सुबह टहलने के लिए जब निकलती तब पतिदेव जागते और थोड़ी देर बाद में मेरे साथ टहलने पार्क में आते | अक्सर पार्क के दरवाजे पर रुके रहते जब मैं चक्कर लगाते वहां तक पहुंचती तब मेरे साथ चलते | लेकिन दो चक्कर साथ लगाने के बाद जल्दी जल्दी चल कर मुझसे आगे निकल जाते |
एक दिन उन्हें बिल्डिंग से निकलते मैंने पार्क से ही देख लिया | सोचा आज इन्हे मजा चखाती हूँ रोज जल्दी जल्दी चल कर आगे चले जाते हैं आज इन्हे मैं तेज टहलाती हूँ | अपनी रफ़्तार इतनी बढ़ाई कि उनके पार्क के दरवाजे से अंदर आने के जस्ट पहले पार्क के दरवाजे से आगे बढ़ जाऊ बिना उन्हें देखे | मुझे तुरंत ही आगे बढ़ा देख मेरे साथ चलने के लिए तेज तेज कदम चलेंगे |
एकदम यही हुआ भी लेकिन हमने बात और बढ़ाई और अपन चलने की रफ़्तार उसके बाद भी तेज ही रखी ताकि कुछ देर और ज़रा भागें वो | आध पार्क पार करने के बाद मैंने महसूस किया की पीछे पतिदेव अपनी रफ़्तार और बढ़ा रहें हैं |
वापस दरवाजे के पास आते ही वो लगभग भागते मेरे पास आये | कंधे पर हाथ रख हांफते हुए धीरे से मेरे कान में कहा तुमने टीशर्ट उलटी पहनी हैं | स्यापा अब क्या ही बताऊ की कितना दिमाग खराब हुआ | सोये हुए बाप बेटी को परेशानी ना हो इसके लिए बिना लाइट जलाये कपडे बदलती हूँ और बाल बनाती हूँ बस वही गड़बड़ी हो गयी थी |
मैंने कहा पहले ही आवाज दे कर रोककर नहीं बोल सकते थे | तो बोले अरे मैंने भी तभी देखा जब एकदम तुम्हारे पास आया तुम तो आज भागे जा रही थी | मैंने कहा ये बात थी और मैं कब से सोच रही थी कि वो दोनों लड़कियां मास्क पहन कर टहलने के कारण मुझे बार बार देख रही हैं |
#लाइफकेस्यापास
#ज़िन्दगीकीड्रेजिडियत
हा हा हा ...... स्यापा वाले संस्मरण ज़बरदस्त हैं तुम्हारे । मस्त एक दम ।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना सोमवार 13 जून 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
मजा आ गया
ReplyDeleteउलटा-पुलटा
सादर..
मज़ेदार संस्मरण |
ReplyDeleteहा हा हा.. लेने के देने पड़ गये।
ReplyDeleteरोचक संस्मरण।
सादर।
ओह्हो ये तो सड़ा वाला स्यापा हो गया ।
ReplyDeleteबहुत ही रोचक संस्मरण।
बहुत मजेदार स्यापा😃
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteदेर रात पढ़ रही हूँ.. अच्छी नींद के लिए अच्छी खुराक
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