एक सेठ जी सुस्ती ,कमजोरी ,थकान , भूख ना लगने आदि तमाम समस्या के साथ वैद्य जी के पास पहुंचे | वैद्य जी बोले दवा तो दूंगा लेकिन बड़े नियम और परहेज के साथ दो महीना खाना होगा | तमाम समस्या से परेशान सेठ जी मान गए |
बोले पहली पुड़िया रोज सुबह दो किलोमीटर दूर स्थिति नदी पर पैदल जा कर सूरज उगते देखते खाना होगा | दूसरी पुड़िया नाश्ते में फलों के साथ खाना होगा | तीसरी पुड़िया दोपहर ठीक एक बजे सादा खाना खाने के बाद खाना होगा | तीसरी शाम सात बजे हल्के खाने के साथ घंटे भर बाद एक पुड़िया गर्म दूध मेवे के साथ और उसके एक घंटे बाद सोना | दो महीने में सेठ जी भले चंगे हो गए और वैद्य जी की दवा के गुणगान लगे | सेठ की ठीक कैसे हुए आप समझ ही गए होंगे |
एक कार्यक्रम देखा था फ़ूड डिडेक्टिव | उसमे बता रहें थे कॉर्न फ्लैक्स बनाने वाली कम्पनियाँ कॉर्न अर्थात भुट्टों के दानो का छिलका निकाल देते हैं अर्थात उसका फाइबर | फिर वो उसमे से उसका वो ऊपरी हिस्सा निकाल देते हैं जिसमे की आयरन होता हैं | अंगूर को गुच्छे से तोड़ते हैं तो देखते होंगे हरे रंग का एक रेशा डाली में लगा रह जाता हैं बिलकुल वैसे ही भुट्टे में भी होता हैं जिसमे सारी कृपा अर्थात आयरन होता हैं | उसे निकाल देते हैं क्योंकि वो कॉर्न फ्लैक्स को खट्टा और ख़राब कर देता है | बचा गया गुदा रूपी बस कार्बोहाइटेड जो हम कॉर्न फ्लैक्स में खाते हैं |
फिर आयरन कहाँ से आता हैं उसमे | आपने यूट्यूब पर बहुत से वीडियों देखें होंगे जिसमे लोग दिखाते हैं कि कॉर्न फ्लैक्स में इतना आयरन हैं कि चुम्बक से खींचा चला आ रहा हैं | कभी सोचा हैं पालक ,सेब आदि में भी आयरन होता हैं वो तो चुम्बक से नहीं चिपकता फिर कॉर्न फ्लैक्स के आयरन में इतना क्या ख़ास हैं | जी हां सही अंदाजा लगा रहें हैं उसमे खाने योग्य लोहे का चुरा मिलाया जाता हैं |
ये कार्यक्रम देखते हमने कॉर्न फ्लैक्स मंगाना छोड़ दिया था लेकिन लॉकडाउन ने रसोई से इतना जी उबीया दिया कि वापस से इसे मंगाना शुरू किया | कम से कम कोई सुबह तो ऐसी हो जब आँख खुलते नाश्ते में क्या बनेगा की टेंशन ना हो | बाकि उसे सेहतमंद बनाने के लिए वैद्य जी का तरीका तो हैं ही दूध , फल , मेवा |
बहुत बढ़िया जानकारी मिली ...... वैसे मुझे तो कॉर्न फ्लेक्स पसंद ही नहीं .... अब और भी बेकार ही लगेंगे .... वैद्य जी का नुस्खा ही बढ़िया है ...बिना पुडिया खाए भी स्वस्थ कर देगा .
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