चूहे को जुकाम हैं , नहीं कोई बाल कविता नहीं हैं सच में चूहे को जुकाम हुआ था तभी मेरी तुलसी दो दिन में सफाचट कर गया | पहले भी नयी लगी तुलसी खा जाता था तो कुछ दिन तक तुलसी रात में कमरे में रख लेती थी | ठीक ठाक बड़ी हो गयी थी तो उन्हें बाहर ही ग्रिल में छोड़ दिया | फिर एक दिन अचानक देखा ऊपरी भाग गायब हैं | उस दिन से फिर रात में कमरे में रखना शुरू किया | पर एक दिन फिर भूल गयी और पूरी तुलसी जी चूहे के पेट में समा गयी |
तुलसी जी का जाना तो उतना दुखदायी नहीं था उससे ज्यादा कष्टकारी था मेरा मनीप्लांट को गमले से काट देना | दस पंद्रह फिट तक हो चूका घना मनीप्लांट एकदम गमले से पूरा का पूरा काट गया | जड़ से ही काट जाता तो कुछ बचता ही नहीं था | पहली बार जब काटा तो एकदम रोना ही आ गया था | उसके बाद चार गमलो में धीरे धीरे लगा दिया कि एक तरफ से काटे कुछ तो बचा रहे |
छः महीने पहले भी काट गया था तो सारे लंबी डालियों को पानी में छोटा छोटा करके लगा दिया | चार महीने में उन सब में अच्छा जड़ आ गया तो वापस गमले में लगा दिया | अब उसने फिर तुलसी जी के साथ मनी प्लांट काट दिया | बस ऐसी ही हरकते मेरा पशुप्रेम समाप्त कर देती और फिर केक रख कर दो चार चूहों का हैप्पी बर्थडे करवा देतीं हूँ | कायदे में रहो तो किसी को कोई हानि ना हो लेकिन बेकायदा हरकत पर अहिंसक व्यक्ति भी अहिंसा त्याग देता ।
एक चूहे महाराज किसी और के हिंसा के शिकार हुए थे और मेरे गमले में सुस्त से पड़े थे इनकी ये हालत देखते बाहर से कौवो ने इन पर आक्रमण कर दिया | हमलों के जवाब में भागा भी नहीं जा रहा था उनसे | जीवे जीव आहार प्रकृति का नियम हैं लेकिन फिर भी देखा ना गया तो कौवो को भगा दिया लेकिन सुबह तक इनका भी काम तमाम ही हुआ |
अथ मूषक कथा । मेरे तो मीठे नीम के पौधे को कबूतर नहीं बढ़ने देते । सारी नई पत्तियाँ खा जाते हैं ।
ReplyDelete