कुछ साल पहले एक लेख पढ़ा था कि वैज्ञानिको की एक संस्था ने मांग की हैं कि अब मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान 98.6 से कम करके 97. 7-8 कर देना चाहिए | इसके पीछे उनका तर्क था कि अब दुनियाँ में वेक्सिनेशन , साफ सुथरा खाना पीना , अच्छा पोषण आदि इतना बढ़ गया कि अब शरीर को वायरस आदि से बचाने के लिए अपना सामान्य तापमान पहले की तरह नहीं रखना पड़ता हैं उससे कम रखता हैं |
मैं तब ही उनकी बात से सहमत थी या ये कहिये कि बहुत पहले से ऐसे किसी रिसर्च के होने का इंतजार कर रही थी | आप अगर थर्मामीटर में अपना तापमान चेक करेंगे तो बहुतों का सामान्य तापमान 98 से नीचे होगा | मेरा भी सामान्य तापमान हमेसा से 97. 7 के आस पास रहता हैं जबकि शरीर छूने पर वो बहुत गर्म होता हैं | लेकिन समस्या ये नहीं है , समस्या ये हैं कि 98.6 का मतलब मेरे लिए हरारत जैसा होता हैं | एक सामान्य सोच लगाइये तो 98.6 का मतलब हुआ मेरे सामान्य तापमान से लगभगएक डिग्री ज्यादा |
सामान्य लोग 98.6 के ऊपर तापमान जाने पर तबियत ख़राब होना महसूस करने लगते हैं और 99 पर दवा ले लेते हैं | जबकि मुझे 98 से ऊपर पहुंचते ही तबियत के गड़बड़ होने का अहसास हो जाता हैं लेकिन चूँकि थर्मामीटर गवाही नहीं देता तो कोई मानता नहीं | 99 तक पहुंचने तक तो मेरी हालत ख़राब हो चुकी होती हैं और लोग कहते हैं बस जरा सी हरारत ही तो हैं |
पहले मैं 99 दवा नहीं लेती थी लेकिन बिटिया के होने के बाद शरीर 98 के बाद ही जवाब दे जाता था | थकान और बदन दर्द से कुछ करने की हिम्मत ना होती और हम बिना बताये चुपचाप दवा ले लेते थे | अभी हाल में ही डॉक्टर हॉउस देख रही थी उसमे भी एक केस का जिक्र किया गया जिसम महिला का सामान्य तापमान 97 से भी नीचे रहता था और 98.6 का मतलब बुखार |
सभी का शरीर अलग होता हैं और उसकी प्रतिक्रिया भी बाकियों से अलग होती हैं जबकि डॉक्टर कई बार वही भेड़चाल में सभी को एक जैसा ही इलाज देने लगते हैं | ये कोई पहला मामला नहीं हैं जब मेरा शरीर दूसरों मुकाबले थोड़ा अलग निकला | गर्भावस्था के पहले तीन महीने डॉक्टरों के भरोसे के कारण बहुत ही बुरे गुजरे | चक्कर उलटी को पहले तो वो सामान्य बताती रहीं |
मेरे 70 - 100 के बीपी को भी सामान्य बताती रही कि भारत में तो महिलाओं का बीपी ऐसे में ऐसा ही होता हैं | जब तीसरे महीने में भी ये सब बंद नहीं हुआ और मैं बीपी को लेकर बहुत जोर देने लगी तो एक फिजिसियन से जाँच करवाई | उसने पैर हाथ गर्दन सभी जगह की नाड़ी चेक करके सामान्य घोषित किया फिर ब्लड में सॉल्ट लेवल आदि भी जाँच में सामान्य निकला | जब सब ने हाथ खड़े कर दिए तो मैंने अपनी मम्मी से बात की जिन्हे हमेसा से लो बीपी से ऐसे ही परेशान होते देखा था | फिर उनके बताये उपाय से मैं ठीक हुयी |
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 07 जून 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सब अपने शरीर की भाषा स्वयं ही सही रूप से समझ सकते हैं । मेरे शरीर का तो किस्सा ही अलग है । पहली डिलीवरी के बाद से मेरा सुबह तापमान 96. 4 सेंटीग्रेट और सारा दिन में बढ़ते बढ़ते शाम 8 बजे तक 99.4 हो जाता है । और दुनिया जहाँ के टैस्ट हो चुके हैं किसी भी डॉक्टर को कुछ नहीं समझ आया । बस ESR हमेशा ज्यादा निकलता है । जब 99.4 से ऊपर होता है तब मुझे फील होता है कि बुखार है । 😄
ReplyDeleteऔर हाँ ये सिलसिला रोज़ का है ..... रातभर में उतार कर फिर सुबह 96.4 .
ReplyDeleteसही है कि हरेक के शरीर कि बनावट भिन्न होती है, मेरा बीपी (६०-६५)-(९०-१००) रहता आया है, पर उसकी वजह से कोई परेशानी कभी नहीं हुई
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