मुंबई मे हमारी एक मारवाड़ी मित्र है । उनका संयुक्त परिवार मे रह रहे अपने देवर देवरानी से ३६ का आंकड़ा था । कारण भी बड़ा गजब है ।
बताती है अपने प्रेम विवाह के बाद ससुराल आयी तो समझ मे आया घर मे और रिश्तेदारो मे उनके पति के बजाये देवर को जरुरत से ज्यादा भाव दिया जाता है ।
वजह है वो बचपन से ज्यादा प्रतिभावान था उनके पति के मुकाबले । पति एलएलबी कर चाचा के नामी फर्म से जुड़े लेकिन देवर सीए बन उससे तीन गुना ज्यादा कमाता । पति का बहुत सामाजिक मिलनसार होना और देवर के एक नंबर के स्वार्थी होने का कोई फर्क किसी को नही था ।
इनका विवाह के छ महीने बाद ही देवर की भी लव मैरिज हुयी । वो बस छ महीने मे पुरानी हो गयी और देवरानी नयी नवेली का भाव पाने लगी । उस पर से एक नामी स्कूल मे टीचर थी तो उसकी भी कमायी अच्छी । जबकि हमारी मित्र शादी के बाद काम छोड़ दी ।
शादी के बाद वो दोनो हनीमून पर बीस दिन के लंबे टूर पर यूरोप गये जबकि हमारी मित्र हनीमून पर मालद्वीप ( उनके हिसाब से छोटी बेकार जगह ) गयी थी वो भी सिर्फ हफ्तेभर के लिए । बीस दिन बाद लौटी तो गुजरात अपने गांव गये रस्मो के लिए तो नयी नवेली का आवभगत तब तक चलता रहा ।
उसके बाद घर आयी और शादी के बस डेढ़ महीने बाद ही देवरानी खुशखबरी सुना दी । हमारी मित्र ये सुन शाॅक उसके बाद दुःख , चिंता फिर डिप्रेशन की स्टेज तक की यात्रा कर आयी । उनके हिसाब से हम दोनो घर के बड़े थे शादी भी हमारी पहले हुयी थी । बहु भी पहले हम थे , हिसाब से बच्चा भी हमे पहले देना था । वो पति पत्नी ने तय भी किया था कि एक साल से ज्यादा देर नही करेंगे । लेकिन बाजी देवर देवरानी मार ले गये । अभी तक उन दोनो का पहले वाला ही आवभगत खत्म ना हुआ था उस दिन से दूसरा वाला भी उनका शुरू हो गया ।
बताती है मैने पुरी प्लानिंग की थी कि अपनी पहली शादी की सालगिरह पर सेकेंड हनीमून पर किसी अच्छी जगह जायेंगे फिर घरवालों को खुशखबरी देगे । जिन्हे नही पता है उन्हे बता दू कि ब्याह हुआ और कोई परिवार की प्लानिंग नही की बस ऐवे ही प्रेगनेंट हो गये अब आधुनिक कपल ऐसा ना करता ।
बकायदा सेकेंड हनीमून प्लान किया जाता है बच्चे के जनम का समय तय किया जाता है फिर खुशखबरी दी जाती है । बोलती है उन्हे तो विश्वास ना हुआ इतने पढ़े लिखे दोनो इतनी जल्दी बच्चे की प्लानिंग कर लेगे ।
फिर भी उन्होंने हार नही मानी और पति को मनाने प्लान करते और उसका रिजल्ट आते चार महीने का अंतर आ गया । जब घर मे ये खबर सुनाया तो उतना खुश कोई नही हुआ । पहले पोता पोती होने की खबर अलग ही बात होती है । दूसरे मे वो बात नही रह जाती है । बल्कि सास को एक बार ये लगा की दो दो प्रेगनेंट बहु कैसे संभालेगी , दूसरी वाली को थोड़ा रूक जाना चाहिए था ।
खैर देवरानी को बेटी हुयी सभी लोग खुब खुश हुए । खुब धूमधाम से पार्टी हुयी । पहली पोती के नाम पर खुब उसका लाड होने लगा । लेकिन मित्र के ऊपर दबाव बढ़ गया कि भाई सबको एक ही बच्चा करना है तो अब घर मे एक भाई से बेटी तो आ गयी अब तुम बेटा कर दो तो परिवार पूरा हो ।
मित्र को अपनी जगह वापस पाने का उपाय भी यही लगा कि बेटा हो जाये तो वो अपना ऊंचा स्थान फिर पा जायेगी । घर मे उनको कुछ तो भाव मिलेगा । चार महीने बाद उनको भी बेटी ही हो गयी ।
अब जैसा की अपना भारतीय समाज है पहली बेटी खुशी खुशी स्वीकार होती है लेकिन परिवार मे दूसरी बेटी .... हा ठीक है कोई बात नही बेटी है लेकिन बेटा होता तो अच्छा होता वाला भाव सबके मन मे था । उनके बेटी होने की पार्टी भी बड़ी नही रखी गयी कि अभी चार महीने पहले ही तो सब हुआ है अब दुबारा की क्या जरुरत है । पहले जन्मदिन पर कर लेगे ।
ये सब यही नही रूका , पहला बैठना पहला चलना , दौड़ना , बोलना बतियाना सब देवरानी की बेटी के साथ ही होता रहा । अब उनके पास एक माँ का दिल आ चुका था । उनका दर्द बढ़ता गया की उनकी बेटी से कम लाड हो रहा है और देवर देवरानी से दुश्मनी बढ़ती गयी ।
दोनो लोग दस बारह साल दुश्मनो की तरह साथ रहे फिर पिता के गुजरते देवर अपना हिस्सा ले माँ को इन लोगो के पास छोड़ अलग हो गया ।
आलिया की प्रेग्नेंसी पर दीपिका कैटरीना पर मीम देख ये सब याद आ गया 😂😂
36 का आंकड़ा होने की भी अजीब अजीब वजहें ।
ReplyDeleteआलिया की खबर भी तुमसे ही मिल रही । मीम तो देखे ही नहीं ।