परी ,सादर नमन आपको
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार १३ मई २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
वाह!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना है।
ReplyDeleteबिटिया के द्वारा किया गया सही आकलन । बोरिंग लाइफ को पापा की परियाँ ही सुंदर बनाती हैं ।।
ReplyDeleteबेटियाँ ही हर दिन हर पर्व को सुन्दर बनाती हैं 😍🥰
ReplyDeleteमेरी बिटिया भी यही कहती है कि मैं दूर चली जाऊं तो आप लोग सिर्फ दाल - फुल्का खाते रहना | कौन भरेगा आप लोगों जीवन में रंग | सच में बेटियों से बढ़कर कौन | भावपूर्ण लेख अंशुमाला जी
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