June 21, 2022

सारी नसीहत रोक बस स्त्री पर

जमाना  बड़ा ख़राब हैं , लड़कियों के लिए बाहर निकलना सुरक्षित नहीं हैं  बेहतर हैं रात में लड़कियां ,  महिलाएँ घरो में रहें बाहर ना निकले  | पुरुष उन्हें बाहर परेशान करते हैं तो लड़कियां स्कूल कॉलेज भी ना जाये | लडकिया खजाने की तरह हैं उन्हें तिजोरी में बंद करके रखे | लड़कियां पर्दा करे , घुघंट करे , बुर्का पहने तभी वो लोगों की बुरी नज़रों से सुरक्षित हैं | 


ये सब कितना अलग हैं , उससे जो कुछ  समय  पहले पढ़े लिखे , समझदार , उदारवादी , स्त्री विमर्श करने वाले , नारीवादियों द्वारा सुल्ली , बुल्ली बाई कांड के बाद कहा जा रहा हैं कि सोशल मिडिया पर लड़कियां महिलाऐं अपनी तस्वीरें ना लगाए , अपनी फोटो यहाँ  लगाना खतरनाक हैं | लोग महिलाओं की तस्वीरों का गलत उपयोग  कर सकते हैं |  महिलाऐं लड़कियां खुद  को सोशल मिडिया पर सिमित रखे , अपनी  तस्वीरें पोस्ट पब्लिक ना करे | 


ये सब नसीहत महिलाओं को ही देना , उन्ही को सिमित और छुपने के लिए कहना उन्हें दंड देने जैसा नहीं हैं क्या  | अपराध पुरुष करे और सजा नसीहतें महिलाओं को दिया जाए ये कौन सा आधुनिक सोच हैं भाई | वास्तव में ये उसी पुरातनपंथी सोच का एक हिस्सा हैं तो  बलात्कार जैसे पुरुष के अपराध को , स्त्री की इज्जत मान सम्मान के लूट जाने से जोड़ देता हैं | 


आप एक बार सोच कर देखिये की अगर  पुरुषो की फोटो लगा कर कहा जाता की गधे हैं , जागोला हैं , कुत्ते हैं आओ इनकी बोली लगाओ तो क्या इसे पुरुषो की  इज्जत से जोड़ कर देख फोटो ना लगाने की नसीहत दी जाती | क्या ये कहा जाता कि पुरुषो का चीरहरण  किया गया |  एक मशहूर कार्टूनिस्ट ने इसे महिलाओं के ऑनलाइन चीरहरण से जोड़ दिया |


 कोई घटिया बद दिमाग पुरुष , समूह , किसी  विचारधारा के लोग  किसी महिला के लिए कुछ सोच ले , सार्वजनिक रूप से कुछ कह दे तो क्या  इतने भर से किसी महिला का सम्मान चला जाता हैं वो भरे बाजार नग्न होने जैसा हैं |  किसी का सम्मान उसके अपने  ख़राब बुरे कृत्य से जाता हैं किसी और के  उस पर कीचड़ उछालने या घटिया सोच से नहीं | 


कोई भी समाज हो  , वर्ग हो स्त्री के खिलाफ होने वाले अपराध पर उसे पीड़ित की जगह अपराधी बनाने की ही सोच रखता हैं |  पहले ये जानकर किया जाता था अब जाने अनजाने में पढ़े लिखे भी करते हैं और रूढ़िवादियों को मौका मिल जाता हैं | 


वास्तव में ये  बुल्ली सुल्ली बाई कांड एक गंभीर अपराध था जिसके खिलाफ पहली बार में ही सख्त कार्यवाही किये जाने की जरुरत थी | पहली बार में ही सायबर सेल  और कोर्ट में इसके खिलाफ शिकायत की जाती तो ऐसे अपराध दुबारा  नही होते उन्हे होने से रोका जा सकता था । 


2 comments:

  1. सार्थक लेख ....... किसी भी महिला के साथ पुरुष अभद्र व्यवहार करें तो रोक महिला पर ही लगती है ..... पुरुष प्रधान समाज में पुरुष अपनी सोच नहीं बदल सकता .... हद्द ही है ।
    अच्छा लिखा है ।

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  2. वाह! बढ़िया कहा। सराहना से परे
    बेटियों के बढ़ते कदम रोकें तो न माता पिता परंतु भेड़ियों का डर आख़िर बेटी....
    मेरे हस्बेंड कभी लेट नाइट बाहर से आते हैं मुझे उन्हें रेलवे स्टेशन लेने जाना पड़ता है मैं ख़ुद स्वयं को सुरक्षित नहीं पाती.. कई बार वह तीन चार घंटे वहीं बैठे रहते।
    आक्रोश शब्द बन फूट पड़ा आपके शब्दों में...
    सादर

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