मुंबई आने के बाद करीब 2003- 4 में कलीना यूनिवर्सिटी में राजनीतिशास्त्र से एम ए में प्रवेश ले लिया ताकि मुंबई में अकेले आने जाने और शहर को देख समझ सकूँ | पहला दिन कॉलेज का सबके परिचय का दिन था | एक व्यक्ति उसका नाम और उसका परिचय ने क्लास में सभी को चौका दिया | वैसे उसके देखते ही सब पहले ही चौक गए थे |
उसका कहना था वो अमेरिकी सेना में कमांडर हैं और भारत में अध्ययन के लिए दो साल के लिए यहाँ आया हैं | आपको इतने पर ही हँसी आ रही होगी | फिर पता चला उसके साथ उसकी पत्नी और दो बेटे भी साथ आये थे भारत और सोचिये रहते कहाँ थे वो, होटल ताज वो भी कोलाबा गेटवे वाले ताज में |
उसे छोड़ कर क्लास में सभी का मोबाईल साइलेंट पर रहता था | उसी का नतीजा था कि जब एक बार गेटवे और झावेरी बाजार में बम ब्लास्ट हुआ तो क्लास में बैठे बैठे हमें इसकी जानकारी मिली क्योकि उसकी पत्नी का फोन आया और वो सबसे पहले घबराया हुआ भागा | वैसे उसे दिन सभी को तुरंत छुट्टी दे दी गयी थी |
वो केवल भारतीय संविधान के क्लास में आता जो सबके लिए अनिवार्य था बाकी क्लास मेरे उससे मैच नहीं करते थे | संविधान वाले प्रोफ़ेसर भी बहुत अच्छे थे, लेक्चर के समय वो जितना हो सके विद्यार्थियों को उसमे शामिल करते उन्हें बोलने का मौका देते | उस क्लास में वो क्लास टॉपरों के निशाने पर रहता था , जिसमे ज्यादातर लड़कियां थी | उसकी आदत थी वो जब मौका मिलता अमेरिका की बढ़ाई करने लगता और भारत को नीचा दिखाने का प्रयास करता | लडकिया तार्किक और तथ्यों के साथ उसका जवाब देतीं तो ज्यादातर उसकी बोलती बंद हो जाती |
दो चार मुद्दे तो मुझे आज भी याद हैं | जब उसने भारत में वर्गभेद और दलितों के मुद्दों को उठाया तो जवाब में काले अमरीकन से भेदभाव , गुलाम प्रथा की याद दिलायी गयी | बताया गया वर्गभेद हर समाज में होता हैं और हर देश उस ख़त्म करने ले लिए काम करता हैं | हमने तो उन्हें बराबरी पर लाने के लिए आरक्षण भी दिया हैं तुम्हारे संविधान में कालों को बराबरी पर लाने के लिए क्या हैं | उनके हमारे आजाद हुए समय का अंतर और गुलामी ख़त्म होने कालों को मतदान का अधिकार का अंतर और ना जाने क्या क्या | बहुत कुछ याद दिलाया गया उसे |
एक बार उसने कहा अमेरिका ने दुनिया को रिपब्लिक अर्थात गणतंत्र होना दिया हैं | लड़कियों ने फाटक से जवाब दिया भारत उस जमाने में गणतंत्र था जब अमेरिका का नामो निशान नहीं था और ये भारत के लिखित और प्रमाणित इतिहास में हैं | जिन्हे नहीं पता उनके लिए भारत का लिखित और प्रमाणित इतिहास सिकंदर के भारत आने से शुरू होता हैं | उसके पहले का इतिहास लिखित नहीं हैं , अब लिखा नहीं गया या नष्ट हो गया या कर दिया गया ब्ला ब्ला पर आप खुद अपने में बहस कर लीजिये मेरा आज का विषय नहीं हैं | भारत के प्रमाणित इतिहास में गणतंत्र राज्य पांचाल मल्ल विदेह आदि थे | वैसे उन्होंने भी चाणक्य की कोई ख़ास मदद नहीं की सिकंदर के आक्रमण के समय |
खैर वो इस बहस में इसलिए हार जाता था क्योकि ना तो वो ज्यादा जानकार था और ना वो यहां पढ़ने आया था | सबको पता था वो यहाँ जासूसी करने आया था | बाकि प्रोफेसर जिस क्लास में वो नहीं होता उस पर खुल कर बोलते थे | मुंबई यूनिवर्सिटी में और मुंबई में विज्ञानं और उससे जुड़े बहुत सारे विषय में गोपनीय रिसर्च होते हैं | ज्यादातर को शक था वो उनकी ही जानकारी के लिए आया था | मतलब वो डायरेक्ट उसमे खुद नहीं घुसने वाला था उसका काम वहां पहुँच सकने वालों से जानपहचान और दोस्ती करना और उस माध्यम से काम करना रहा होगा , ऐसा सब अंदाजा लगाते थे | वैसे ऐसी राय देने वालों में मैं भी थी |
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-6-22) को "चाहे महाभारत हो या रामायण" (चर्चा अंक-4472) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
मुंबई यूनिवर्सिटी में और मुंबई में विज्ञानं और उससे जुड़े बहुत सारे विषय में गोपनीय रिसर्च होते हैं | ज्यादातर को शक था वो उनकी ही जानकारी के लिए आया था |
ReplyDeleteये तो बिल्कुल नई जानकारी मिली । सार्थक लेख ।
नयी जानकारी देने हेतु धन्यवाद और लेखन के लिए साधुवाद
ReplyDeleteजी जासूसी के कई तरीकों में यह भी एक तरीका होगा , जानकारी के लिए बहुत धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर लेखन
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा, अक़्सर आर्मी वालों को ऐसे मिशन पर जाना ही पड़ता है हमारे सैनिक भी जाते है बाहर देशो में... एक सैनिक का हृदय निष्ठा से भरा होता है उसके आलावा उसे कुछ सूझता ही नहीं मेरे हस्बैंड भी आर्मी में मैं उस सैनिक की मनोवृत्ति समझ सकती हूँ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा।
सादर
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