एक संपादक जी के पास एक आदमी आ कर बताता हैं कि उसके मोहल्ले में एक डांस बार खुला हैं जो निहायत ही अश्लील हैं , आप उसके खिलाफ कुछ अपने अख़बार में लिखिए | संपादक जी अगले दिन खुद उस बार को देखने ( इसे मजे लेने पढ़िए ) जाते हैं और खूब विस्तार से अखबार में प्रकाशित करतें हैं कि वह बार कहाँ हैं और कितना अश्लील हैं |
दो दिन बाद वही आदमी मिठाई ला कर संपादक जी को खिलाता हैं | संपादक जी पूछते हैं बार बंद हो गया ,तो वो जवाब देता हैं क्यों बंद होगा आपने उसकी अश्लीलता का वर्णन इतने विस्तार से लिखा था कि वहां जबरजस्त भीड़ बढ़ गई और मैं तो उसी बार का मालिक हूँ |पच्चीस साल से भी ज्यादा पुराना ये किस्सा हैं लेकिन आज भी प्रासंगिग हैं | खबर ऐसी बनी की अखबार और बार दोनों का काम हो गया |
सेक्स , हिंसक सेक्स , रेप वीडियों , बच्चों के पॉर्न आदि बेचने वाले ये घिनौने साईट अपना दर्शक वर्ग बढ़ाने के लिए क्या कर सकते हैं मुझे बताने की आवश्यकता नहीं हैं |
तो अगली बार जब आप किसी खबरिया साइट पर किसी घटना के बाद ये खबर पढ़े की भला पाॅर्न साइट पर लोग फला बलात्कार के विडियो खोज रहे है , या वो साइट बता रहा है कि भारतीय लोग इस उस तरह के पाॅर्न कम ज्यादा देखते है या इतने लाख करोड़ लोग रोज ये सब देख रहे है । तो समझ जाइयेगा की वहां वास्तव मे एक दूसरे के टीआरपी, व्यू और व्यूअर्स बढ़ाने के काम के अलावा कुछ नही हो रहा है ।
ये संपादकों को सोचना हैं की वो खबर देने के नाम पर इसमें कितना और कैसे सहयोग कर रहें हैं इसको प्रचारित करने में |
ये संपादकों को सोचना हैं की वो खबर देने के नाम पर इसमें कितना और कैसे सहयोग कर रहें हैं इसको प्रचारित करने में |
सटीक और सार्थक चेतावनी देती पोस्ट ।
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