जब हमें बिटिया होने वाली थी तो अपने देशी मान्यता के अनुसार हमारी माता जी ने पहले ही पता करने का प्रयास किया कि बेटा होगा या बेटी | इसमें होता ये हैं कि हर दिवाली में हमारे यहाँ काजल पारा जाता हैं | इसमें पूजा करने के बाद दीया जला कर उसके ऊपर मिटटी का घंटी तिरछा करके रख दिया जाता हैं | घंटी की छत पर ढेर साला कालिख या काजल जमा हो जाता हैं फिर उसे घर में सभी सदस्यों को हर दिवाली लगाया जाता हैं |
जब घर में बच्चे होने वाले हो तो घंटी को हटाया नहीं जाता , रात भर जलते दीये के साथ छोड़ दिया जाता हैं | नवंबर दिवाली पर किया गया टोटका मुझे दिखाने के लिए अप्रैल तक रखा गया था और बेटी होने के बाद मुझे दिखाया गया की देखो कैसे हमें पहले ही पता था कि बेटी होने वाली हैं |
मुझे भी बड़ी उत्सुकता हुयी की देखूं ऐसा क्या निशानी हैं कि पता चले की बेटी ही होगी | उस घंटी को देखते ही मेरा मुंह खुला का खुला रह गया और आँखे फटी की फटी रह गयी | उस घंटी में अच्छे खासे मोटे कालिख की परत से वजाइना , स्त्री योनी बना था | मुझे खुद अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वास्तव में वही बना हैं जो मुझे दिख रहा हैं | सोचने लगी ये कैसे संभव हैं , क्या वजह हैं की काजल ऐसे जमा हुआ |
पूरा दिन उसे बार बार देखने और सोचने के बाद समझ आया की ये कैसे बना होगा | दीये की लौ के ऊपरी भाग पर उंगली रखेंगे तो लौ वहां से दो भागो में बट जाएगा बस यही चीज हुआ था | हुआ ये होगा कि जब दीये पर घंटी रखी गयी तो उसकी लौ घंटी की छत से टकरा कर दो भागो में बट कर रातभर जलती रही होगी और काजल घंटी की छत पर जमा होने की जगह दो अलग दिशा में जमा होने लगा दो पहाड़ नुमा ढलान के साथ | चुकी बीच में लौ थी तो बीच का हिस्सा एक लकीर जैसा एकदम साफ़ था |
जैसे ही मैंने ये सोचा अचानक से वो वजाइना सा दिखना बंद हो गया , बस काजल के दो पहाड़नुमा ढेर दिखने लगे | पहले उसका वजाइना सा दिखना भी एक तरह से पहले से बना माइंडसेट , पूर्वाग्रह जैसा था | उसे दिखाने से पहले मुझे कहा गया कि एक ऐसी चीज देखने वाली हूँ जिससे लड़की और लड़का होने का पता चलेगा | अब सोचिये इस माइंडसेट के साथ हम कुछ देखेंगे तो चीजे अपने हिसाब से ही दिखेंगी | जैसे आम चूसना सामान्य शब्द हैं लेकिन कोई बोल दे ये शब्द अश्लील हैं तो हमें वही समझ आने लगता हैं |
घंटी में क्या बनेगा काजल कैसे जमा होगा ये सब कुछ इस बात पर निर्भर हैं कि दीया और घंटी कितना बड़ा था , उसमे तेल कितना था , बत्ती कितनी बड़ी थी , दीये पर घंटी कैसे रखा गया था , जैसे कुछ लोग जलते दीये के चारो तरफ कुछ दीया उलटा कर रखते हैं और उसके सहारे घंटी को और ऊँचा रखते हैं | इसतरह ढेर साला काजल जमा कर उसमे घी या तेल मिला सालभर के लिए काजल जमा कर लेते थे |
सामने दिख रही चीजों को लेकर सवाल करेंगे तो जवाब खुद बा खुद मिलेगा लेकिन अगर आँखों और दिमाग पर अन्धविश्वास का पर्दा पड़ा हो तो हम सवाल करना छोड़ कर जो दिख रहा हैं उसी पर सहज विश्वास करने लगते हैं |
वैसे मुझे भी पता था कि मुझे बेटी ही होगी वो भी बिलकुल वैज्ञानिक तरीके से | हमने एक बड़ा वैज्ञानिक सर्वे पढ़ा था जिसके अनुसार खूबसूरत स्त्रियों को पहले बेटी ही होती हैं | तो हमें तो बेटी होते अपना पता चल गया बाकी जिनको पहले बेटे हुए हैं वो अपनी खूबसूरती को शक की नजर से देखें 😉
😆😆😆😆 आप तो सर्वे भी गजब के ही पढ़ती हैं ।इसमें भी लगता है माइंड सेट था । यूँ मुझे तो पहले बेटा ही हुआ था लेकिन मुझे अपनी खूबसूरती पर कोई शक नहीं था ।😄😄😄
ReplyDeleteखूबसूरत स्त्रियों को पहले बेटी ही होती हैं
ReplyDeleteआभार
सादर..
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 03 जुलाई 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (3-7-22) को "प्रेम और तर्क"( चर्चा अंक 4479) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
खूबसूरत रचना
ReplyDeleteमज़ा आ गया ।
ReplyDeleteपूर्वाग्रह से ग्रसित इंसान को हर व्हीज उस हिसाब से ही दिखाई देती है। सुंदर रचना।
ReplyDeleteसच कहा आपने पूर्वाग्रह का दिल दिमाग पर असर तो होता ही है | बढ़िया आलेख !!
ReplyDeleteगज़ब! पढ़कर बड़ा अच्छा लगा। हमारे यहाँ भी पहले ऐसे ही होता था माँ बड़ी माँ से काफ़ी बार सुना था।
ReplyDeleteसादर
😃😃😃👌👌👌
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा पढ़कर अंशुमाला जी।आपने प्रूव कर दिया कि आप बहुत सुन्दर हैं।रोचक लेख के लिए बधाई और शुभकामनाएं 🙏🌺🌺🌹🌹