July 27, 2022

हम छोटी लकीरो वाले अब बड़े लकीर है

कई बार आप को बच्चो की नजर में अच्छे माता पिता बनने के लिए कुछ नहीं करना पड़ता , बस आप के आस पास की छोटी लकीरे अपने आप ही आप की छोटी लकीर को भी बड़ा बना देती हैं | बिटिया ने बताया उसकी एक सहेली व्रत नहीं रखना चाहती लेकिन उसके घर वाले जबरजस्ती उससे व्रत करवाते हैं | नतीजा उसे जब बहुत भूख लगती हैं तो वो छूप कर कुछ खा लेती हैं | वो जैन हैं और उनके व्रत में कुछ नहीं खाया जाता गर्म पानी के सिवा |



कुछ साल पहले मेरे भी होश उड़ गए थे जब मैंने सुना उनकी एक दूसरी आठ साल की सहेली लगातार आठ दिन का व्रत किया | मतलब एक बूंद खाना नहीं बस गर्म पानी और उस व्रत में भी वो शुरू के दो दिन स्कूल आयी थी | वो वाली मित्र पूजा पाठ करती हैं तो वो अब भी अपनी इच्छा से व्रत करती हैं तो उसमे बिटिया को समस्या नहीं हैं |


एक दिन बिटिया की ये बताते आँखे भर आयी थी कि पीरियड में उनकी कई सहेलियों के साथ अछूतो जैसा व्यवहार उनके घरवाले करते हैं | ये विश्वास करना मुश्किल था लेकिन मुंबई जैसी जगहों में पढे लिखे घरवाले पीरियड में बच्ची को एक गद्दा चादर और एक थाली कटोरी दे कर कमरे के एक कोने की जमीन पर सिमित कर देतें हैं | घर का कोई भी सदस्य उन्हें छूता नहीं हैं और उनकी थाली में खाना भी दूर से गिराया जाता हैं भिखारियों की तरह |


एक बार उनकी एक सहेली जिसे क्लोरीन से एलर्जी हैं उसे टॉयलेट क्लीनर से इंफेक्शन हो गया उसके जांघों में छाले पड़ गए और चुकी उसे उस समय पीरियड था इसलिए किसी ने उसकी देखभाल नहीं की । वो दो दिन तक दर्द से रोती रही | तब उसके संयुक्त परिवार में उसकी मम्मी नहीं थी वो गांव गयी थी | एक दूसरी सहेली तो परिवार और दोस्तों साथ शहर से बाहर घूमने गयी थी | वहां जब उसे अचानक पीरियड़ आ गए तो सब उसे उस अनजान बंगलो में अकेले छोड़ कर घूमने चले गए और ऐसा दो दिन हुआ |


बिटिया बता रही थी कि उनकी एक और सहेली के चचेरे भाई बहन को खाना बनाना सिखाया जा रहा हैं | बहन को इसलिए ताकि शादी के बाद काम आये और भाई को इस लिए क्योकि वो विदेश पढने जा रहा हैं तो उसे वहां काम आये | बहन की भी इच्छा बाहर पढने की हैं लेकिन ग्रेजुएशन के बाद उसके लिए लड़का देखा जा रहा हैं | बिटिया की सहेली अभी से दुखी हैं कि भविष्य में उसके साथ भी ये होगा |


उनकी एक सहेली मैक्डी में खाना नहीं खा सकती क्योकि मैक्डी में चर्बी से खाना तला जाता हैं वाली खबर पर अब भी उसकी मम्मी भरोसा करती हैं | जबकि दूसरे फास्टफूड ब्रांड में खाना खा सकती हैं क्योकि उसकी ऐसी कोई खबर बाहर नहीं आयी हैं | किसी को आलू चिप्स की मनाही हैं तो किसी को कुरकुरे की, बच्चे सब चोरी छुए खाते हैं | और ना जाने कितनी ही छोटी लकीरे और उनके किस्से हैं हमारे आस पास जिन्हे सुना सुना हमारी बिटिया कहती हैं थैंक गॉड कि तुम लोग मेरे मम्मी पापा हो | ये हाल मुंबई की बच्चियों के हैं कुछ ख़ास विषयों पर ,किसी छोटे शहर गांव में क्या कहूं |

1 comment:

  1. परम्पराएँ स्त्री के आराम के लिए बनाई गईं थीं । पीरियड्स के समय उनका विकृत रूप ही हमने देखा है । खुश किस्मत हैं हम कि ऐसा हमने अपने परिवार में कभी नहीं देखा । ये बातें शहर और गांव से अधिक परिवार की परंपराओं पर आधारित होती हैं ।।

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