आसन अर्थात बैठने की आरामदायक मुद्रा , अवस्था आदि | अन्य भारतीय दर्शन की तरह पतंजलि के योग सूत्र का भी अंतिम ध्येय मोक्ष था | उसके लिए मन को अन्य विकारों से दूर करके ध्यान अवस्था में घंटो बैठना होता था | पतंजलि के योग में आसन का अर्थ हैं कि आप ध्यान में बैठने के लिए एक आरामदायक मुद्रा का चयन कर लीजिये और उसका अभ्यास कीजिये |
वास्तव में पतंजलि का योग शरीर के स्वास्थ की जगह मन के स्वास्थ की बात ज्यादा करता हैं | हमारे शरीर के अस्वस्थ होने का कारण हमारी आंच इन्द्रिय हैं यदि उन इन्द्रियों को नियंत्रित कर ले तो शरीर स्वस्थ ही रहेगा | जो मन मस्तिष्क, बुरे विचारों , ईर्ष्या , बदला , दुसरो के अपमान , संग्रह की प्रवृत्ति आदि से भरा हुआ हैं तो उस मन मस्तिष्क का शरीर कभी स्वस्थ नहीं रहेगा | भले उसे सेहतमंद रखने के लिए आप कितना भी आसन योग कर लीजिये |
शुरुआत मन को शुद्ध और सेहतमंद करने से कीजिये शरीर अपने आप रोग मुक्त ही रहेगा ।
उम्मीद है योग दिवस के अलावा योग की बात करने पर पाप नही लगता होगा ।
#योग_निरोग
बिल्कुल नहीं लगता पाप ! वैसे मन स्वस्थ होगा तो तन को स्वस्थ करने के लिए मन भी करेगा ।
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