एक बार एक पति ने अपनी पत्नी से पूछा कि मैं मर जाओ तो क्या तुम बहुत रोओगी | पत्नी बोली मैं तो रोने के लिए रुदाली बुला कर साथ में रोऊंगी | पति ने परीक्षा लेने के लिए मरने का नाटक किया पत्नी ने अपने कहे के अनुसार रुदाली बुला ली | रुदाली से मोलभाव के बाद चार मक्के की रोटी और दो रुपये पर बात तय हुयी |
रुदाली रोते हुए बोली बहन तब से तवे पर रोटी चढ़ा दे बाद में इंतज़ार ना करना पड़े | पत्नी रोते बोली मैं कही भागे ना जा रही पहले अपना काम ठीक कर फिर रोटी बनाउंगी | रुदाली रोते बोली बहन भूख लगी हैं रोटी तवे पर चढ़ा देगी तो चार रोटियां बनते बनते मेरा काम ख़त्म हो जायेगा |
पत्नी रोते रोते रोटियां तवे पर डाल महंगाई का रोना रोने लगी कि उसके दो रुपये जा रहे हैं | रुदाली रोने लगी ये तो तवे पर रोटी रख चली आयी मेरी रोटियां जल रही हैं | मरने का नाटक करता पति सोच रहा हैं दोनों अपने अपने लिए रो रही हैं मेरे लिए यहाँ कौन रो रहा हैं |
इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि आजादी के बाद अभी तक इरादतन स्वतंत्रता संग्राम के बहुत से सिपाहियों शहीदों को इरादतन याद नहीं किया गया ,उन्हें भुला दिया गया , नयी पीढ़ी को उनके बारे में जानने नहीं दिया गया | ये काम किया गया ताकि स्वतंत्रता संग्राम में कुछ ख़ास लोगों , परिवारों की भूमिका को चढ़ा कर दिखाया जाए और उन्हें ही एक मात्र और असली हीरो बता उसका राजनैतिक फायदा उठाया जा सके |
सालों बाद अब सत्ता में दूसरी विचारधारा का मजबूत आगमन हुआ और फिर उन्होंने इरादतन उन भूले बिसरे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और शहीदों को याद करना , चर्चा के केंद्र में लाना शुरू किया ताकि पहले से फोकस में रहे लोगो को नीचा दिखा सके उन्हें कमतर बता कर राजनैतिक फायदा उठा सके |
बीते सुभाषचंद्र की जयंती पर एक विचारधारा ने सुभाषचंद्र बोस को याद किया कि वो देश के पहले प्रधानमंत्री थे ताकि पहले प्रधानमंत्री के रूप में नेहरू को कमतर किया जा सके | दूसरे ने ये बताते याद किया कि बोस ने तुम्हारी विचारधारा वालो को गालियां दी थी उनसे नफ़रत करते थे उन पर बैन की मांग की थी |
लगभग हर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद करते हुए इसी क्रम को दोहराया जाता हैं |
बेचारे बोस बाबू या अन्य कोई भी स्वतंत्रत सेनानी आज जहाँ होंगे वहां सोच रहें होंगे कि क्या देश के स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में हमारी बस ये भूमिका थी | अपने पुरे जीवन सबसे महत्वपूर्ण काम बस ये किया था , क्या मेरे देश की जनता मुझे बस इस भूमिका के लिए याद रखना चाहती हैं | मेरी शहादत का बदला ऐसे चुकाया जायेगा मुझे याद करने के नाम पर एक दूसरे को नीचा दिखाने का काम किया जायेगा |
अरे रुदालियों तुम सब अपने अपने लिए रो रहें हो हमें कौन याद कर रहा हैं | यही सब करना हैं तो इससे अच्छा हमें मत ही याद रखो , ये सब करने से हमें भुला देना बेहतर हैं |
सटीक विश्लेषण । यहाँ मतलब राजनैतिक गलियारे में सब आने फायदे के लिए रो रहे । यदि जनता के लिए काम करें तो जनता याद रखेगी । वैसे स्वयं को ऊँचा उठाने के लिए इतिहास तो हमें गलत ही पढ़ाया गया ।
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